पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी मां के जन्मदिन के विशेष अवसर पर पूरी दुनिया से अपने मन की बात साझा की है. उन्होंने अपने जीवन के इस खास दिन पर अपनी भावनाओं को शब्दों में उकेरा है. पीएम मोदी ने लिखा, 'मां ये सिर्फ एक शब्द नहीं है. जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है. दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है. मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है. और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मां की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद लिया. प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के चरणों में बैठकर उनसे बातें करते भी नजर आए. इससे पहले, पीएम मोदी की मां हीराबेन के उम्र के सौवें वर्ष में प्रवेश करने के शुभ अवसर पर घर में विशेष पूजा पाठ का आयोजन किया गया. जिसमें परिवार के चुनिंदा लोगों ने हिस्सा लिया.
PM मोदी ने अपनी मां के जन्मदिन पर आगे ये लिखा कि भावनाओं को आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं. मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं. यानी उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है. पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते. यानी 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है.
मां के जन्मदिन पर मोदी के मन की बात
पीएम मोदी ने आगे लिखा कि पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं. घर पर सोसायटी के कुछ नौजवान लड़के आए हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं. मां आज भी वैसी ही हैं. शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है. वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है. लेकिन परिवार में जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उन्होंने पिताजी के जन्मशती वर्ष में इस बार 100 पेड़ लगाए हैं.
पीएम मोदी आगे कहते हैं कि उनकी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी. ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है. आज जब मैं अपनी मां के बारे में लिख रहा हूं, तो पढ़ते हुए आपको भी ये लग सकता है कि अरे, मेरी मां भी तो ऐसी ही हैं, मेरी मां भी तो ऐसा ही किया करती हैं. ये पढ़ते हुए आपके मन में अपनी मां की छवि उभरेगी. मां की तपस्या, उसकी संतान को, सही इंसान बनाती है. मां की ममता, उसकी संतान को मानवीय संवेदनाओं से भरती है. मां एक व्यक्ति नहीं है, एक व्यक्तित्व नहीं है, मां एक स्वरूप है. हमारे यहां कहते हैं, जैसा भक्त वैसा भगवान. वैसे ही अपने मन के भाव के अनुसार, हम मां के स्वरूप को अनुभव कर सकते हैं.
आगे पीएम मोदी ने लिखा कि मेरी मां का जन्म, गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर में हुआ था. वडनगर से ये बहुत दूर नहीं है. मेरी मां को अपनी मां यानी मेरी नानी का प्यार नसीब नहीं हुआ था. एक शताब्दी पहले आई वैश्विक महामारी का प्रभाव तब बहुत वर्षों तक रहा था. उसी महामारी ने मेरी नानी को भी मेरी मां से छीन लिया था. मां तब कुछ ही दिनों की रही होंगी. उन्हें मेरी नानी का चेहरा, उनकी गोद कुछ भी याद नहीं है. आप सोचिए, मेरी मां का बचपन मां के बिना ही बीता, वो अपनी मां से जिद नहीं कर पाईं, उनके आंचल में सिर नहीं छिपा पाईं. मां को अक्षर ज्ञान भी नसीब नहीं हुआ, उन्होंने स्कूल का दरवाजा भी नहीं देखा. उन्होंने देखी तो सिर्फ गरीबी और घर में हर तरफ अभाव ही देखा.
अपने पत्र में पीएम मोदी ने ये भी लिखा कि हम आज के समय में इन स्थितियों को जोड़कर देखें तो कल्पना कर सकते हैं कि मेरी मां का बचपन कितनी मुश्किलों भरा था. शायद ईश्वर ने उनके जीवन को इसी प्रकार से गढ़ने की सोची थी. आज उन परिस्थितियों के बारे में मां सोचती हैं, तो कहती हैं कि ये ईश्वर की ही इच्छा रही होगी. लेकिन अपनी मां को खोने का, उनका चेहरा तक ना देख पाने का दर्द उन्हें आज भी है.
पीएम मोदी आगे कहते हैं कि बचपन के संघर्षों ने मेरी मां को उम्र से बहुत पहले बड़ा कर दिया था. वो अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो भी सबसे बड़ी बहू बनीं. बचपन में जिस तरह वो अपने घर में सभी की चिंता करती थीं, सभी का ध्यान रखती थीं, सारे कामकाज की जिम्मेदारी उठाती थीं, वैसे ही जिम्मेदारियां उन्हें ससुराल में उठानी पड़ीं. इन जिम्मेदारियों के बीच, इन परेशानियों के बीच, मां हमेशा शांत मन से, हर स्थिति में परिवार को संभाले रहीं.
मां और बेटे का प्रेम अद्भुत होता है. उसकी किसी भी चीज से तुलना नहीं की जा सकती है. ऐसे में आज इस खास मौके पर दोनों की अनदेखी तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
पीएम मोदी का अपनी मां के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है. वो अक्सर अपनी मां से मिलने के लिए वक्त निकाल ही लेते हैं. अपने लेख में उन्होंने ये भी बताया कि उनकी मां कभी अपेक्षा नहीं करती थीं कि वो या उनके भाई-बहन अपनी पढ़ाई छोड़कर उनकी मदद करें. मां ने कभी मदद के लिए, उनका हाथ बंटाने के लिए नहीं कहा. मां को लगातार काम करते देखकर हम भाई-बहनों को खुद ही लगता था कि काम में उनका हाथ बंटाएं. मुझे तालाब में नहाने का, तालाब में तैरने का बड़ा शौक था इसलिए मैं भी घर के कपड़े लेकर उन्हें तालाब में धोने के लिए निकल जाता था. कपड़े भी धुल जाते थे और मेरा खेल भी हो जाता था.
मां आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं
ये तस्वीर उस वक्त की है जब पीएम मोदी की मां अपने बेटे से मिलने दिल्ली आई थीं. अपनी मां की जिंदगी को याद करते हुए उन्होंने ये भी लिखा, 'आपने भी देखा होगा, मेरी मां कभी किसी सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ नहीं जाती हैं. अब तक दो बार ही ऐसा हुआ है जब वो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मेरे साथ आई हैं. एक बार मैं जब एकता यात्रा के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर लौटा था, तो अहमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में मां ने मंच पर आकर मेरा टीका किया था. मैं अपनी मां की इस जीवन यात्रा में देश की समूची मातृशक्ति के तप, त्याग और योगदान के दर्शन करता हूं. मैं जब अपनी मां और उनके जैसी करोड़ों नारियों के सामर्थ्य को देखता हूं, तो मुझे ऐसा कोई भी लक्ष्य नहीं दिखाई देता जो भारत की बहनों-बेटियों के लिए असंभव हो. अभाव की हर कथा से बहुत ऊपर, एक मां की गौरव गाथा होती है. संघर्ष के हर पल से बहुत ऊपर, एक मां की इच्छाशक्ति होती है. मां, आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं.'
Photos: (narendramodi.in)
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