क्या 10 फरवरी को चौंकाने जा रहे मुख्यमंत्री गहलोत, विरोधियों में जबरदस्त बैचेनी
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क्या 10 फरवरी को चौंकाने जा रहे मुख्यमंत्री गहलोत, विरोधियों में जबरदस्त बैचेनी

राज्य का बजट आने वाला है. युद्ध स्तर पर बजट की तैयारियां अंतिम दौर में हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने मौजूदा कार्यकाल का पांचवा बजट 10 फरवरी को विधानसभा में रखेंगे. लेकिन सदन में बजट आने से पहले ही बजट की चर्चा सदन के बाहर भी हो रही है. लोगों में उत्सुकता है.

क्या 10 फरवरी को चौंकाने जा रहे मुख्यमंत्री गहलोत, विरोधियों में जबरदस्त बैचेनी

Ashok Gehlot Budget : राज्य का बजट आने वाला है. युद्ध स्तर पर बजट की तैयारियां अंतिम दौर में हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने मौजूदा कार्यकाल का पांचवा बजट 10 फरवरी को विधानसभा में रखेंगे. लेकिन सदन में बजट आने से पहले ही बजट की चर्चा सदन के बाहर भी हो रही है. लोगों में उत्सुकता है. इधर सीएम अशोक गहलोत के सोशल मीडिया पेज पर डिस्प्ले पिक्चर बदल दी गई है. बजट की तारीख का जिक्र करते हुए इसमें ''बचत, राहत, और बढ़त'' का नारा दिखाया गया है. तो वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी अपने सोशल मीडिया पर ऐसा ही एक विज्ञापन साझा किया है.

सरकार की तरफ से लगाए विज्ञापन के उलट सतीश पूनिया ने प्रदेश में अपराध, भ्रष्टाचार और पेपर लीक का मुद्दा एक बार फिर से उठाया है? और इसे चार साल से लगातार बताया है. दोनों तरफ से अपनी- अपनी बात रखने की कोशिश की जाए? रही है. लेकिन सवाल यह उठता है? कि किसकी बात में ज्यादा दम दिखता है? क्या सरकार के दावों पर भरोसा करके यह माना जाए? कि बजट अबकी बार अभूतपूर्व रहेगा? या फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से उठाए गए मुद्दों को बजट से ज्यादा तरजीह दी जाए?

 

सवाल इसलिए है, क्योंकि यह साल चुनाव का है. अब जनता को बजट ज्यादा पसंद आता है? या विपक्ष की तरफ से उठाए गए मुद्दों में ज्यादा दम नजर आता है? इसका नतीजा तो इस साल के आखिरी महीने में आएगा. लेकिन फिलहाल मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए दोनों पक्ष अपनी अपनी बात रख रहे हैं.
सरकारी हलकों में चर्चा इस बात की भी हो रही है कि सरकार के विज्ञापन में बदलाव करके उसे सोशल मीडिया पर साझा करना कितना सही माना जाए?

क्या इसे जंग में जायज मानते हुए स्वीकार किया जाए? या कंटेंट से छेड़छाड़ की संज्ञा दी जाए?
इस बीच राज्य वित्त आयोग के सदस्य और विधायक अशोक लाहोटी ने भी बजट के प्रचार पर सवाल उठा दिए हैं. लाहोटी ने इसे बजट की गोपनीयता भंग होने का नाम देते हुए सभी विज्ञापन के होल्डिंग विज्ञापन के सभी होर्डिंग हटाने की मांग की है. लाहोटी के आरोपों पर सरकार में बैठे लोग कहते हैं कि ऐसा कौन सा बजट है जिसमें सरकार की तरफ से बचत राहत और बढ़त, यानी विकास की बात नहीं की जाती हो? अब सबके अपने सवाल और अपने दावे हैं, लेकिन इनका जवाब सिर्फ जनता के पास है और वही निर्णायक है.

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