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JDU-BJP alliance in Bihar: बिहार में सियासी घमासान (Bihar politics) के बीच बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के शीर्ष नेताओं को हालात का आकलन करने और रणनीति तैयार करने के मकसद से लिए दिल्ली बुलाया है. रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज हुसैन, नितिन नवीन, सतीश चंद्र दुबे जैसे बीजेपी नेता दिल्ली पहुंचकर आगे की योजना पर काम करेंगे. बीजेपी ने सत्ताधारी जेडीयू, विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, हम और वाम दलों समेत राज्य के अन्य राजनीतिक दलों की अलग-अलग बैठकों के बाद यह फैसला लिया है. उधर, बिहार के तमाम विपक्षी दलों ने एक सुर में कहा है कि अगर जेडीयू, बीजेपी (BJP-JDU rift) से अलग होती है तो वह सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार हैं. साथ ही खबर ये भी कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच फोन पर बात हुई है.
मंगलवार को चलेगा बैठकों का दौर
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि मंगलवार को होने वाली पार्टी की बैठक में सभी विधायकों, एमएलसी और सांसदों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि आरसीपी सिंह के बाहर निकलने के बाद पैदा हुए हालात और आगे के एक्शन प्लान पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है. हालांकि जेडीयू की ओर से बताया गई वजह बहुत मजबूत नहीं लगती क्योंकि अन्य राजनीतिक दल मंगलवार को पटना में भी यही कवायद कर रहे हैं.
बिहार बीजेपी के प्रमुख संजय जायसवाल ने बैठकों से इस दौर पर कहा कि हर पार्टी अपने विधायकों की बैठकें करती है और इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है. हमने 31 जुलाई को भी ऐसा ही किया था. वर्तमान में, बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार सुचारू रूप से चल रही है. जेडीयू अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार अच्छी तरह से चल रही है और फिलहाल हमारा बीजेपी से कोई मतभेद नहीं है.
विपक्षी दलों का नीतीश को ऑफर
उधर, सियासी घमासान के बीच आरजेडी के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने कहा कि वह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू को गले लगाने को तैयार हैं, बशर्ते वह बीजेपी का साथ छोड़ दे. कांग्रेस और वामदलों ने भी सोमवार को संकेत दिया कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका समर्थन करेंगे. इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी के बीच कुछ समय से चल रही खींचतान अब अंतिम पड़ाव के करीब पहुंच चुकी है. जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के विधायकों की मंगलवार को होने वाली बैठकों से पहले ही राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य का सियासी पारा और चढ़ने लगा है.
गौरतलब है कि नीतीश कुमार साल 2017 में आरजेडी और कांग्रेस का साथ छोड़कर एनडीए में लौट आए थे. बीजेपी के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार साल 2014 में एनडीए को छोड़ आरजेडी व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे. नीतीश कुमार की ओर से एक और राजनीतिक पलटी मारने के कयास एक बार फिर मजबूत हुए जब वह पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई समारोह और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में वह शामिल नहीं हुए. साथ ही हाल में हुई नीति आयोग की बैठक से भी उन्होंने दूरी बनाकर रखी थी.
(इनपुट: एजेंसी)
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