राजस्थान में भले ही नर्मदा नहर बाड़मेर में जालोर जिले के किसानों के लिए जीवन रेखा मानी जा रही हो लेकिन समय पर सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने की वजह से किसान परेशान हैं. किसानों को उनके हक का पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है इसलिए किसान आंदोलन करने को मजबूर हैं.
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Gudamalani, Barmer News: भले ही नर्मदा नहर बाड़मेर में जालोर जिले के किसानों के लिए जीवन रेखा मानी जा रही हो लेकिन समय पर सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने की वजह से किसान परेशान हैं. किसानों को उनके हक का पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है इसलिए किसान आंदोलन करने को मजबूर हैं.
वर्ष 2008 में बाड़मेर जिले के गुडामालानी धोरीमन्ना और सेड़वा क्षेत्र में किसानों को सिंचाई के लिए पानी देना शुरू किया गया लेकिन सरकारी सिस्टम सही नहीं होने की वजह कई वर्ष बीत गए लेकिन नर्मदा नहर का सरकारी सिस्टम आज भी सिस्टमैटिक ढंग से काम नहीं कर पा रहा है. इसलिए नर्मदा नहर से सिंचित क्षेत्र के किसानों को आज भी उचित पानी नहीं मिल पा रहा है. इसलिए किसान परेशान हैं. समय पर सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं.
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नर्मदा नहर विभाग के अधिकारियों ने संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में बाराबंदी से पानी देने की घोषणा कर दी लेकिन बाड़मेर और जालोर जिले के हजारों की संख्या में किसान मौजूद थे. किसानों ने बाराबंदी से पानी लेने के लिए विरोध करते हुए नर्मदा नहर विभाग के अधिकारियों के खिलाफ संभागीय आयुक्त की मौजूदगी में नारेबाजी कर विरोध दर्ज किया लेकिन किसानों की एक नहीं सुनी गई. रबी फसल सिंचाई के लिए 20 अक्टूबर से पानी विधिवत छोड़ने की घोषणा कर दी गई लेकिन समय पर किसानों को पानी नहीं दिया गया और तो और विरोध के बाद भी किसानों को बाराबंदी से पानी देना शुरू किया गया लेकिन बाड़ेबंदी के कारण किसानों को पानी सही समय पर नहीं मिल पा रहा है. टेल तक भी पानी नहीं पहुंचने की वजह से भी किसान परेशान है क्योंकि किसानों ने कर्ज लेकर रबी सिंचाई के लिए खेत तैयार कर महंगा बीज खेतों में डाल दिया लेकिन पानी नहीं मिलने की वजह से सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, गुजरात से राजस्थान के हिस्से का करीब 24 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए लेकिन वर्तमान में मात्र 1000 क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है. परेशानियों को देखते हुए भारतीय किसान संघ के बैनर तले किसानों ने रामजी का गोल नर्मदा नहर पंपिंग स्टेशन पर धरना शुरू किया लेकिन धरने के पांच दिन बाद भी नर्मदा नहर के अधिकारियों द्वारा कोई सकारात्मक वार्ता नहीं करने के कारण आक्रोशित किसानों ने महापड़ाव का ऐलान किया है. बड़ी संख्या में किसान महापड़ाव स्थल पर पहुंच रहे किसानों का कहना है कि जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान हाथों-हाथ नहीं किया जाए तब तक डटे रहेंगे.
और क्या कहना है किसानों का
किसानों का कहना है कि 5 दिन बीत जाने के बावजूद भी किसी भी अधिकारी ने धरना स्थल पर आकर किसानों की समस्याओं को नहीं सुना, जिसके बाद किसान नेता और बाड़मेर जैसलमेर से पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी महापड़ाव में किसानों के बीच पहुंचे और किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे कर्नल सोनाराम ने कहा कि मैं भी एक किसान का बेटा हूं. किसान वाजिब मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं अगर समय रहते अधिकारियों ने किसानों की बातों को नहीं सुना तो आंदोलन और तेज करेंगे.
इस दौरान धरना स्थल पर पूर्व प्रधान ताजाराम चौधरी, भारतीय किसान संघ प्रसार प्रमुख पहलाद सियोल, भाजपा नेता सांवलाराम पटेल सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों ने किसानों का समर्थन करते हुए समस्या समाधान की मांग की. किसानों का यह भी कहना है कि प्रशासन ने समय पर रहते कोई हल नहीं निकाला तो आक्रोशित उग्र आंदोलन करेंगे जिसको लेकर जिम्मेदारी प्रशासन की रहेगी.