जयपुर : पाथेय भवन में संविधान दिवस पर संगोष्ठी, विश्व संवाद केंद्र ने किया आयोजन
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जयपुर : पाथेय भवन में संविधान दिवस पर संगोष्ठी, विश्व संवाद केंद्र ने किया आयोजन

Constitution Day Seminar in jaipur : जयपुर के मालवीय नगर में संविधान दिवस के अवसर पर विश्व संवाद केन्द्र की तरफ से सेमीनार का आयोजन किया गया. जिसमें लेखक लक्ष्मीनारायण भाला भारतीय संविधान के पहलुओं पर चर्चा की.

 

जयपुर : पाथेय भवन में संविधान दिवस पर संगोष्ठी, विश्व संवाद केंद्र ने किया आयोजन

Jaipur news : संविधान दिवस के अवसर पर विश्व संवाद केन्द्र की ओर से मालवीय नगर स्थित पाथेय भवन में संगोष्ठी का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन के साथ की गई. संगोष्ठी के वक्ता प्रख्यात लेखक लक्ष्मीनारायण भाला ने संविधान की आत्मा में भारतीय तत्वों पर चर्चा की. उन्होंने संविधान की मूल प्रति में भारतीय सनातन परम्परा से जुड़े चित्रों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि संविधान पूरी तरह भारतीय परम्परा और जीवन पद्धति से प्रेरित है. जिसे प्रख्यात चित्रकार नंदलाल बोस ने अपने जीवंत चित्रांकन से सजीव किया है. कुछ लोगों ने पूर्वाग्रह के कारण संविधान की मूल प्रति पर अंकित चित्रों को आम जनता के सामने नहीं आने दिया.

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कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम, लेखक, स्तंभकार, पत्रकार उपस्थित रहे. वक्ता लक्ष्मीनारायण भाला ने कहा कि शब्दों का एक निर्धारित अर्थ होता है पर चित्र कई अर्थ प्रेषित करते है. संविधान निर्माताओं ने इसी भावना से विश्व भारती के चित्रकार नन्दलाल बोस से सम्पर्क किया. गहन अध्ययन के बाद चित्रों का चयन-अंकन किया. चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि संविधान के हर भाग का जो विषय है उसी विषय का परिणाम बताने वाले चित्र उन्होंने अंकित किये. उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानों चित्र कोई संदेश दे रहे हों.

उन्होंने संविधान के 22 भागों में अंकित 28 चित्रों का विस्तार से विवेचन किया. पुष्पक विमान से राम, लक्ष्मण, सीता के अयोध्या गमन तथा श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता के उपदेश से लेकर मोहनजोदड़ो के प्रतीक चिह्न, नंदी बैल एवं वैदिक काल के गुरुकुल के सुंदर चित्रों को सम्मिलित करते हुए बुद्ध, महावीर, विक्रमादित्य के दरबार और नालंदा विश्वविद्यालय को भी इसमें समाहित किया गया है. व्यक्तित्वों में छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, टीपू सुल्तान, गांधी तथा सुभाष को संविधान के पन्नों में सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया है.

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