राजस्थान में बन सकते हैं 8 और नए जिले, चुनाव से पहले अशोक गहलोत कर सकते हैं घोषणा, जानें पूरी डिटेल
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राजस्थान में बन सकते हैं 8 और नए जिले, चुनाव से पहले अशोक गहलोत कर सकते हैं घोषणा, जानें पूरी डिटेल

19 जिले अस्तित्व में आने के बाद अब राजस्थान देश का तीसरा सबसे ज्यादा जिलों वाला प्रदेश बन गया है. यहां अब कुल 50 जिले और 10 संभाग हैं. वहीं विधानसभा चुनाव से पहले कई और जिले-संभाग बनने को लेकर कवायद तेज है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसे लेकर संकेत दे चुके हैं.

राजस्थान में बन सकते हैं 8 और नए जिले, चुनाव से पहले अशोक गहलोत कर सकते हैं घोषणा, जानें पूरी डिटेल

Rajasthan New Districts : 19 जिले अस्तित्व में आने के बाद अब राजस्थान देश का तीसरा सबसे ज्यादा जिलों वाला प्रदेश बन गया है. यहां अब कुल 50 जिले और 10 संभाग हैं. वहीं विधानसभा चुनाव से पहले कई और जिले-संभाग बनने को लेकर कवायद तेज है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसे लेकर संकेत दे चुके हैं. वहीं नए जिलों और संभाग पर काम करने वाली राम लुभाया कमेटी इन 50 जिलों के अलावा अन्य क्षेत्रों को जिला बनाने के लिए काम में जुटी हुई है, लिहाजा ऐसे में इस कमेटी का कार्यकाल भी 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है.

इस कमेटी के पास 32 शहरों और कस्बों को जिला बनाने का प्रस्ताव है. इसे लेकर पिछले एक से डेढ़ महीने से कसरत भी जारी है. कमेटी ने 8 से 10 शहरों को जिला बनाने के लिए योग्य माना है. वहीं कई क्षेत्रों के प्रस्ताव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों मंत्रियों और जनता की डिमांड पर कमेटी को भेजा है. ऐसे में चर्चा है कि विधानसभा चुनाव के बिगुल बजने से पहले मुख्यमंत्री गहलोत कई अन्य जिलों की भी घोषणा कर सकते हैं.

सुजानगढ़ - जिला बनने की संभावना

चूरु जिले में आने वाले सुजानगढ़ को राजस्थान के 10 सबसे विकसित शहरों में गिना जाता है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिवंगत नेता मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने सुजानगढ़ को जिला बनाने का वादा किया था. हालांकि साल 2020 में उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे मनोज मेघवाल ने जीत हासिल की. हालांकि नवगठित जिलों में सुजानगढ़ का नाम ना आने से स्थानीय लोगों में रोष है.

सूरतगढ़ - जिला बनने की संभावना

राजस्थान के सरहदी इलाके में बसा हुआ सूरतगढ़ श्रीगंगानगर जिले में आता है. सूरतगढ़ से श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय 70 किलोमीटर दूर पड़ता है. जबकि श्रीगंगानगर से अलग होकर बना नवगठित अनूपगढ़ जिला 78 किलोमीटर दूर है. सूरतगढ़ सैन्य दृष्टिकोण से एक अहम इलाका है. साथ ही यहां थर्मल पावर प्लांट भी है. वहीं पिछले दिनों पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधू पूजा छाबड़ा सूरतगढ़ को जिला ना बनाए जाने के विरोध में अनशन पर बैठ गई थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें आश्वासन दिया और उनका अनशन तुड़वाया. ऐसे में सूरतगढ़ के जिला बनने की प्रबल संभावना है.

 

भिवाड़ी - जिला बनने की संभावना

राजस्थान के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी अब नवगठित खैरतल जिले में आ गया है. इससे पहले भिवाड़ी अलवर जिले में था. बसपा से कांग्रेस में आए तिजारा विधायक संदीप यादव लगाता भिवाड़ी को भी जिला बनाना बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि बहरोड़-कोटपुतली और डीडवाना-कुचामन की तर्ज पर खैरतल-तिजारा को संयुक्त जिला बनाने की घोषणा की गई है. लेकिन समस्या इससे कई आगे की है. तिजारा और खैरथल के बीच दूरी अधिक है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है जिला मुख्यालय कहां बनेगा? मौजूदा वक्त में भिवाड़ी में एसपी कार्यालय पहले से मौजूद है. इसके अलावा भिवाड़ी प्रदेश के चुनिंदा 14 यूआईटी की तर्ज पर भिवाड़ी में बीआईडीए यानी भिवाड़ी इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट अथॉरिटी भी है इसके अलावा यहां उद्योग विभाग और हाईवे के कार्यालय भी हैं, ऐसे में भिवाड़ी का दावा और मजबूत हो जाता है.

भीनमाल - जिला बनने की संभावना

जालौर जिले में स्थित भीनमाल एक बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया है. भीनमाल के पास स्थित बालोतरा और सांचौर नवगठित जिले बन चुके हैं. जबकि बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद भीनमाल जिला बनने से वंचित रह गया. इसका एक बड़ा कारण यहां किसी बड़े राजनेता की मौजूदगी ना होना और कोई बड़ा आंदोलन ना होना है. हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत के दौरे के दौरान यहां की जनता ने उनके समक्ष भीनमाल को जिला बनाने की मांग रखी थी.

निंबाहेड़ा - जिला बनने की संभावना

चित्तौड़गढ़ जिले में आने वाला निंबाहेड़ा भी एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है और यह सीमेंट उद्योग के लिए जाना जाता है. राजस्थान और मध्य प्रदेश के सरहद पर बसे इस औद्योगिक क्षेत्र से गहलोत कैबिनेट के पावरफुल मंत्री उदय लाल आंजना आते हैं. आंजना की ओर से निंबाहेड़ा को जिला और चित्तौड़गढ़ को संभाग बनाने की मांग है.

लाडनूं - जिला बनने की संभावना

नागौर जिले में आने वाले लाडनूं को लंबे वक्त से जिला बनाने की मांग है. यहां से सचिन पायलट के कट्टर समर्थक माने जाने वाले मुकेश भाकर विधायक है. इसे कोटपूतली-बहरोड और डीडवाना-कुचामन की तर्ज पर सुजानगढ़ के साथ मिलकर लाडनूं-सुजानगढ़ जिला बनाने की मांग है.

मालपुरा - जिला बनने की संभावना

टोंक जिले में आने वाले मालपुरा को भी जिला बनाने की मांग बरसों पुरानी है. नवगठित जिले के केकड़ी या दूदू में मालपुरा को मर्ज करने की कोशिश की गई. लेकिन मालपुरा के स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद मालपुरा की स्थिति से छेड़छाड़ नहीं की गई. हालांकि बिसूका चेयरमैन डॉ. चंद्रभान मालपुरा को जिला बनाने की मांग उठा रहे हैं.

देवली - जिला बनने की संभावना

मालपुरा की तरह ही देवली को भी केकड़ी या शाहपुरा में मिलाने की कोशिश की गई, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद इसकी स्थिति मैं कोई बदलाव नहीं किया गया. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि देवली की स्थिति केकड़ी-शाहपुरा से ज्यादा बेहतर है. यहां की जनसंख्या, उपखंड तहसील, विधानसभा, हाईवे, कॉलेज, अस्पताल, परिवहन ज्यादा बेहतर है. ऐसे में इसे किसी दूसरे नवगठित जिले में सम्मिलित करने की बजाय नया जिला बनाया जाए. इसे लेकर कांग्रेस विधायक और पूर्व डीजीपी हरीश मीणा जुटे हुए हैं.

सांभर-फुलेरा  - जिला बनने की संभावना

सांभर-फुलेरा को दूदू जिले में मिलाने का प्रस्ताव था, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद इसे जयपुर ग्रामीण में रखा गया है. हालांकि यह पहले जयपुर जिले का हिस्सा था. स्थानीय लोगों का कहना है कि सांभर-फुलेरा की स्थिति दूदू से ज्यादा अच्छी है. यहां पर इंडस्ट्रियल सेगमेंट के साथ-साथ स्टेट और नेशनल हाईवे भी गुजरते हैं. ऐसे में सांभर-फुलेरा को अलग जिला बनाया जाए.

वहीं इन जिलों के अलावा दो संभाग बनने की भी संभावना है. इनमें भीलवाड़ा और अलवर का नाम सबसे आगे चल रहा है. मौजूदा वक्त में भीलवाड़ा को उदयपुर संभाग में रखा गया है. कुल मिलाकर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले रामलुभाया कमेटी की सिफारिश पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत कई क्षेत्रों को नए जिले के रूप में घोषित कर सकते हैं.

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