भिंड जिले के प्रसिद्ध 11 वीं सदी के प्राचीन मंदिर वन खंडेश्वर महादेव पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. इस मंदिर में एक अखंड ज्योति 11वीं सदी से जलती आ रही है. जिसे बताया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान ने प्रज्वलित किया था.
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प्रदीप शर्मा/भिंडः महाशिवरात्रि के (mahashivaratri) के पावन पर्व पर जिले भर के कई प्रसिद्ध शिवालयों पर शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है, जिनमें बन खंडेश्वर महादेव मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, त्रयंबकेश्वर मंदिर, कुंडेश्वर महादेव, ईश्वर महादेव मंदिर,अर्धनारीश्वर महादेव मंदिर, अटेर इलाके के प्रसिद्ध बोरेश्वर धाम महादेव मंदिर, लहार क्षेत्र के बनखंडेश्वर महादेव मंदिर, उमरी इलाके की उमरेश्वर महादेव मंदिर, मेहगांव के गल्ला मंडी स्थित महादेव मंदिर,नारदेश्वर महादेव मंदिर, पर भक्तों का तांता लगा हुआ है और शिव भक्त इन मंदिरों पर गंगा जल से जलाभिषेक कर रहे हैं.
60 कोस दूर से लाते हैं शिवभक्त गंगाजल
भिंड जिले के ऐतिहासिक प्रसिद्ध 11 वीं सदी के प्राचीन मंदिर वन खंडेश्वर महादेव पर नजारा आज यानी महाशिवरात्रि के दिन देखने लायक है, यहां सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं, श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते दर्शनार्थियों की लाइन करीब एक किलोमीटर लंबी हो गई है, रात 12:00 बजे से ही कावड़िए लाइन में लगकर जलाभिषेक करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. यहां पर भक्त जिला मुख्यालय से लगभग 160 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के श्रंगीरामपुर से शिवभक्त कांवड़ में गंगाजल पैदल चलकर लाते हैं और उस गंगाजल से शिव का जलाभिषेक करते है. भक्ति में लीन शिव भक्त गंगा जल से जलाभिषेक कर भगवान शिव का आशीर्वाद ले रहे हैं.
क्या कहता है पुरातत्व विभाग?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार भिंड का ऐतिहासिक वन खंडेश्वर महादेव मंदिर 11वीं सदी में निर्मित मंदिर है, इस मंदिर का निर्माण खुद दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने कराया था, बन खंडेश्वर महादेव मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में शामिल है, मान्यता के अनुसार 1175 ईस्वी में दिल्ली सम्राट पृथ्वीराज चौहान महोबा के चंदेल राजाओं से युद्ध करने के लिए जा रहे थे, उसी दौरान इस बियाबान बन खंड में उनकी सेना ने पड़ाव डाला था, सम्राट पृथ्वीराज चौहान शिव भक्त थे और वह सुबह उठते ही शिव की पूजा करते थे तब उन्होंने यहां पर शिव मठ का का निर्माण करा कर शिवलिंग की स्थापना की और विधि विधान से पूजा अर्चना कर आगे युद्ध पर निकले थे, 11 वीं शताब्दी ने उस समय भिंड का इलाका बियाबान वन क्षेत्र था इसी वजह से इस का नाम बन खंडेश्वर पड़ गया जो आज भी बन खंडेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
मंदिर में आज भी जल रही है अखंड ज्योति
मंदिर के अंदर उसी समय से अखंड ज्योति जल रही है, कहा जाता है कि चंदेल राजाओं से युद्ध में विजय के बाद वापस जब सम्राट पृथ्वीराज चौहान लौटे तो उन्होंने एक बार फिर वन खंडेश्वर मंदिर पर पूजा अर्चना की ओर शिवलिंग के पास ही अखंड ज्योति को प्रज्वलित किया जो आज तक निर्बाध रूप से जल रही है, गुलामी के दौरान अंग्रेजों के राज में भी सिंधिया राजघराने ने ज्योति को जलाने और उसका ध्यान रखने के लिए पुजारी भी नियुक्त किए थे जिन के वंशज आज भी कुछ मंदिर की पूजा अर्चना के साथ साथ ही ज्योति और मंदिर की देखभाल करते हैं.
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