Bhopal Jeevdaya Gaushala: भोपाल के जीवाजी गौशाला से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. जहां मृत गायों के शव को खुले में फेंका जा रहा है. इतना ही नहीं मृत गायों के काटने पर प्रतिबंध होने के बावजूद भी इनके चमड़े निकाले जा रहे हैं.
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आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बरखेड़ी अब्दुल्ला गांव में मृत गायों (dead cows) की दुर्दशा की तस्वीर सामने आई है. जहां न सिर्फ प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला में मरी हुई गायों को अमानवीय तरीके (inhumane ways) से खुले मैदान में फेंका जा रहा है. बल्कि गायों की हड्डी और खाल को भी निकाला गया है. यह घटना भोपाल (bhopal) के जीव दया गौशाला (jeev daya gaushala) से करीब 500 मीटर पहले की है. आरोप है कि जीव दया गोशाला में 2 सालों में 229 गायों की मौत हुई.
चमड़ा उतारने का चल रहा व्यापार
अखिल भारतीय सर्वदलीय गोरक्षा महाभियान समिति के गौरव मिश्रा का आरोप है कि जीव दया गोशाला में 2 सालों में 229 गायों की मौत हुई. गायों के चमड़ा उतारने का व्यापार चल रहा है. 2 साल में करीब चार हजार गाय इस गौशाला को दी है. इनका कहना है कि ये आंकड़े RTI के जरिये उन्होंने जुटाए है. लेकिन पर्याप्त गाय गौशाला में नही हैं. गोरव मिश्रा का आरोप आरोप है कि इसी गौशाला के मृत गायों को यहां फेंका जा रहा है. दरअसल चारों तरफ बिखरी हुई हड्डियां और कंकाल गायों के शवों को नोंचते आवारा कुत्ते और गाय के शवों से उतरी गई सैकड़ों खालों का जखीरा गौ मांस, खून हड्डी और कंकाल की यह तस्वीरें भोपाल से लगे बरखेड़ी अब्दुल्ला की है. ऐसे में आखिर इन मृत गायों के साथ अमानवीयता का जिम्मेदार कौन है?
हर महीने होती है 4-5 गायों की मौत
जी मीडिया की टीम ने जीव दया गौशाला में जाकर भी मामले की जांच पड़ताल की. जहां कुछ गायें बीमार थीं और गायों को पिलाये जाने वाला पानी गन्दा था, पानी की ऊपरी सतह पर भी काई दिखाई दी. गौशाला में काम करने वाले नागर ने बताया कि हमारे पास 1500 गायें हैं. हर महीने 400 गायें आवागमन में रहती हैं. इस तरह से कुल 1900 गायें हैं. उन्होंने बताया कि हमारे गौशाला में 4 से 5 गायों की हर महीने मौत होती है उन्हें नगर निगम की टीम ले जाती है.
जानिए कहा अखिलेश्वरानंद महाराज ने
इस मामले को लेकर गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद महाराज ने कहा कि थोड़ी बहुत लापरवाही होती है. कंकाल इस गौशाला के नहीं हैं. उन्होंने नगर निगम पर ठीकरा फोड़ दिया. कहा कि हमने अपनी गौशालाओं में भूमि समाधि के निर्देश दिए हैं. इस मामले में भी जांच समिति बनाई हैं. गौवंश बीमारी से खत्म होते हैं मृत गाय पुराने समय से काटे जाते हैं. लेकिन हमने मृत गायों के काटने पर प्रतिबंध लगाया. यहां से मृत गायों को नगर निगम ले जाता है. गौशालाओं में अधिकतर बीमार गायें लाई जाती हैं. हमने इस मामले की जांच के लिए टीम भी बना दी है. कुछ न कुछ कमियां हर गौशाला में मिल जाएंगी.
भूख से नहीं हुई गायों की मौत
इस पूरे मामले की जांच के लिए जांच कमेटी भी गौशाला में पहुंच कर जांच की. कुछ गायों का पोस्टमार्टम भी किया गया. पोस्टमार्टम करने वाली वेटनरी सर्जन डॉ स्नेहलता पटले ने बताया कि किसी गाय की मौत भूख से नहीं हुई है. गायों की मौत पॉलीथिन खाने और निमोनिया की वजह से हुई है. जांच अधिकारी ने बताया कि गायों को दिए जाने वाला पानी गंदा पाया गया है. इसके साथ ही अनुदान राशि समेत अन्य की जांच किया जा रहा है. क्या गौशाला में भी मृत गायों को काटा गया इसकी भी जांच की रही है.
मैनेजमेंट को दुरूस्त करने के जरुरत
पशु चिकित्सा के उप उपसंचालक अजय रामटेके ने कहा कि हमने भी गौशाला का भ्रमण किया कुछ गाय बीमार थी, पानी में काई पाई गई है .भूसा भी कम था पहले ये हमारी आदर्श गौशाला थी. अभी मैनेजमेंट को दुरूस्त करने की जरूरत है. गायों कि लाशें से 1 किलोमीटर पहले मिली है. जहां 30 -40 कंकाल और 18 से 20 नवीन मृत मिले हैं और चमड़े भी रखे गए हैं. जानकारी है कि कुछ लोग यहां चमड़े भी निकालते हैं इसे बंद करवाया जाएगा.
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