भारत में पावर प्लांट, बांग्लादेश को बिजली; किसका फायदा, किसका नुकसान?
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भारत में पावर प्लांट, बांग्लादेश को बिजली; किसका फायदा, किसका नुकसान?

Adani power plant in Jharkhand: पावर प्लांट को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. जैसे क्या अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए इस पावर प्लांट को मंजूरी दी गई? क्या अडानी के इस पावर प्लांट के लिए स्थानीय लोगों से जबरदस्ती जमीन छीन ली गई? क्या नियमों को ताक पर रखकर इसका निर्माण हुआ?

भारत में पावर प्लांट, बांग्लादेश को बिजली; किसका फायदा, किसका नुकसान?

झारखंड के गोड्डा में बने अडानी थर्मल पावर प्लांट की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है. पूछा जा रहा है कि क्या किसी बिजनेस ग्रुप के फायदे के लिए कोयले से बिजली बनाने वाला नया प्लांट लगाना जरूरी है और वो भी तब जब थर्मल प्लांट से बनी बिजली बांग्लादेश को बेची जानी हो? इस प्लांट के लिए अडानी पावर लिमिटेड और बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड के बीच औपचारिक करार हुआ है. इसकी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में अपने बांग्लादेश दौरे में की थी. भारत सरकार और बांग्लादेश के बीच हुए समझौते के तहत ये पावर प्लांट बनाया गया है. इस पावर प्लांट के निर्माण पर कुल 15000 करोड़ रुपए की लागत आई है. इससे बांग्लादेश को बिजली पहुंचाई जा रही है.

पावर प्लांट को लेकर उठने वाले सवाल
- क्या अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए इस पावर प्लांट को मंजूरी दी गई?
- क्या अडानी के इस पावर प्लांट के लिए स्थानीय लोगों से जबरदस्ती जमीन छीन ली गई?
- क्या नियमों को ताक पर रखकर इसका निर्माण हुआ?
- लाखों की लोगों की जान दांव पर लगाकर इसका निर्माण क्यों?
- बिजली बांग्लादेश को, फायदा अडानी का तो पर्यावरण से नुकसान की भरपाई कौन करेगा?

अडानी ग्रुप से नहीं मिला जमीन का पैसा, भीख मांगने पर मजबूर लोग
बांग्लादेश वर्किंग ग्रुप ऑन एक्सटर्नल डेट और भारत स्थित ग्रोथवॉच नाम की संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में आरोप है कि अडानी पावर ने इस पावर प्लांट की स्थापना के लिए झारखंड में किसानों को बिना उचित मुआवजा दिए जमीनें अधिग्रहित की हैं.

गोड्डा के रहने वाले छोटी लईया नाम के शख्स बताते हैं कि उनकी 5 कट्ठा जमीन थी. वो हाथ-पैर से लाचार हैं. वो दूसरों से मांगकर परिवार का गुजारा करते हैं. उन्हें जमीन के बदले पैसे नहीं मिले हैं. वो दो भाई हैं और दोनों को सिर्फ 50 हजार रुपये मिले हैं. अब वो मांगने से जो मिल जाता है उसी से पेट भरते हैं. वो कहते हैं, 'मेरी जमीन अडानी के पास चली गई है. क्या करें, पैसा मिल नहीं रहा है, भूखे मरने की नौबत आ गई है.'

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प्लांट से होने वाले नुकसान पर खर्च होंगे सरकार के 5,569 करोड़ 
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस पावर प्लांट से निकलने वाले जानलेवा हवा और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से होने वाले नुकसान की भरपाई पर प्रतिवर्ष 5,569 करोड़ रुपये खर्च होंगे. गोड्डा के इस पॉवर प्लांट में एक दिन में 1800 टन कोयला जलेगा. इससे 900 फीट लंबा धुआं निकलेगा और 8 मील तक प्रदूषण फैलाएगा.

गंगा का पानी... सांस लेना भी दूभर होगा
थर्मल पॉवर प्लांट में पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती हैं. गोड्डा पावर प्लांट में 36 मिलियन क्यूबिक लीटर पानी की जरूरत हर दिन होती हैं. आरोप तो ये भी है कि इस पावर प्लांट के लिए स्थानीय नदी से पानी लेने की बात कही गई थी लेकिन बाद में 100 किलोमीटर दूर गंगा नदी से पानी लाकर इस पावर प्लांट में इस्तेमाल किया जा रहा है. पर्यावरणविद् चेतावनी दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस इलाके में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाएगा कि यहां सांस लेना भी दूभर होगा.

फायदा अडानी का, नुकसान झारखंड के लोगों का!
भले ही झारखंड सरकार को इस थर्मल पावर प्लांट से बनने वाली 25 फीसदी बिजली देने का वादा किया गया है, लेकिन इस पावर प्लांट से पर्यावरण को होने वाला 100 फीसदी नुकसान भी झारखंड के लोगों को ही झेलना है तो आखिर इस पावर प्लांट से किसको फायदा है?

दिसंबर 2022 में अमेरिका के मशहूर अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक ऑनलाइन रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक तरफ तो प्रदूषण फैलाने वाले कोल बेस्ड प्लांट के बजाय ग्रीन एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य रखा है लेकिन दूसरी तरफ अडानी के एक गैरजरूरी पावर प्लांट को मंजूरी दी गई जिससे कुछ ही भारतीयों को फायदा होगा.

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पावर प्लांट के पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को नजरअंदाज कर सरकार ने उसे मंजूरी दी जिसका फायदा गौतम अडानी को होगा. वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अडानी ग्रुप की कमाई में 60 प्रतिशत से ज्यादा कोयले पर आधारित बिजनेस से आता है. इनमें कोयले से चलने वाले 4 पावर प्लांट, कोयले की 18 खदानें और कोयले से जुड़े अन्य ऑपरेशन शामिल हैं.  

सवाल ये है कि कोयले से बिजली बनाकर बांग्लादेश को बेचना किसके फायदे का सौदा है? अब इसे समझने के लिए भी आपको कुछ बातें पता होनी चाहिए.

प्वाइंट नंबर 1
झारखंड भारत में सबसे कम बिजली उपलब्धता वाला राज्य है. यहां डिमांड से करीब 17 फीसदी कम बिजली की सप्लाई है. लेकिन झारखंड में बिजली बनाकर बांग्लादेश भेजी जा रही है. क्या ये झारखंड के साथ मजाक नहीं है.

प्वाइंट नंबर 2
गोड्डा में अडानी पावर ने बांग्लादेश को बिजली बेचने के लिए जो थर्मल पावर प्लांट लगाया है, उसके निर्माण का ठेका चीन की कंपनी सेप्को थ्री को दिया गया है.

प्वाइंट नंबर 3
गौर करने वाली बात ये भी है कि बांग्लादेश, अडानी के गोड्डा पावर प्लांट से 2 रुपये 72 पैसे प्रति किलोवाट घंटा की दर से बिजली खरीद रहा है, जो बांग्लादेश में किसी भी पावर प्लांट से ज्यादा है.

प्वाइंट नंबर 4
अडानी और बांग्लादेश के बीच जो समझौता हुआ है, उसके मुताबिक गोड्डा पावर प्लांट को बांग्लादेश सरकार को 2392 करोड़ रुपये सालाना का भुगतान करना ही होगा चाहे फिर अडानी पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली की सप्लाई हो या ना हो.

बांग्लादेश के संगठन 'बांग्लादेश वर्किंग ग्रुप ऑन एक्सटर्नल डेट' (Bangladesh Working Group On External Date) का दावा है कि इस डील से सिर्फ अडानी ग्रुप को फायदा होगा, बांग्लादेश के लोगों को नहीं.

 

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