Mughal History: मुगल सल्तनत का वो 'रंगीला' बादशाह, जिसे लोग कहने लगे थे नामर्द
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Mughal History: मुगल सल्तनत का वो 'रंगीला' बादशाह, जिसे लोग कहने लगे थे नामर्द

Mughal Empire in India: इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने लिखा है कि मुहम्मद शाह रंगीला और बहादुर शाह जफर कोई बहुत पॉपुलर या फिर कामयाब बादशाह नहीं थे. लेकिन उनके शासनकाल में लोगों को कई तरह की राहत मिली. रंगीला के शासन में राजस्थान से दो चित्रकारों चित्रमन और निधा मल को दरबार का हिस्सा बनाया गया.

Mughal History: मुगल सल्तनत का वो 'रंगीला' बादशाह, जिसे लोग कहने लगे थे नामर्द

Mughal Dark Secrets: औरंगजेब का शासनकाल भारत के इतिहास में हमेशा सबसे चर्चित रहा है.उसने संगीत तक पर पाबंदी लगा दी थी. इस वजह से संगीतकारों और गाने-बजाने वालों के लिए रोटी के लाले पड़ गए. लेकिन 1707 में जब औरंगजेब की मौत हुई तो अगले 20 साल तक दिल्ली की सल्तनत में तेजी से बदलाव हुए. तीन सुल्तानों की हत्या हो गई और मुगल साम्राज्य की नींव हिलने लगी. लेकिन कुछ वक्त बाद कमान आई मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला के पास. इसके बाद तो जैसे सब बदलने लगा. जो चीजें औरंगजेब के जमाने में दफन हो गई थीं, वह फिर से जिंदा हो गईं, जिसमें संगीत भी शामिल है. 

इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने लिखा है कि मुहम्मद शाह रंगीला और बहादुर शाह जफर कोई बहुत पॉपुलर या फिर कामयाब बादशाह नहीं थे. लेकिन उनके शासनकाल में लोगों को कई तरह की राहत मिली. रंगीला के शासन में राजस्थान से दो चित्रकारों चित्रमन और निधा मल को दरबार का हिस्सा बनाया गया.

इस दौरान एक तस्वीर काफी चर्चा का विषय बनी थी, जिसमें मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला को एक कनीज से संबंध बनाते हुए दिखाया गया था. तब दिल्ली की गलियों में यह अफवाह फैल गई थी कि शहंशाह नामर्द है और उसने इसको छिपाने के लिए तस्वीर बनवाई है.  खास बात है कि मुहम्मद शाह रंगीला ने औरंगजेब, अकबर और शाहजहां के बाद सबसे ज्यादा वक्त तक राज किया. उसको युद्ध से ज्यादा लगाव नहीं था और ना ही सीमाओं को और फैलाने की तमन्ना. 

कहा जाता है कि वह औरतों के कपड़े पहनने का शौकीन था.  जन्म के समय उसका नाम था रोशन अख्तर.29 सितंबर 1719 को वह तख्त पर बैठा था. लेकिन अफीम और शराब पीने के कारण वह ज्यादा न जी पाया. जब उसे गुस्से का दौरा पड़ा था तो हकीमों ने उसको हतात बख्श बाग रवाना कर दिया था. लेकिन वहां भी उसकी सांसें ज्यादा न चल पाईं. 46 साल की उम्र में वह 1798 में दुनिया से चला गया. उसको निजामुद्दीन औलिया की मजार में अमीर खुसरो के बराबर में दफनाया गया था.

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