Rajasthan School News: नामांकन कम होने की वजह से एक बार फिर प्रदेश में बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों पर ताला लगने की तैयारी है. प्रदेश के करीब 10 हजार 315 स्कूलों में निर्धारित मापदंड के अनुसार 50 नामांकन नहीं होने पर बंद किया जा सकता है.
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Rajasthan School News: प्रदेश के हजारों स्कूलों में नामांकन तय नियम के अनुसार नहीं होने से शिक्षा विभाग ने बंद या मर्ज करने की कवायद शुरू कर दी. नामांकन कम होने की वजह से एक बार फिर प्रदेश में बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों पर ताला लगने की तैयारी है. प्रदेश के करीब 10 हजार 315 स्कूलों में निर्धारित मापदंड के अनुसार 50 नामांकन नहीं होने पर बंद किया जा सकता है.
नामांकन कम होने पर इन स्कूलों को निकट के सरकारी स्कूलों में मर्ज किया जा सकता है. वहीं इन स्कूलों का शिक्षा विभाग ने भौतिक सत्यापन कर दिया है और इन्हें बंद करना है या नहीं, यह फैसला सरकार पर छोड़ा है. शिक्षा निदेशालय बीकानेर(Directorate of Education Bikaner) ने डीईओ (DEO) मुख्यालय से कम नामांकन वाली स्कूलों से सूची मांगी है.
शिक्षा निदेशालय के अनुसार एक स्कूल में कम से कम 50 नामांकन होना आवश्यक है. शिक्षा निदेशालय ने भौतिक सत्यापन के बाद अगर प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बंद या मर्ज होंगे तो सबसे ज्यादा परेशानी छोटे बच्चों को होगी. मर्ज होने की दशा में उन्हें कई किमी का सफर तय कर दूसरी स्कूल में प्रवेश लेकर पढ़ने जाना पड़ सकता है. हालांकि अभी तक स्कूल मर्ज करने के स्पष्ट आदेश नहीं आए हैं. अधिकारियों के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया के बाद में इस काम में अंतिम निर्णय लिया जाएगा. 2018 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने भी नामांकन कम होने पर करीब 20 हजार स्कूल को मर्ज कर दिया था.
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अभी तक प्रवेश उत्सव मनाया जा रहा है और प्रवेश प्रक्रिया चल रहीं है. ऐसे में यदि किसी विद्यालय ने 15 जुलाई से पहले नामांकन बढ़ा दिए जाते हैं तो उस स्कूल को मर्ज नहीं किया जाएगा. कम नामांकन वाले विद्यालयों के प्रधानाचार्य को विभाग ने नियमानुसार नामांकन बढ़ाने के लिए प्रवेश उत्सव के तहत 15 जुलाई तक का समय दिया गया है. 15 जुलाई के बाद बढ़े नामांकन की सूची की रिपोर्ट भेजने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी.
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बीकानेर की ओर से जारी सूची के अनुसार प्रदेश में सर्वाधिक जोधपुर में 831, जयपुर में 812, बाड़मेर में 796 स्कूलों में तय नियम के अनुसार नामांकन कम हुए हैं. वहीं अजमेर 177, अलवर 298, बांसवाड़ा 171, बारां 159, भरतपुर में 125, भीलवाड़ा 342, बीकानेर में 460, बूंदी 158, चित्तौड़गढ़ 276, चूरू 189, दौसा 267, धौलपुर 65, डूंगरपुर 251, श्रीगंगानगर 540, हनुमानगढ़ 161, जैसलमेर 360, जालौर 150, झालावाड़ 273, झुंझुनूं 472, करौली 243, कोटा 147, नागौर 752, पाली 186, प्रतापगढ़ 132, राजसमंद 212, सवाई माधोपुर 125, सीकर 474, टोंक 347 और उदयपुर में 314 विद्यालयों में नामांकन कम हुए हैं. वहीं प्रदेश में सबसे कम सिरोही जिले में 50 स्कूल में ही 50 से कम नामांकन है.
प्रदेश के हजारों स्कूल के मर्ज को लेकर शिक्षा मंत्री डाॅ. बीडी कल्ला ने कहा कि जिन स्कूल में शून्य नामांकन है, उन्हें चलाकर भी क्या करेंगे. स्कूल में 50 से कम नामांकन होने पर भी संचालित करेंगे. उन्हें मर्ज नहीं किया जाएगा.
शिक्षा विभाग 10 हजार विद्यालय मर्ज करने की तैयारी कर रहा है. इससे आगामी सीधी भर्ती में पदों की संख्या कम होगी. ग्रामीण क्षेत्रों के दूरदराज गांव ढाणी के स्कूल बंद होंगे तो लाखों मेधावी विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी. इसलिए संघ की राज्य के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मांग है कि इन स्कूलों को बंद नहीं किया जाएं.