अलवर में धूमधाम से शाही रथ पर निकली भगवान जगन्नाथ की सवारी, दर्शन के लिए उमड़ा सैलाब
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अलवर में धूमधाम से शाही रथ पर निकली भगवान जगन्नाथ की सवारी, दर्शन के लिए उमड़ा सैलाब

हर वर्ष मनाया जाने वाला जगन्नाथ मेला महोत्सव इस बार कोरोना के चलते दो साल बाद मनाया जा रहा है. जिसके चलते इस आयोजन की रौनक पूरे परवान पर रही. पुराना कटला जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की सवारी रूपबास के लिए जब निकलती है तो भगवान जगन्नाथ के दर्शनों को पूरा शहर उमड़ पड़ता है.

अलवर में धूमधाम से शाही रथ पर निकली भगवान जगन्नाथ की सवारी,  दर्शन के लिए उमड़ा सैलाब

अलवर: हर वर्ष मनाया जाने वाला जगन्नाथ मेला महोत्सव इस बार कोरोना के चलते दो साल बाद मनाया जा रहा है. जिसके चलते इस आयोजन की रौनक पूरे परवान पर रही. पुराना कटला जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की सवारी रूपबास के लिए जब निकलती है तो भगवान जगन्नाथ के दर्शनों को पूरा शहर उमड़ पड़ता है. रथ यात्रा निकलने से पहले पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर में कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली व जिला कलेक्टर डॉक्टर जितेंद्र प्रसाद सोनी ने भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की.

रथ यात्रा पूरे शहर का भृमण करते हुए रूपबास स्थित रूपहरी मंदिर पहुंची.इंद्र विमान में सवार होकर सजधज कर अलवर के आराध्य भगवान जगन्नाथ पुराना कटला स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से बैड बाजे व रामधुनी भजन मंडली के साथ शहर के मुख्य बाजारों से होते हुए रूपबास स्थित रूपहरी मंदिर के लिए निकले. जहां उनके विवाह की रस्मे हुईx, जहां जानकी मैया संग उनका विवाह हुआ . रथयात्रा से पूर्व मन्दिर में कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली व जिला कलेक्टर डॉक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने भगवान जगन्नाथ महाराज की पूजा अर्चना की .

भगवान जगन्नाथ को गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी
दूल्हे के रूप में सजाकर भगवान जगन्नाथ जब मन्दिर की सीढ़ियों से उतर रहे थे. तब दोनों तरफ बज रही घण्टियों से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय नजर आया. यहां हर बार की तरह यहां भगवान जगन्नाथ जी को गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी दी गयी. इसके बाद उन्हें इंद्र विमान में विराजमान कराया गया. यहां ऐसा लगा जैसे पूरा शहर उनके दर्शनों को उमड़ पड़ा हो . पुराना कटला स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया था . यहां पूरी की तर्ज पर हर वर्ष यह आयोजन बड़ी धूम धाम मेले के रूप में मनाया जाता है जिसमे अलवर जिले सहित आस पास के अन्य जिलों व अन्य राज्यो से भी भक्त गण इस मेले में शामिल होते हैं.

पूरे बाजार में रौनक

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बाजाजा बाजार . होपसर्कस .घण्टाघर . चर्चरोड. मन्नी का बड़ .नङ्गली सर्किल होते हुए मेला स्थल रूपबास के रूपहरी मन्दिर पहुंची . इस दौरान रास्ते मे जगह जगह मंदिरों पर भगवान जगन्नाथ की आरती उतारी गई . इन्द्रविमान को रंग बिरंगे फूलों व आकर्षक लाइटों से सजाया गया था . जो भक्तों को आकर्षित कर रही थी . इस शोभायात्रा में ऊंट . घोड़े . बैंड . झांकिया . पानी की प्याऊ .भजन मंडलियां . ताशा पार्टी .शहनाई वादन .हरियाणा से आई भजन मंडलीय शामिल थी . इस्कॉन की भजन मंडली ने भी इसमे अमिट छाप छोड़ी .

रथयात्रा देखने के लिए भीड़ जुटी
रूपबास में हर वर्ष यहां भगवान जगन्नाथ का मेला भरता है 8 जुलाई को भगवान जगन्नाथ के रूपबास के रूपहरी मन्दिर पहुंचने के बाद यहां चार दिनों तक मेला भरता है जिसमे आसपास के जिलों सहित विभिन्न राज्यो से लोग भी शामिल होते हैं. मेला स्थल पर चारो तरफ खान पान की दुकानें कई दिन पहले से ही लग जाती है यहां छोटे छोटे खेल खिलोने बेचने वालों से लेकर बड़े बड़े झूले भी यहां लगे हैं. जहां लोग परिवार सहित पहुंच कर मेले का आनन्द उठाते है . वैसे भी इस बार मेला दो साल बाद भरा गया है जिससे लोगो मे उत्साह देखा जा रहा है .

मेले में सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात
8 जुलाई को भगवान जगन्नाथ रूपबास पहुंचे यहां रूपहरी मन्दिर में उनके विवाह की रस्मे अदा की गई . इस क्षेत्र की रहने वाली महिलाएं उनका स्वागत करती है उनसे लाड़ लड़ाती है वह जानकी मैया को अपनी बेटी मानते हुए विवाह की सारी रस्मे अदा करती है . रथयात्रा के रूपबास पहुंचने के बाद यहां चार दिनों तक मेला भरता है .

यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी मात्रा में पुलिस वर्दी औऱ सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी पूरी निगरानी रखते है यहां इस बार 18 सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी रखी गयी . रूपबास मेला स्थल पर एसपी तेजस्वीनी गौतम .जिला कलेक्टर डॉक्टर जितेंद्र व एएसपी सरिता सिंह सहित श्रीमन मीणा व सीओ आदित्य पूनियां भी पहुंचे और भगवान जगन्नाथ से आशीर्वाद लिया और व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया .

चार दिनों तक भरने वाले इस मेले में 11 तारीख को भगवान जगन्नाथ व जानकी के विवाह की रस्मो के तहत वरमाला महोत्सव का आयोजन किया गया . इस दिन के मेले में विशेष भीड़ देखी गयी . बकायदा रूपबास क्षेत्र की महिलाएं जानकी को अपनी बेटी मानते हुए कन्यादान व बिदाई की रस्मे पूरी करती है . यहां भगवान जगन्नाथ व जानकी मैया का वरमाला महोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न हुआ और हर बार की तरह दोनों एक दूसरे के साथ दाम्पत्य सूत्र में बंधे .

बेटी की तरह विदा होती हैं जानकी मां

चार दिनों के इस भव्य मेले के बाद भगवान जगन्नाथ महाराज जानकी संग वापिस अपने घर पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर लौटते है इस दौरान भी पूरे शहर में मेले की बड़ी रोनक देखने को मिलती है . यहां रूपबास की महिलाएं बकायदा जानकी मैया को बेटी की तरह बिदा करती है . देर रात भगवान जगन्नाथ वापिस पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर में जानकी संग पहुंचते है जहां महिलाएं मंगलगीत गाकर दोनों का स्वागत करती है .

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