Sir Creek: कच्‍छ के दलदली इलाके सर क्रीक की कहानी, जहां PM मोदी ने मनाई दिवाली
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Sir Creek: कच्‍छ के दलदली इलाके सर क्रीक की कहानी, जहां PM मोदी ने मनाई दिवाली

Sir Creek and Rann of Kutch: मूल रूप से इस जलीय क्षेत्र को बाण गंगा कहा जाता रहा है लेकिन बाद में ब्रिटिश प्रतिनिधि के नाम पर इसका नाम सर क्रीक हो गया.

 Sir Creek: कच्‍छ के दलदली इलाके सर क्रीक की कहानी, जहां PM मोदी ने मनाई दिवाली

Narendra Modi Visited Sir Creek: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के कच्छ के सर क्रीक क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों के साथ रोशनी का त्योहार मनाया. सर क्रीक के पास लक्की नाला में समारोह में भाग लेने के दौरान उन्हें जवानों को मिठाई खिलाते हुए देखा गया. यह क्षेत्र पाकिस्तान के साथ क्रीक सीमा की शुरुआत को चिह्नित करता है. दलदली क्षेत्र के लिए मशहूर यह इलाका पेट्रोल ऑपरेशन के लिए बड़ी चुनौतियां पेश करता है. इस पर बीएसएफ की सतर्क निगरानी रहती है.

क्या है सर क्रीक?
भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर 96 किमी लंबी ज्‍वारीय जलीय पट्टी है. आजादी के पहले ये इलाका ब्रिटिश भारत के अधीन बॉम्‍बे प्रेसीडेंसी का हिस्‍सा था. विभाजन के बाद ये इलाका भारत के गुजरात और पाकिस्‍तान के सिंध की सीमा से लगा हुआ है. मूल रूप से इस जलीय क्षेत्र को बाण गंगा कहा जाता रहा है लेकिन बाद में ब्रिटिश प्रतिनिधि के नाम पर इसका नाम सर क्रीक हो गया. ये एरिया एशिया के सबसे बड़े मछली उत्‍पादन केंद्रों में से एक है. अस्‍पष्‍ट सीमा रेखा के कारण यहां से मछुआरे दूसरे के इलाके में चले जाते हैं. ये काफी दुर्गम दलदली इलाका है जहां जहरीले सांप और बिच्छू मिलते हैं.

इस इलाके को आमतौर पर पाकिस्तान से ड्रग तस्करों और आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के प्रयासों का केंद्र बिंदु माना जाता है. हालांकि, बीएसएफ फोर्सेज, जिसमें उनके एलीट मगरमच्छ कमांडो भी शामिल हैं, ने भारतीय क्षेत्र की सुरक्षा के लिए इन खतरों को लगातार नाकाम किया है.

सर क्रीक एक ज्‍वारीय एस्‍चुरी (मुखनद) है. यानी पानी के कटाव के कारण बना है और यहां आने वाले ज्‍वार-भाटे के कारण ये तय कर पाना मुश्किल है कि कितना एरिया पानी और कितना बाहर रहेगा. इस क्षेत्र में तेल और गैस के विशाल भंडार भी पाए जाते हैं. 

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विवाद की जड़
भारत और पाकिस्‍तान के बीच विवाद ऐतिहासिक है. दरअसल ईस्ट इंडिया कंपनी के सेनापति चार्ल्स नैपियर ने 1842 मे सिंध जीतने के बाद उस प्रदेश का प्रशासन बॉम्‍बे प्रेसीडेंसी को सौंप दिया था. 1947 में विभाजन के बाद सिंध प्रांत पाकिस्‍तान के साथ चला गया जबकि कच्‍छ का ये इलाका भारत का ही हिस्‍सा बना रहा. पाकिस्‍तान ने इस पर अपना मालिकाना हक जताया. इसके जवाब में भारत का प्रस्ताव था कि कच्छ के रण से लेकर खाड़ी के मुख तक एक सीधी रेखा को सीमा रेखा मान लेना चाहिए. परंतु यह प्रस्ताव पाकिस्तान को मंजूर नहीं था. इसलिए ये अभी तक सीमा विवाद बना हुआ है.

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