स्टे ऑर्डर खारिज हुआ तो मेयर डॉ. सौम्या की बढ़ सकती मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट के पैसले पर टिकी सबकी निगाहें
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स्टे ऑर्डर खारिज हुआ तो मेयर डॉ. सौम्या की बढ़ सकती मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट के पैसले पर टिकी सबकी निगाहें

निगम ग्रेटर मेयर डॉ.सौम्या गुर्जर मामले में आज अहम दिन . राज्य सरकार स्टे ऑर्डर खारिज होने के बाद कर सकती है पद से बर्खास्त, राज्य सरकार की कोशिश, आज स्टे ऑर्डर हो खारिज

 

स्टे ऑर्डर खारिज हुआ तो मेयर डॉ. सौम्या की बढ़ सकती मुश्किलें,

Jaipur: राज्य सरकार की ओर से नगर निगम ग्रेटर मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर मामले में करवाई गई. न्यायिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद अब निगाहें आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाले फैसले पर टिकी है. दरअसल जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर के खिलाफ अहम दिन है, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जो न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश की है, उसे आज कोर्ट देखकर अपनी आगे का निर्णय दे सकता है. राज्य सरकार की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता की आज कोशिश रहेगी कि वे 1 फरवरी के स्टे ऑर्डर को खारिज करवाया जाए. यदि सुप्रीम कोर्ट आज होने वाली सुनवाई में स्टे आर्डर को खारिज कर देता है, तो ग्रेटर महापौर डॉ सोमिया गुर्जर की मुश्किलें बढ़ सकती है, और सुप्रीम कोर्ट के स्टे खारिज होने के बाद राज्य सरकार मेयर सौम्या गुर्जर को पद से बर्खास्त कर सकती है.

 दरअसल मेयर सौम्या गुर्जर और अन्य तीन पार्षदों के खिलाफ जून 2021 में शुरू की गई. न्यायिक जांच की रिपोर्ट पिछले महीने 10 अगस्त को सरकार को पेश की गई थी. जिसमें सौम्या समेत अन्य 3 पार्षदों को दोषी पाया गया था. इस रिपोर्ट को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था और मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी. सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिंघवी ने ये रिपोर्ट कोर्ट में पेश करके अर्जी दी गई. जिस पर कोर्ट ने 23 सितम्बर को सुनवाई का समय दिया था. सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने बताया कि उनकी कोशिश एक फरवरी के स्टे ऑर्डर को खारिज करवाने की रहेगी.

 इस ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने मेयर के निलंबन के आदेश पर स्टे दिया था और आगे की कार्रवाई तब तक न करने के आदेश दिए थे, जब तक सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश नहीं होती. अगर आज सुप्रीम कोर्ट न्यायिक जांच को सही मान लेता है और स्टे ऑर्डर को खारिज कर देता है, तो मेयर सौम्या गुर्जर की मुश्किलें बढ़ सकती है. उधर यदि सुप्रीम कोर्ट से स्टे ऑर्डर खारिज होने और न्यायिक जांच को सही मानने की स्थिति में सरकार मेयर सौम्या गुर्जर को पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर सकती है. सरकार इससे पहले तीन अन्य पार्षदों को 22 अगस्त को ही पद से बर्खास्त कर चुकी है, वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा सदस्यता को खत्म कर दिया है. 

यूं चला निगम ग्रेटर में घटनाक्रम
जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में 4 जून 2021 को  मेयर सौम्या गुर्जर के चैंबर में सफाई व्यवस्था को लेकर एक बैठक चल रही थी, जिसमें तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षद भी मौजूद थे. फाइल पर साइन करवाने की बात पर कमिश्नर से पार्षदों और मेयर की कहासुनी हो गई. तत्कालीन आयुक्त बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे. इस दौरान पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया. तकतकालीं आयुक्त ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का तीनों पार्षदों पर आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया.

खास बातें
- 5 जून को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रिय निदेशक रही रेणु खण्डेलवाल को सौंप दी
- 6 जून को जांच रिपोर्ट में चारों को दोषी मानते हुए राज्य सरकार ने देर रात सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया. इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी.
- 7 जून को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया.
- सरकार के निलंबन के फैसले को मेयर सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया.
- जुलाई माह में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकरवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की.
- 1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली.

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