क्यों 1598 दिन तड़पता रहा मुख्तार अंसारी, जब मौका मिला तो मचाया ऐसा तांडव; थर्रा गया यूपी
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क्यों 1598 दिन तड़पता रहा मुख्तार अंसारी, जब मौका मिला तो मचाया ऐसा तांडव; थर्रा गया यूपी

Mukhtar Ansari Death:  मुख्तार अंसारी की मौत के बाद एक नाम और नाम से जुड़ी एक घटना दोबारा चर्चा में आ गई है. जानें क्या है वह घटना, कौन है वह आदमी, क्यों मुख्तार को 1598 दिन तड़पना पड़ा था. 

 

क्यों 1598 दिन तड़पता रहा मुख्तार अंसारी, जब मौका मिला तो मचाया ऐसा तांडव; थर्रा गया यूपी

तारीख- 15,
महीना- जुलाई,
साल- 2001. 

मुख्तार अंसारी का काफिला जैसे ही गुजरा रास्ते में उसकी गाड़ी को रेलवे फाटक के पास घेर लिया गया. गाड़ी में बैठे लोग कुछ समझ पाते उधर से गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग होने लगी. इसके बाद मुख्तार अंसारी गाड़ी से निकला और खुद की रायफल निकालकर मोर्चा संभाल लिया.

मुख्तार की बची थी जान
दोनों तरफ से गोलियों की बौछार होने लगी. मुख्तार अंसारी इस हमले में किसी तरह से बचकर भाग निकला था, लेकिन इस हमले ने पूरे पूर्वांचल में तहलका मचा दिया. मुख्तार अंसारी को इस हमले ने अंदर तक हिला दिया. मौत का खौफ कुछ इस तरह बैठा कि उसे हर हाल में अपने दुश्मन का पता लगाने और उन्हें सबक सिखाने की जिद मुख्तार ने पाल ली.

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बीजेपी नेता कृष्णानंद राय से ठन गई दुश्मनी
कुछ दिन बाद मुख्तार को पता चलता है कि उसपर हमला गैंगस्टर बृजेश सिंह ने किया था. और इस हमले को कराने वाले थे बीजेपी नेता कृष्णानंद राय. बस फिर क्या था मुख्तार बदले की आग में तड़पता रहा. कृष्णानंद राय की हत्या के लिए हर दिन जुगत लगाने लगा. और 1598 दिन बाद यानी 29 नवंबर 2005 को वह दिन आ गया, जब पूरा यूपी एके-47 की गोलियों की गूंज से थर्रा गया. 

सबसे पहले जानें 29 नवंबर 2005 को क्या हुआ?
मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में क्रिकेट प्रतियोगिता चल रही थी. क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने वाले थे बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय. कृष्णानंद राय ने कभी सोचा नहीं था कि यह उनके जीवन का आखिरी प्रोग्राम है. उनके साथियों ने कभी सोचा नहीं होगा कि लट्ठूडीह-कोटवा मार्ग पर मौत खड़ी है.

एके-47 राइफलों से 500 से ज्यादा गोलियां चलाई
उद्घाटन के बाद जब राय का काफिला बसनिया चट्टी से आगे बढ़ा. उसी समय घात लगाकर बैठे अपराधियों ने अचानक उनके काफिले पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार कर दी. मीडिया रिपोर्ट की माने तो हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 500 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं. मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गईं.

सबसे खास बात यह कि जिसने भी राय की मुखबिरी की थी, उसे यह पता था कि कृष्णानंद राय अपनी बुलेट प्रूफ वाहन में नहीं हैं. नतीजा वही हुआ जो मुख्तार के अंदर आग लगी थी. मुख्तार ने अपने ऊपर हुए हमले के ठीक 1598 दिन बाद अपना बदला पूरा कर लिया था.  

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Mukhtar Ansari Death- 28 मार्च को मुख्तार की मौत
28 मार्च को मुख्तार अंसारी की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई. हार्ट स्ट्रोक की शिकायत पर मुख्तार अंसारी को जेल से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. करीब ढाई साल से बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) पड़ा था. जिसके बाद मुख्तार को मौत से करीब तीन घंटे पहले ही इलाज के लिए मंडलीय कारागार से मेडिकल कॉलेज लाया गया था. जहां नौ डॉक्टरों की टीम उसके इलाज में जुटी थी. रात करीब साढ़े दस प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना सार्वजनिक की थी.

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