DNA With Sudhir Chaudhary: शुक्रवार को देश के एक या दो नहीं बल्कि 14 राज्यों में 90 से ज्यादा स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए. इनमें 8 विरोध प्रदर्शन ऐसे थे, जिनमें हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं. इनमें सबसे बड़ी समानता ये है कि ये सारे विरोध प्रदर्शन मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद शुरू हुए.
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DNA With Sudhir Chaudhary: भारत में शुक्रवार को जो हुआ है, वो इससे पहले कभी नहीं हुआ. भारत के 14 राज्यों में शुक्रवार की नमाज के बाद एक साथ, एक ही समय पर हजारों लोग विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए. उन्होंने कुछ घंटों तक जो चाहा, वो किया.
उन्होंने पत्थर बरसाए, तोड़फोड़ की, गाड़ियों को आग लगाई और यहां तक कि पुलिस पर बम भी फेंके. ये एक अभूतपूर्व घटना है. सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जो भारत के लोकतंत्र की स्थिति को बयां करती है. फांसी के फंदे पर नुपूर शर्मा का पुतला झूल रहा है, जिसे प्रदर्शनकारियों ने अपने इरादे जताने के लिए यहां लटकाया है. आज ये पुतला है, कल इसकी जगह नुपूर शर्मा भी हो सकती हैं. यही धमकी देने के लिए आज पूरे देश में ये सुनियोजित हिंसा हुई है.
मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो ने एक बार कहा था, 'मज़हब जब दिलों से निकलकर दिमाग़ पर चढ़ जाए तो ज़हर बन जाता है' और इस समय हमारे देश में ऐसा ही हो रहा है.
शुक्रवार को देश के एक या दो नहीं बल्कि 14 राज्यों में 90 से ज्यादा स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए. इनमें 8 विरोध प्रदर्शन ऐसे थे, जिनमें हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं. इनमें सबसे बड़ी समानता ये है कि ये सारे विरोध प्रदर्शन मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद शुरू हुए.
ये इत्तेफाक तो बिल्कुल नहीं हो सकता. ऐसा लगता है कि इसके पीछे कोई बड़ी साज़िश और योजना जरूर रही होगा क्योंकि ये मामला 26 मई को एक टीवी डिबेट से शुरू हुआ था. इस बात को 15 दिन बीत चुके हैं. यानी इतने दिन तक तो कुछ नहीं हुआ. लेकिन आज अचानक से देशभर में हिंसक भीड़ सड़कों पर उतर आई और नुपूर शर्मा को फांसी देने की मांग करने लगी.
सबसे ज्यादा तनाव उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में देखने को मिला, जहां हिंसक भीड़ ने पुलिस पर जबरदस्त पत्थरबाजी की और इस दौरान कुछ गाड़ियों को भी आग लगा दी गई. हमें इस हिंसा के कई ऐसे वीडियो मिले हैं, जिनमें छोटे-छोटे बच्चे मुंह पर कपड़ा बांध कर पुलिस पर पत्थर बरसाते हुए दिख रहे हैं.
सोचिए, इन बच्चों के दिमाग में किस कदर धार्मिक जहर भरा गया होगा कि ये पूरे सरकारी तंत्र को चुनौती देने के लिए सड़कों पर उतर आए और अपने हाथों में पत्थर उठा लिए. इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. इसके अलावा दंगाइयों ने प्रयागराज के ADG प्रेम प्रकाश और SP की गाड़ी पर भी पत्थर बरसाए. आरोप है कि, ये हिंसक भीड़ वहां की एक बड़ी मस्जिद से आई थी, जहां शुक्रवार की नमाज पढ़ी गई थी. इसके अलावा ये भी आरोप है कि, इस हिंसा में सैकड़ों युवा शामिल हुए, जो वहां स्थित मदरसों में पढ़ते हैं.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भी जुमे की नमाज के बाद ढाई हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ सड़कों पर उतर आई. और इस भीड़ को देख कर इलाके के लोग इतना डर गए कि उन्होंने अपनी दुकानें बन्द कर दीं. खासतौर पर जो हिन्दू समुदाय के लोग हैं, उन्होंने दंगों के डर से अपनी दुकानों को बंद कर दिया.
इसके अलावा इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए गए और पैगम्बर मोहम्मद का अपमान करने के लिए बीजेपी के प्रवक्ताओं को गिरफ्तार करने की मांग की गई. ये बात हम आपको पहले दिन से बता रहे हैं कि अब ये पूरा मामला धर्मयुद्ध में बदल चुका है और इस युद्ध में इस्लाम के नाम पर सबकुछ कब्जा करने की कोशिश की जा रही है. असल में धर्म जब कानून व्यवस्था को चुनौती देने लगता है तो अमन शांति खतरे में पड़ जाती है. इस समय हमारे देश में ऐसा ही हो रहा है.
हम मानते हैं कि इस देश में किसी को भी पैगम्बर मोहम्मद का अपमान करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए. और पैगम्बर मोहम्मद साहब ही क्यों, किसी भी धर्म का और उसके भगवानों का अपमान नहीं होना चाहिए. लेकिन इस मामले में आप देखेंगे तो बीजेपी अपने दोनों प्रवक्ताओं को उनके पद से बर्खास्त कर चुकी है. अलग-अलग राज्यों में उनके खिलाफ FIR भी दर्ज हो चुकी है और पुलिस अपना काम कर रही है.
लेकिन ये लोग चाहते हैं कि इस मामले में बीजेपी के प्रवक्ताओं को गिरफ्तार किया जाए. यानी पहले तो इन लोगों ने बीजेपी को प्रवक्ताओं को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग की और जब बीजेपी ने ये कार्रवाई कर दी तो ये लोग उन पर FIR करने की मांग करने लगे और जब FIR भी हो गई है तो ये लोग अब चाहते हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए. लेकिन हमें लगता है कि अगर उनकी अब गिरफ्तारी हो भी गई तो यही लोग फिर इन्हें फांसी पर चढ़ाने की मांग करेंगे.
कर्नाटक के बेलगावी में कुछ लोगों ने नूपुर शर्मा के पुतले को एक मस्जिद के पास फांसी के फंदे पर लटका दिया. और वहां एक विरोध प्रदर्शन के दौरान ये कहा गया कि इससे कम सजा वो बर्दाश्त नहीं करेंगे. आज ये पुतला है, कल इस जगह पर नुपूर शर्मा भी हो सकती हैं.
पंजाब के लुधियाना में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया और इस दौरान एक पोस्टर पर लिखा था- गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सज़ा, सर तन से जुदा. गुस्ताख का मतलब होता है, अपमान और रसूल का मतलब पैगम्बर मोहम्मद साहब से है. यानी पैगम्बर मोहम्मद साहब का जो भी अपमान करेगा, उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा. सोचिए, ये असहनशीलता नहीं है तो क्या है? और क्या ये विरोध प्रदर्शन.. इस देश को ये बताने का तरीका नहीं है कि, ये लोग भारत की कानून व्यवस्था को नहीं मानते.
प.बंगाल के हावड़ा में शुक्रवार की नमाज के बाद बड़े पैमाने पर दंगे हुए. आपको जान कर हैरानी होगी कि इन दंगों में हिंसक भीड़ ने पुलिस पर हैंड ग्रेनेड से हमला किया. इस हमले का एक वीडियो हमें मिला है, जिसमें पुलिसकर्मी बता रहा है कि दंगाइयों ने उन पर हैंड ग्रेनेड फेंका है.
अब तक इस तरह की तस्वीरें कश्मीर से आती थीं, जहां आतंकवादी सेना पर हमला करने के लिए ग्रेनेड का इस्तेमाल करते थे. लेकिन अब संविधान और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर निकाले जाने वाले विरोध प्रदर्शनों में भी ऐसे बम का इस्तेमाल हो रहा है.
इस तरह की असहनशीलता आपने आज तक नहीं देखी होगी. असल में हमारे देश में एक खास धर्म के लोगों ने धर्म को इतना बड़ा बना दिया है कि वो ना तो इस देश के लोकतंत्र को मानने के लिए तैयार हैं, ना संविधान को मानने के लिए तैयार हैं और ना ही कानून व्यवस्था को मानने के लिए तैयार हैं. ये लोग खुद को इस देश की संवैधानिक व्यवस्था से ऊपर मानने लगे हैं.
भारत और दुनिया के दूसरे लोकतांत्रिक देशों में बुनियादी फर्क ये है कि वहां देश को और संविधान को धर्म से ऊपर रखा जाता है. जबकि मुस्लिम देशों में धर्म को सबसे ऊपर रखा जाता है. अब भारत में भी ऐसा ही हो रहा है. अब यहां भी धर्म की जड़ें गहरी और मजबूत हो रही है. और इसके नाम पर अब कुछ भी किया जा सकता है.
रांची-सोलापुर-कोलकाता में भी पत्थरबाजी-प्रदर्शन
झारखंड के रांची में जब एक खास धर्म के लोग जुमे की नमाज के बाद जुलूस निकाल रहे थे, तब इन लोगों ने अचानक से पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हो गए. इसके अलावा महाराष्ट्र के सोलापुर में इतना विशाल प्रदर्शन हुआ कि सड़कों पर पैर रखने तक की जगह नहीं थी. इन प्रदर्शन में पांच हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए. और ये सभी लोग एक ही मांग कर रहे थे कि पैगम्बर मोहम्मद साहब का अपमान करने वालों को फांसी होनी चाहिए. जबकि कोलकाता में भी इसी तरह का एक विशाल जुलूस निकाला गया, जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए और दिल्ली की जामा मस्जिद के बाहर भी आज इस मुद्दे पर हंगामा हुआ.
उत्तर प्रदेश में भी अलग अलग स्थानों पर प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़पें हुईं. ये सारी घटनाएं एक ही बात का इशारा कर रही हैं और वो ये कि देशभर में इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कोई संयोग नहीं है. बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा प्रयोग हो सकता है.
उत्तर प्रदेश में अब तक हिंसा के आरोप में 116 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें 45 लोग अकेले सहारनपुर में गिरफ्तार किए गए हैं. शुरुआती जांच में इस हिंसा के पीछे AIMIM पार्टी का नाम आ रहा है, जो असदुद्दीन ओवैसी की पाटी है. ये घटना भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी चुनौती है.
तेलंगाना में एक जुलूस के दौरान प्रदर्शनकारियों ने तिरंगे के साथ छेड़छाड़ की. इन लोगों ने तिरंगे के बीच में अशोक चक्र को हटाकर इस्लामिक कलमा लिख दिया. अब आप समझ गए होंगे कि हम क्यों कह रहे हैं कि इन लोगों के लिए धर्म से ऊपर कुछ भी नहीं है. इस देश का संविधान भी नहीं.