उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी की तारीफों के पढ़े कसीदे, क्या हैं इसके मायने; जम्मू-कश्मीर के CM के मन में क्या चल रहा?
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उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी की तारीफों के पढ़े कसीदे, क्या हैं इसके मायने; जम्मू-कश्मीर के CM के मन में क्या चल रहा?

Jammu Kashmir News: प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) और जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) बड़ी गर्मजोशी से मिले. अब्दुल्ला विपक्षी इंडिया अलायंस के साथी हैं, फिर भी उन्होंने मोदी की तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े. वहीं मोदी ने उनकी मौजूदगी में जनता को भरोसा दिलाया कि वो उनके सपनों को साकार करने में आने वाली हर मुसीबत को दूर करेंगे.

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी की तारीफों के पढ़े कसीदे, क्या हैं इसके मायने; जम्मू-कश्मीर के CM के मन में क्या चल रहा?

PM Modi Omar Abdullah: पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर में Z मोड़ टनल का उद्घाटन किया. पिछले साल उमर अब्दुल्ला की अगुवाई वाली NC सरकार के गठन के बाद ये प्रधानमंत्री का पहला जम्मू-कश्मीर दौरा था. इस दौरान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मोदी की जमकर तारीफ की. टनल को जम्मू-कश्मीर के लोगों को समर्पित करने के बाद मंच पर पहुंचने पर मोदी को अब्दुल्ला ने पेपर माचे पेंटिंग भेंट की. फिर अब्दुल्ला ने अपने संबोधन में मोदी का जमकर गुणगान किया. वहीं प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री के प्रयासों के लिए गर्मजोशी से ताली बजाकर हाथ मिलाया.

मोदी की लगातार तारीफ कर रहे अब्दुल्ला 

अब्दुल्ला ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “दिल और दिल्ली” के बीच की खाई को पाटने और केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने के प्रयासों की सराहना की. साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा जल्द ही पूरा करेंगे.

दोनों हाथ से बजती है ताली

कहते हैं कि ताली दोनों हाथ से बजती है. अब्दुल्ला ने मोदी की तारीफ में कसीदे गढ़े तो मोदी ने भी अपने लगभग आधे घंटे के भाषण के दौरान बार-बार उमर अब्दुल्ला का जिक्र किया और कहा कि अब्दुल्ला द्वारा उद्घाटन की पूर्व संध्या पर जेड-मोड़ सुरंग का वीडियो और तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करने के बाद वह अधीर हो गए थे.

अपने भाषण में मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में कश्मीर के पहले अंतरराष्ट्रीय मैराथन में अब्दुल्ला की भागीदारी का भी जिक्र किया और कहा कि उनका वीडियो वायरल हो गया है. उन्होंने कहा, 'जब वह दिल्ली में मुझसे मिले तो मैंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई दी तब वह पूरे उत्साह से भरे हुए थे. जम्मू-कश्मीर देश का ताज है. यहां विकास की नई गाथा लिखी जा ​​रही है. मैं चाहता हूं कि यह और समृद्ध बने. जम्मू-कश्मीर में शांति है.'

मोदी की तारीफों के कसीदे, क्या हैं इसके मायने?

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला 2024 में लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन से लेकर विधानसभा चुनावों के नतीजे आने तक कई बार पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं. 2025 में आमने सामने की पहली मुलाकात में भी दोनों के बीच जबरदस्त केमेस्ट्री देखने को मिली. 2009 में अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे, जबकि परिस्थितियां बिल्कुल अलग थीं. 

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अब्दुल्ला परिवार के मन में क्या चल रहा?

जम्मू कश्मीर की सियासत को समझने वाले जानते हैं कि बीजेपी नेताओं और अब्दुल्ला परिवार के अच्छे रिश्ते रहे हैं. नेशनल कांफ्रेंस 1999 में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा रह चुकी है. एनडीए का हिस्सा रही एनसी केंद्र की एनडीए सरकार की सत्ता की भागीदार रह चुकी है. 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा सदस्य और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार में जूनियर मंत्री के रूप में कार्य करने वाले अब्दुल्ला का सियासी सफर उल्लेखनीय रहा है. उन्होंने 2001 से 2002 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया था.

ऐसे में कुछ लोगों को लगता है कि ऐसा लगता है कि एक बार फिर दोनों एक दूसरे के नजदीक आ रहे हैं. 2024 में उमर अब्दुल्ला ने ऐसी कई बातें की जिन्होंने तमाम राजनीतिक विश्लेषकों के कान खड़ें कर दिए थे.

10 जनवरी को उमर अब्दुल्ला के पिता फारुक अब्दुल्ला ने भी केंद्र सरकार की साइड लेते हुए अपने ही सांसद को आईना दिखाते हुए कहा था कि जिसको केंद्र या मोदी से लड़ना है वो लड़ सकता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए उनकी पार्टी और उमर अब्दुल्ला केंद्र सरकार से कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहती हैं. एनसी जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में खुशहाली लाना चाहती है. हम यहां लड़ने के लिए नहीं आए हैं, हमें लोगों के बेहतर जीवन के लिए केंद्र के साथ मिलकर काम करना है, जो लड़ना चाहते हैं, वे जाकर लड़ सकते हैं.'

पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए मोदी की जरूरत

सोनमर्ग टनल के उद्घाटन के दिन उमर अब्दुल्ला प्रधानमंत्री मोदी के पिछले दौरों का जिक्र करते हुए उनकी बातें याद दिलाते हुए कहा, 'अब एक ही काम बचा है. जम्मू-कश्मीर को लोगों को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिलाना'. इससे ये संकेत मिला कि उमर ने विधानसभा चुनावों के लिए जो वादे किए थे उसमें खासकर जिन मुद्दों में कोई खास जटिलता नहीं है, उन्हें आपस में बातकर सुलझा लिया जाए. क्योंकि पूर्ण राज्य का दर्जा देना केंद्र के हाथ में है, इसके लिए उन्हें मोदी की जरूरत है. 

दरअसल 370 हटने के बाद एनसी ने भी अपने चुनावी वादों में पुराने दर्जे की वकालत की थी. जबकि पीएम मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के अन्य नेता सैकड़ों बार कह चुके हैं कि अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती. ऐसे में फेस सेविंग के लिए बाकी चुनावी वादों का जल्द पूरा किया जाना जरूरी है. गौरतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास ज्यादा शक्तियां नहीं होती हैं. इसलिए उमर का बार-बार मोदी की तारीफों के पुल बांधने को उनके पुराने सियासी रुतबे को हासिल करने (पूर्ण राज्य की बहाली) की पॉलिटिकल ट्रिक माना जा रहा है.

कांग्रेस पर निशाना?

उमर अब्दुल्ला के 13 जनवरी के भाषण का पॉलिटिकल पोस्टमार्टम करने के दौरान कुछ सियासी जानकारों को ऐसा महसूस हुआ कि उमर के निशाने पर मानो राहुल गांधी हों. दरअसल उमर ने जब राज्य में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए केंद्र का आभार जताया तो लगा कि ये चोट उन्होंने कांग्रेस आलाकमान को दी. 

उमर अब्दुल्ला ने कहा, लोगों ने चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, कहीं किसी तरह की धांधली और सत्ता के दुरुपयोग की कोई शिकायत नहीं मिली. इस बयान के मायने समझिए जब पूरा विपक्ष अभी तक EVM-EVM कर रहा है तो J&K चुनाव को निष्पक्ष बताते हुए उमर ने जो सियासी बाण चलाया वो किसके ऊपर लगा?

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2024 में अब्दुल्ला ने कई बार बीजेपी सरकार की तारीफ की तो लोगों को लगा कि क्या वो कांग्रेस से छुटकारा पाना चाहते हैं, जो बार बार केंद्र की तारीफ कर रहे हैं. हालांकि उमर खुलेआम कह चुके हैं कि वो किसी कीमत पर बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे. दूसरी ओर बीजेपी समर्थक भी 2024 के बीच-बीच में शिगूफा छेड़ते रहे कि नेशनल कांफ्रेस पीडीपी से तो बेहतर है.

हवा के साथ बहने की जरूरत

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के कथित रिटायरमेंट के बाद, छोटे अब्दुल्ला ने पिता की छत्र छाया से बाहर निकलकर अपने सियासी कौशल का दमदार प्रदर्शन किया है. जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा में उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस ने 42 सीटें जीती हैं. 54 साल के उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद के अपने कार्यकाल की मुश्किलों (सियासी भविष्य) से वाकिफ हैं. इसलिए चुनाव जीतने के बाद वो कई बार कह चुके हैं कि केंद्र सरकार के साथ 'शत्रुतापूर्ण संबंध' रखने से जम्मू-कश्मीर का विकास नहीं होगा. 7 अक्टूबर 2024 के इंटरव्यू में अब्दुल्ला ने कहा था- 'पीएम मोदी एक सम्माननीय व्यक्ति हैं.'

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