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Rajasthan Election 2023: राज्य में वोटिंग खत्म हो चुकी है और अब नतीजों का इंतजार है. नतीजों के इंतजार के साथ ही सरकार बनने की चर्चा भी शुरू हो गई है. सरकार बनने पर किसको कितना प्रतिनिधित्व मिलेगा इसको लेकर भी चर्चा चल पड़ी है. सरकार चाहे किसी की भी रही हो राजधानी जयपुर को हमेशा ही तव्वजो मिली है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है क्या इस बार भी जयपुर को सरकार में प्रमुखता मिलेगी ?
मरूधरा के महासमर में जनता ने अपना फैसला सुना दिया है. जनता के फैसले के बाद अब 3 दिसम्बर को सामने आएगा कि किन प्रत्याशियों के भाग्य में जीत है. मतगणना होते ही प्रत्याशियों के भाग्य के साथ ही कांग्रेस और बीजेपी का भी भविष्य तय हो जाएगा कि किसकी सरकार बन रही है. सरकार बनाने के लिए दो तिहाई बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल में शामिल होने की जोड़तोड़ शुरू होगी. हालांकि प्रत्याशियों की संभावित जीत पर कौन कौन मंत्री बनेगा इसको लेकर भी प्रदेश में चर्चाएं शुरू हो गई है. हर कोई प्रत्याशियों की जीत और उनके मंत्री बनने को लेकर अपने अपने समीकरण गिना रहा है. हालांकि सोशल इंजीनियरिंग, प्रभाव और मजबूत पकड़ के आधार पर विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है.
मंत्रिमंडल में सोशल इंजीनियरिंग का तो ध्यान रखा ही जाता है, साथ ही क्षेत्रवार भी प्रतिनिधित्व दिया जाता है. इन सब में जयपुर को हर बार सरकार में खास तव्वजो दी जाती रही है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सरकारों में जयपुर शहर से करीब करीब तीन मंत्री बनाए गए हैं. पिछले बीस साल का ट्र्रेंड देखें तो जयपुर शहर से तीन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता रहा है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस बार भी यही ट्रेंड दिखाई देगा या फिर वर्ष 2008 की तरह नजारा देखने को मिलेगा जब एक मात्र बृजकिशोर शर्मा को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.
जयपुर में राजनीति गुणाभाग को देखा जाए तो वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पांच और बीजेपी ने तीन सीटें जीती थी. इनमें से कांग्रेस सरकार में तीन मंत्री बनाए गए थे. वहीं इससे पहले वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा ने आठ में से सात सीटें जीती थी. इसी तरह वर्ष 2008 के चुनाव में बीजेपी ने सात तथा एक मात्र सीट जीतने वाले बृजकिशोर शर्मा को मंत्री बनाया गया था. इससे पहले 2003 में भाजपा सरकार बनी थी और उसमें तीन मंत्री जयपुर से शामिल किए गए थे.
2018—महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया
2013—अरुण चतुर्वेदी, राजपाल सिंह शेखावत, कालीचरण सराफ
2008—बृजकिशोर शर्मा
2003—घनश्याम तिवाड़ी, नरपत सिंह राजवी और कालीचरण सराफ
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