विभिन्न योग संयोगों में ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या सोमवती अमावस्या के रूप में मनाई जा रही है. इस मौके पर सर्वार्थसिद्धि, कृतिका नक्षत्र सहित अन्य योगों में वट सावित्री व्रत और शनि जयंती का पर्व भी रहा. इस दौरान दिनभर दान पुण्य का दौर जारी रहेगा.
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Jaipur: विभिन्न योग संयोगों में ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या सोमवती अमावस्या के रूप में मनाई जा रही है. इस मौके पर सर्वार्थसिद्धि, कृतिका नक्षत्र सहित अन्य योगों में वट सावित्री व्रत और शनि जयंती का पर्व भी रहा. इस दौरान दिनभर दान पुण्य का दौर जारी रहेगा. सुबह से श्रद्धालुओं ने गलता तीर्थ जाकर पूजा अर्चना की. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान जातकों ने शनिदेव को तेल अर्पित किया.
वहीं महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए वृक्ष के कच्चे सूत का धागा लपेटकर 108 परिक्रमा की. ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, बीच में जनार्दन विष्णु और अग्रभाग में देवाधिदेव शिव स्थित रहते हैं. वट एक ऐसा वृक्ष है जिसकी आयु अधिक होती है और पीपल की आयु भी अधिक होती है. जेएलएन मार्ग, बास बदनपुरा, जगतपुरा, खातीपुरा रोड सहित अन्य शनि मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिली.
श्रद्धालुओं ने तेल से अभिषेक कर लोहा, काला कपड़ा, काले तिल, उड़द, तेल के साथ पूजन सामग्री चढ़ाई. ज्योतिषविदों के मुताबिक अमावस्या तिथि रविवार दोपहर 2.56 से शुरू हो चुकी है जो आज सोमवार शाम पांच बजे तक रहेगी. ऐसे में पितृकार्य-सोमवती अमावस्या आज है. वहीं सूर्य और चंद्रमा दोनों वृषभ राशि में रहने से यह दिन खास रहेगा.
तीर्थ और नदी में स्नान करने के साथ ही आमजन ने घरों में मां गंगा का आवाहन कर गंगाजल डालकर स्नान किया. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवग्रहों में शनिदेव को विशेष दर्जा प्राप्त है, यह सेवा और कर्मकारक हैं. शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर हुआ था. सोमवती अमावस्या और शनि जयंती एक साथ आने से यह दिन सर्वकष्ट निवारक है. पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन के साथ पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए उन्हें पितृ सूक्त के पाठ सुनाना श्रीमद्भगवत गीता का पाठ करें.
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