बीकानेर में ‘पुकार’ अभियान से बदल रही महिलाओं की जिंदगी, कलेक्टर की अनोखी पहल
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बीकानेर में ‘पुकार’ अभियान से बदल रही महिलाओं की जिंदगी, कलेक्टर की अनोखी पहल

जिला कलेक्टर की पहल पर शुरू किए गए इस अभियान ने राजस्थान में एक नई परम्परा की शुरुआत की है. बीकानेर के जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने अभियान की शुरूआत की है जिसने बीकानेर में गर्भवती महिलाओं ओर उनके बच्चे के जीवन को ही बदल दिया है. इस अभियान का नाम पुकार दिया गया है. 

डेढ लाख महिलाओं से सीधा संवाद.

Bikaner: बीकानेर में इन दिनों महिलाओं का जीवन साकार हो रहा है, और ये संभव हुआ है पुकार अभियान से. जहां अब तक 1 लाख 25 हजार महिलाओं को इस अभियान से लाभ हुआ है. जिला कलेक्टर की पहल पर शुरू किए गए इस अभियान ने राजस्थान में एक नई परम्परा की शुरुआत की है.

बीकानेर के जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल की अनूठी पहल
क्या कभी आपने महिलाओं में होने वाली बीमारियों के पीछे की वजह को लेकर कभी किसी कलेक्टर को चिंतित देखा है. बीकानेर के जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल जिन्होंने ज्वाइन करने के साथ ही एक ऐसे अभियान की शुरूआत की है जिसने बीकानेर में गर्भवती महिलाओं ओर उनके बच्चे के जीवन को ही बदल दिया है. इस अभियान का नाम पुकार दिया गया है. पुकार यानी मां के बेहतर पोषण की की व्यवस्था,बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल, जीवन में स्वस्थ रहने की कला, हर इस बात की जो महिलाओं को बेहतर जीवन प्रदान कर सके इसके लिए अभियान चलाया है. इस योजना ने राजस्थान में एक नई परम्परा की शुरुआत की है.

पुकार, मां के बेहतर पोषण के लिए
पुकार अभियान जिसके तहत गर्भधारण से लेकर बच्चे के दो वर्ष के होने तक के लगभग एक हजार दिन मां और बच्चे के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान दोनों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और पोषण संबंधी सावधानी रखना अहम होता है और अगर इस बारे में जागरुकता रख ली जाए, तो मां स्वस्थ रहती है और बच्चा भी सुरक्षित रहता है. इसी बात को हर मां तक पहुंचाने के लिए बीकानेर में जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल की पहल पर मुहिम छेड़ी गई है, जिसका नाम पुकार है. 

बता दें कि पुकार अभियान के तहत हर बुधवार को जिले की 367 ग्राम पंचायतों के एक-एक गांव और शहरी निकायों के 190 वार्डों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण पाठशालाओं का आयोजन होता है. इन पाठशालाओं में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्स तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिन और साथिन ऐसी गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के साथ किशोरी बालिकाओं से संवाद करती हैं.

यह संवाद द्विपक्षीय होता है, जिसमें विभाग के प्रतिनिधि अपनी बात रखते हैं, फिर प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं के जवाब दिए जाते हैं. इन पाठशालाओं में गर्भावस्था के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों एवं जांचों, सभी आवश्यक टीकाकरण, संस्थागत प्रसव, पोषण सहित सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी जाती है.

डेढ लाख महिलाओं से सीधा संवाद किया जा चुका
इन पाठशालाओं में सरकारी कार्मिक और महिलाएं एक जाजम पर बैठकर विचारो का आदान प्रदान करती हैं. 6 अप्रैल से प्रारम्भ हुए इस सिलसिले के तहत अब तक छह हजार से अधिक पाठशालाओं का आयोजन हो चुका है तथा इनमें लगभग डेढ लाख महिलाओं से सीधा संवाद किया जा चुका है.

सीएमएचओ इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में जुटे
जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल की ओर से शुरू की गई इस योजना को स्वास्थ्य विभाग सीएमएचओ डॉक्टर बीएल मीना खुद इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में लगे है. इसे सरलता के इस आयाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते नजर आ रहे है. जहां इन पाठशालाओं के दौरान हिमोग्लोबीन की जांच की जाती है और खून की कमी पई जाने की स्थिति में आयरन फॉलिक एसिड की गोलियां मौके पर ही खिलाई जाती है. अब तक लगातार 14 बुधवार आयोजित इन पाठशालाओं मे पांच लाख से अधिक गोलियां वितरित की जा चुकी हैं.

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इस अभियान की सबसे बड़ी खूबी है कि यह पाठशालाएं, किसी गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिला के घर पर ही आयोजित होती हैं. प्रत्येक सप्ताह औसतन दस हजार महिलाओं से संवाद किया जा रहा है, इस प्रकार बिना किसी अतिरिक्त खर्च इतना बड़ा आयोजन होना, अपने आप में मिसाल है.

सतत प्रयासों की बदौलत प्रारम्भिक स्तर पर सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं, जो कि आने वाले दिनों में और अधिक सुधरेंगे. कुल मिलाकर महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की दृष्टि से यह अभियान मील का पत्थर साबित हो.

Reporter- Raunak Vyas

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