Bakrid 2022: भारत में इस दिन मनाई जाएगी बकरीद, जानिए महत्व
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Bakrid 2022: भारत में इस दिन मनाई जाएगी बकरीद, जानिए महत्व

Bakrid Date 2022: इस्लाम धर्म में बकरीद का त्यौहार प्रमुख त्यौहारों में से एक है. आइए जानते हैं भारत में कब मनाई जाएगी बकरीद और क्या है इसके मनाने का रहस्य?

Bakrid 2022: भारत में इस दिन मनाई जाएगी बकरीद, जानिए महत्व

Bakrid 2022: इस्लाम धर्म के लोगों द्वारा पवित्र माह रमजान के 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है. यह त्यौहार मुस्लिम समुदाय के लोग त्याग और कुर्बानी देने के लिए मनाते हैं. इस दिन नर बकरे की कुर्बानी दी जाती है और नमाज अदा कर वर्ष भर सलामत रहने की दुआ की जाती है. आइए जानते हैं कब है बकरीद की तारीख और क्या है इसका महत्व.

इस दिन मनेगा बकरीद
भारत में बकरीद का त्यौहार 10 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देने के साथ ईदगाह या मस्जिद में एक साथ नमाज अदा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि प्रेम, निस्वार्थता और बलिदान की भावना के प्रति आभार व्यक्त करके एक समावेशी समाज में एकता और भाईचारे के प्यार को दर्शाने का त्यौहार है. मुस्लिम समुदाय के लोग सभी त्यौहार चांद निकलने के हिसाब से मनाते हैं, इसलिए चांद के हिसाब से बकरीद का त्यौहार 11 जुलाई को भी हो सकता है.

जानिए क्या इसके पीछे का रहस्य
इस्लाम धर्म की मान्यता अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम ने कुर्बानी देने की प्रथा की शुरुआत की थी. ऐसी मान्यता है कि एक बार अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम से अपने प्यार को साबित करने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज का त्याग करने के लिए कहा था, जिस पर पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौटे बेटे की कुर्बानी देने का फैसला लिया. पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे को मारने जा रहे थे, उसी वक्त अल्लाह पैगंबर इब्राहिम के बेटे को बकरे के रुप में बदल दिया. उसी समय से मुस्लिम समुदाय के लोग हर वर्ष पवित्र महीना रमजान खत्म होने के 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाते हैं.

हज यात्रा के बाद मनाया जाता है बकरीद
इस्लाम धर्म में जिंदगी में एक बार हज की यात्रा करना जरूरी होता है. हज की यात्रा समाप्त होने के बाद ईद-उल-जुहा यानी बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है. बकरीद के त्यौहार को बड़ी ईद के नाम से भी जाना जाता है. बकरीद में नर बकरे की कुर्बानी दी जाती है. बकरे की कुर्बानी देने के बाद से इसे तीन भागो में बांटा जाता है, पहला भाग रिश्तेदारों, दोस्तों व आस-पास के करीबियों को दिया जाता है. दूसरा हिस्सा गरीब और जरूरतमंदो को दिया जाता है और तीसरा हिस्सा परिवार के लोगों के लिए होता है.

(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न लेखों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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