KD Gupta Scam : पीएचईडी चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता के कारनामे की सच्चाई उजागर हुई है. चीफ इंजीनियर अरबन केडी गुप्ता के दफ्तर में पूरे टैंडर का चक्रव्यूह रचा गया.
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Rajasthan KD Gupta Scam : अलवर एनसीआर में पेयजल योजना में जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता के कारनामों की पोल खोलती रिपोर्ट है. जिसमें सभी तथ्यों के साथ बताएंगे कि कैसे निविदा से मात्र 6 मिनट पहले तारीख बढाई गई. कैसे चुनिंदा फर्म के लिए सारे नियमों को चीफ साहब ने ताक पर रख दिया. आखिर एनसीआर में ये कैसा खेल खेला गया.
जलदाय विभाग में इंजीनियर्स प्यास बुझने का नाम नहीं ले रही, भले ही एनसीआर की आबादी 5 साल से पानी के लिए तरस रही हो, लेकिन इनकी प्यास बुझना ज्यादा जरूरी है. ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि पीएचईडी में सारी पारदर्शिता को दरकिनार करते हुए 40 करोड़ की निविदा में तारीख बढ़ाते हुए मनपसंद फर्म के लिए जगह बनाई गई.
अलवर के खैरथल एनसीआर पेयजल योजना में पोल खुल गई. पीएचईडी चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता के कारनामे की सच्चाई उजागर हुई है.चीफ इंजीनियर अरबन केडी गुप्ता के दफ्तर में पूरे टैंडर का चक्रव्यूह रचा गया.
1. केडी गुप्ता,चीफ इंजीनियर,अरबन
2. पीसी मिढ्ढा,रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर,अलवर
3. अमिताभ शर्मा,एडिशनल चीफ इंजीनियर,अरबन
4. मुकेश गोयल,अधीक्षण अभियंता,अरबन
5. रीचा,एक्सईएन,अरबन
खैरथल पेयजल योजना में 29 मार्च को 40 करोड़ की निविदा शाम 5 बजे तक डालनी थी लेकिन इससे पहले चीफ इंजीनियर शहरी केडी गुप्ता ने 4.40 बजे तत्कालीन अलवर एडिशनल चीफ इंजीनियर फोन कर नियमों को ताक पर रख बिड की तारीख बढ़ाने के निर्देश दिए.
जबकि नियमों के तहत टेंडर तिथि से दो दिन पहले ही तारीख बढाई जा सकती है .केडी गुप्ता के कारनामे यही नहीं रूके, बल्कि निविदा को SPPP ऑनलाइन पोर्टल पर भी नहीं डाला. इसका नतीजा ये रहा कि इसमें केवल दो फर्में हीं भाग ले पाई. इसमें से एक फर्म टेक्निकल बिड में बाहर कर दिया और दूसरी मनपसंद फर्म कैलाश चंद चौधरी को टेंडर मिलना तय हो गया.
एनसीआर की इस योजना में फर्म कैलाश चंद चौधरी की 57 करोड़ यानी 41.46 प्रतिशत हाईयर रेट आई. इसके बाद 2018 की बीएसआर रेड 17.61 प्रतिशत हायर रेट पर एफडी में पास हो गया. ये खेल होता इससे पहले पूरे टेंडर प्रक्रिया की गड़बड़ी की शिकायते हो गई.
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अलवर से तत्कालीन सांसद मंहत बालकनाथ योगी ने एनसीआरपीबी की सदस्य सचिव अर्चना अग्रवाल को पत्र लिख शिकायत की. इसके बाद जांच हुई तो पूरे प्रकरण की पोल खुल गई. यदि केडी गुप्ता का ये कारनामा सफल रहता तो सरकार को सीधे सीधे 18 करोड़ का चूना लगता.
अब ऐसे में सवाल ये है कि क्या जलदाय विभाग टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता के साथ निरस्त करेगी, क्या दोषी इंजीनियर्स के खिलाफ जलदाय विभाग कठोर कार्रवाई करेगा ?