Himachal village stays away from celebrating Diwali: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सम्मू गांव में दीवाली नहीं मनाई जाती है. सदियों से चली आ रही एक परंपरा के अनुसार गांव के लोग इस त्योहार को मनाने से डरते हैं. कहा जाता है कि कई पीढ़ियों पहले एक महिला ने दिवाली के दिन श्राप दिया था. तब से गांव में कोई भी उत्सव नहीं मनाया जाता है. गांव के एक बुजुर्ग का कहना है कि जब भी कोई दिवाली मनाने की कोशिश करता है, तो कोई बुरी घटना या नुकसान होता है और ऐसे में वे घर के अंदर ही रहना पसंद करते हैं.
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Sammu village people does not celebrate Diwali: भारत में दीपावली का त्योहार (Diwali 2024) बेहद धूमधाम से मनाया गया. भारत के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में भी दिवाली का त्योहार मनाया गया और अभी भी मनाया जा रहा है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के एक गांव में दिवाली ही नहीं मनाई जाती. यहां दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा भी नहीं होती है और लोग पटाखे भी नहीं जलाते हैं. आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह बिल्कुल सच है. आइए जानते हैं कि आखिर इस जगह पर रोशनी का त्योहार दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती है और इसके पीछे की मान्यता क्या है? किसी बात का है डर या कुछ और वजह.
सम्मू गांव के लोग दिवाली नहीं मनाते
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सम्मू गांव के लोग दिवाली नहीं मना रहे हैं, जो उनके यहां प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा है. सदियों पहले दिवाली के दिन एक महिला के ‘सती’ हो जाने के बाद उसके ‘‘अभिशाप’’ के डर से ग्रामीण इस त्योहार को नहीं मनाते हैं. प्रकाश का जीवंत त्योहार दिवाली सम्मू गांव के लोगों के लिए अन्य दिनों की तरह ही बीतता है, जब घरों में कोई विशेष सजावट या रोशनी नहीं की जाती और पटाखों की आवाजें गायब रहती हैं.
किस बात से गांव वाले नहीं मनाते दिवाली
गांव के लोग परम्पराओं के फेर में फंसे हुए हैं और उन्हें दिवाली के दिन किसी भयानक अनहोनी का डर सताता रहता है. किंवदंती है कि काफी समय पहले एक महिला दिवाली मनाने के लिए यहां अपने माता-पिता के घर गई थी. लेकिन जल्द ही उसे खबर मिली कि उसके पति की मृत्यु हो गई, जो राजा के दरबार में एक सैनिक था.
गर्भवती महिला का श्राप
निवासियों का कहना है कि गर्भवती महिला सदमे को सहन नहीं कर सकी और अपने पति की चिता पर बैठकर सती हो गई थी और ग्रामीणों को श्राप दिया कि वे कभी भी दिवाली नहीं मना पाएंगे. तब से, इस गांव में दिवाली कभी नहीं मनाई गई है. भोरंज पंचायत प्रधान पूजा देवी और कई अन्य महिलाओं ने कहा कि जब से वे शादी करके इस गांव में आई हैं, उन्होंने कभी यहां दिवाली का जश्न मनाते नहीं देखा.
गांव के लोग बाहर भी नहीं मनाते दिवाली
हमीरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित सम्मू गांव भोरंज पंचायत के अंतर्गत आता है. पूजा देवी ने बताया, ‘‘अगर गांव वाले बाहर भी बस जाएं तो भी महिला का अभिशाप उन्हें नहीं छोड़ेगा. कुछ साल पहले, गांव से दूर जा बसा एक परिवार दिवाली के लिए कुछ स्थानीय व्यंजन बना रहा था, तभी उनके घर में आग लग गई. गांव के लोग केवल सती की पूजा करते हैं और उनके सामने दीये जलाते हैं.’’
दिवाली मनाने की कोशिश करने वालों के साथ अनहोनी
गांव के एक बुजुर्ग, जिन्होंने बिना किसी उत्सव के 70 से अधिक दिवाली देखी हैं, कहते हैं कि जब भी कोई दिवाली मनाने की कोशिश करता है, तो कोई बुरी घटना या नुकसान होता है और ऐसे में वे घर के अंदर ही रहना पसंद करते हैं. एक अन्य ग्रामीण वीना कहती हैं, ‘‘सैकड़ों सालों से लोग दिवाली मनाने से परहेज करते आ रहे हैं. दिवाली के दिन अगर कोई परिवार गलती से भी घर में पटाखे फोड़ता है और पकवान बनाता है, तो मुसीबत आनी तय है.’’ इनपुट भाषा से भी