Rajasthan Tourism Place: मेवाड़ अपने इतिहास, खूबसूरती और देशभक्ति के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन मेवाड़ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के राजतिलक स्थल गोगुंदा में बहुत कम पर्यटक आते हैं.
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Rajasthan Tourism Place: राजस्थान में मेवाड़ अपने इतिहास, खूबसूरती और देशभक्ति के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन मेवाड़ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के राजतिलक स्थल गोगुंदा में बहुत कम पर्यटक आते हैं.
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यह स्थान उदयपुर से भी ज्यादा खूबसूरत है और महाराणा प्रताप से जुड़ा एक अहम ऐतिहासिक गाथा का प्रतीक भी है, लेकिन अब इसके जिर्णोद्धार के लिए प्रशासन और विधायक ने एक प्रस्ताव तैयार करके राज्य सरकार को भेज दिया है. यह अरावली की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है, जो एक बड़ा पर्यटन स्थल बनने जा रहा है.
धोलिया पर्वत
उदयपुर शहर से गोगुंदा करीब 30 किमी की दूरी पर है और इससे करीब 7 किलोमीटर दूर धोलियाजी पर्वत है, जहां धोलियाजी बाउजी का प्रसिद्ध स्थान है. गोगुंदा और इसके आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं. यह स्थान पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. पहले लोग यहां पगडंडियों के जरिए जाते थे, लेकिन अब पहाड़ तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क बन गई है.
पक्की सड़क बनने से दोपहिया वाहन आसानी से धोलियाजी बाउजी तक पहुंच सकते हैं. इस पर्वत से बेहद खूबसूरत नजारा आप देख सकते हैं. साथ ही ट्रैकिंग करके ऊपर जाते समय भी आप काफी अच्छा अनुभव कर सकते हैं. यह अरावली की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है और राजस्थान की ये दूसरी सबसे ऊंची चोटी मानी जाती है, जिसकी ऊंचाई करीब 1147 मीटर है.
राज्य सरकार को भेजा इतने करोड़ का प्रस्ताव
गोगुंदा के SDM डॉ. नरेश सोनी ने बताया कि ये बहुत खूबसूरत जगह है. बेहतर पर्यटन स्थल विकसित होने के बाद यह जगह राजस्थान के प्रसिद्ध स्थलों में शामिल हो जाएगी. विधायक और उपजिला प्रमुख के सुझाव पर इस स्थान को पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है.
प्रस्ताव में बंजी जंपिंग, पैराग्लाइडिंग, मंदिर तक ग्लास पथ, महाराणा प्रताप की जीवनी, लेजर लाइट शो, छतरी वाटर फाउंटेन, सेल्फी पॉइंट, जंगल सफारी, चिल्ड्रन पार्क और कैफेटेरिया समेत कई सुविधाओं के साथ रोमांच शामिल हैं.
उदयपुर उपजिला प्रमुख पुष्कर तेली ने बताया कि धोलियाजी पर्वत में पर्यटन क्षेत्र में काम करने की अपार संभावनाएं हैं. इसके लिए 40 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा गया है. फिलहाल डीएमएफटी से 3 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं.
यहां हुआ था महाराणा प्रताप का राजतिलक
गोगुंदा महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक का स्थान है. इससे कुछ ही दूरी पर मायरा की गुफा भी स्थित है, जो कभी महाराणा प्रताप का शस्त्रागार हुआ करता था. मुगलों के खिलाफ लड़ाई की रणनीति यहीं से बनती थी. महाराणा उदय सिंह ने अपने अंतिम क्षण गोगुंदा में बिताए थे. उनकी मृत्यु भी यहीं हुई थी.
इसके बाद महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में ही हुआ. धोलियाजी पर्वत के बारे में माना जाता है कि जब गोगुंदा मेवाड़ की राजधानी थी, तब इसी पर्वत से पूरे राजस्थान की निगरानी की जाती थी और सेना भी यहीं तैनात रहती थी. जिससे जीतना आसान नहीं था.