MP Lok Sabha Elections 2024: एशिया की पहली मानव निर्मित गांधीसागर झील के लिए मशहूर मंदसौर बीजेपी का गढ़ है. आठ बार सांसद रहे डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे का इस क्षेत्र में दबदबा था. पिछले 2 चुनाव से बीजेपी के सुधीर गुप्ता जीतते आ रहे हैं.
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Mandsaur Lok Sabha Constituency History: लोकसभा चुनाव 2024 में अब कुछ ही दिन बचे हैं. सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं. मंदसौर की बात करें तो यहां पर पशुपतिनाथ मंदिर हैं. जो शिवना नदी के तट पर स्थित है. साथ ही मंदसौर अफीम खेती और एशिया की पहली मानव निर्मित गांधीसागर झील के कारण जाना जाता है. मंदसौर लोकसभा सीट मालवा अंचल में आती है. मंदसौर लोकसभा सीट की बात करें तो ये भाजपा का गढ़ माना जाता है. 1951 से 2019 तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में, 8 बार भाजपा और उससे पहले जनसंघ के 3 उम्मीदवार जीते हैं. वहीं, जनता पार्टी से लड़ते हुए लक्ष्मीनारायण पांडे को विजय मिली थी. साथ ही पिछले 2 चुनावों से भी यहां पर बीजेपी की जीत हो रही है. वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता पिछले 2 चुनावों में लगातार जीत हासिल कर चुके हैं तो चलिए यहां के समीकरण तो समझते हैं...
मंदसौर लोकसभा सीट की विधानसभा सीटों की स्थिति
विधानसभा सीट | MLA | पार्टी |
---|---|---|
जावरा | राजेंद्र पांडे | BJP |
मंदसौर | विपिन जैन | कांग्रेस |
मल्हारगढ़ | जगदीश देवड़ा | BJP |
सुवासरा | हरदीप सिंह डंग | BJP |
गरोठ | चन्द्र सिंह सिसौदिया | BJP |
मनासा | अनिरुद्ध मारू | BJP |
नीमच | दिलीप सिंह परिहार | BJP |
जावद | ओमप्रकाश सखलेचा | BJP |
मंदसौर लोकसभा सीट में कौन सी विधानसभा सीटें हैं?
मंदसौर लोकसभा सीट का समीकरण
विशेषता | मान |
---|---|
कुल मतदाता | 18,72,135 |
पुरुष मतदाता | 9,47,244 |
महिला मतदाता | 9,24,874 |
थर्ड जेंडर | 17 |
हिंदू जनसंख्या | 88% |
मुस्लिम जनसंख्या | 9% |
ग्रामीण जनसंख्या | 75.49% |
शहरी जनसंख्या | 24.51% |
अनुसूचित जाति की जनसंख्या | 16.78% |
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या | 5.36% |
मंदसौर लोकसभा सीट का इतिहास
1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी. मंदसौर के पहले सांसद कांग्रेस के कैलाश नाथ काटजू थे. कैलाश नाथ काटजू ये नाम आपको सुना-सुना लग रहा होगा. जी हां, वही नेहरू के खास कैलाश नाथ काटजू जो बाद में एमपी के सीएम बने. बता दें कि कैलाश नाथ काटजू 1957 से 1962 तक मध्य प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री रहे थे. इससे पहले वो नेहरू सरकार में गृह मंत्री और रक्षा मंत्री भी थे. साथ ही उन्हें ओडिशा के पहले राज्यपाल और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जिम्मेदारी भी मिली थी. 1957 आते-आते कैलाश नाथ काटजू प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे. इसलिए 1957 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने माणकभाई अग्रवाल को मैदान में उतारा. जहां माणकभाई ने भी जीत हासिल की थी.
जनसंघ की पहली जीत
1962 के चुनाव में यहां पर जनसंघ की पहली बार जीत हुई. जनसंघ के उमाशंकर त्रिवेदी ने यहां पर चुनाव जीता था. उमाशंकर त्रिवेदी की बात करें तो वो जनसंघ के प्रमुख नेताओं में से एक थे. वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी के करीबी थे. कश्मीर की यात्रा में वह बाबू राम नारायण सिंह, वी.जी. देशपांडे और अन्य लोगों के साथ मुखर्जी के साथ थे. उन्होंने 1952 में जनसंघ के टिकट लड़ते हुए चित्तौड़ से पहली लोकसभा के लिए चुने गए थे. खास बात ये थी कि वह, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दुर्गा चरण बनर्जी ही पहली लोकसभा में जनसंघ से केवल तीन सदस्य थे. वह दूसरी लोकसभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन मध्य प्रदेश के मंदसौर से तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए.
लक्ष्मीनारायण पांडे का उदय
जनसंघ की जीत का सिलसिला 1967 में भी जारी रहा. इस बार स्वतंत्र सिंह कोठारी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. वहीं, इसके बाद यानी 1971 के चुनाव में एक नेता का उदय हुआ. जो आने वाले दशकों के लिए मंदसौर के राजनीतिक परिदृश्य का पर्याय बन गया. जी, हां हम बात कर रहें हैं लक्ष्मीनारायण पांडे की. 1971 में लक्ष्मीनारायण पांडे ने जनसंघ का झंडा बुलंद करते हुए चुनाव जीता. इसके बाद 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस एमपी की एक सीट छोड़कर बाकी सभी सीटें हार गई थी. मंदसौर में भी यही नतीजा आया. इस बार लक्ष्मीनारायण पांडे ने जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा. जहां उन्होंने दूसरी बार इस सीट से जीत हासिल की.
कांग्रेस की वापसी
मंदसौर लोकसभा सीट पर कई बार रोमांचक मुकाबले हुए हैं. 1980 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस और इंदिरा गांधी ने देश में वापसी की. मंदसौर सीट पर भी कांग्रेस की वापसी हुई. भंवरलाल राजमल नाहटा ने बहुत करीबी मुकाबले में लक्ष्मीनारायण पांडे को मात दे दी. बता दें कि नाहटा की जीत का अंतर महज 2,683 वोट था.
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत हुई थी. पार्टी ने पहली बार 400 सीटों का आंकड़ा पार किया. मंदसौर लोकसभा सीट पर भी बेहद दिलचस्प मुकाबला हुआ था. जहां कांग्रेस उम्मीदवार बालकवि बैरागी उर्फ नंदरामदास द्वारकादास ने लक्ष्मी नारायण पांडे को हराया था. बैरागी ने ये चुनाव 59,763 वोटों से जीता था. बालकवि बैरागी हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कवि, लेखक और राजनीतिज्ञ थे. वह अपनी सरल भाषा और बच्चों के लिए कविताओं के लिए जाने जाते थे. वह मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री, लोकसभा सांसद और राज्यसभा सांसद थे. उन्होंने कम से कम एक दर्जन हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे, जिनमें रेशमा और शेरा और अनकही सबसे फेमस हैं.
लक्ष्मीनारायण पांडे का दबदबा
साल था 1989 का, चुनाव था लोकसभा का. फिर से दो प्रतिद्वंदियों का आमना-सामना हुआ. बालकवि बैरागी और लक्ष्मी नारायण पांडे एक बार फिर भिड़े. हालांकि, इस बार पांडे ने यहां विजय हासिल की. जीत भी ऐसी हासिल की कि जिसका सिलसिला 2004 के चुनाव तक जारी रहा. उन्होंने 10वें, 11वें, 12वें, 13वें और 14वें लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल की. इस दौरान उन्होंने बालकवि बैरागी,महेंद्र सिंह,गणश्याम पाटीदार नेहरूलाल,नरेंद्र भंवरलाल नाहटा,राजेंद्र सिंह गौतम को हराया.
पिता से मिली हार का बदला पुत्र से लिया
लक्ष्मीनारायण पांडे ने 1980 में भंवरलाल नाहटा से मिली हार का बदला 18 साल बाद लिया. वो भी नाहटा के बेटे नरेंद्र नाहटा को हराकर. जैसा कि हमने आपको बताया था कि 1980 में लक्ष्मीनारायण को भंवरलाल नाहटा ने 2683 वोटों से हराया था. आपको बता दें कि 1998 में जब लक्ष्मीनारायण पांडे और नाहटा के बेटे नरेंद्र नाहटा टकराए तो उन्होंने 17 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत अपना बदला लिया.
मीनाक्षी नटराजन ने खत्म किया कांग्रेस का वनवास
मंदसौर में पांडे का दबदबा 2004 में लगातार जीत के साथ 21वीं सदी तक जारी रहा. हालांकि, 2009 में जनता ने यहां बदलाव किया. कांग्रेस की युवा महिला नेत्री मीनाक्षी नटराजन ने कद्दावर नेता लक्ष्मी नारायण पांडे को धूल चटा दी. 36 साल की मीनाक्षी नटराजन ने 8 बार के सांसद लक्ष्मी नारायण पांडे को करीब 30 हजार वोटों से हराया था. आपको बता दें कि नटराजन इस जीत से पूरे देश में मशहूर हो गई थीं.
मीनाक्षी नटराजन की बात करें तो वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की करीबी मानी जाती हैं. उन्होंने राजनीति की शुरुआत एनएसयूआई से की थी. वह 2002-2005 तक मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं. उन्हें 2008 में राहुल गांधी द्वारा एआईसीसी सचिव के रूप में चुना गया था. फिर 2009 में पार्टी ने उन्हें मंदसौर सीट से उतारा जहां उन्होंने जीत हासिल की.
पिछले 2 चुनावों से बीजेपी की जीत
2014 में बीजेपी ने सुधीर गुप्ता को मैदान में उतारा. सुधीर गुप्ता की बात करें तो उन्होंने कई सालों तक आरएसएस और भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय रूप से काम किया था. मोदी लहर में सुधीर गुप्ता ने मंदसौर पर बीजेपी का कब्जा वापस दिला दिया. वहीं, 2019 के चुनावों में भी सुधीर गुप्ता ने अपनी सीट बरकरार रखी. जिससे मंदसौर सीट भाजपा की पकड़ फिर से मजबूत हो गई. दोनों चुनावों में सुधीर गुप्ता ने मीनाक्षी नटराजन को हराया. इसलिए अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या आगामी चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर नटराजन पर भरोसा जताएगी या किसी नए उम्मीदवार को मौका देगी.
2019 चुनाव मंदसौर का रिजल्ट
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | वोट% |
---|---|---|---|
BJP | सुधीर गुप्ता | 847,786 | 61.85 |
कांग्रेस | मीनाक्षी नटराजन | 4,71,052 | 34.37 |
BSP | प्रभुलाल मेघवाल | 9,703 | 0.71 |
2014 चुनाव मंदसौर का रिजल्ट
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | वोट% |
---|---|---|---|
BJP | सुधीर गुप्ता | 6,98,335 | 60.13 |
कांग्रेस | मीनाक्षी नटराजन | 3,94,686 | 33.99 |
AAP | पारस सकलेचा दादा | 10,183 | 0.88 |
मंदसौर के सांसदों की सूची (List of MP's from Mandsaur)
साल | सांसद | पार्टी |
---|---|---|
1952 | कैलाश नाथ काटजू | कांग्रेस |
1957 | माणकभाई अग्रवाल | कांग्रेस |
1962 | उमाशंकर त्रिवेदी | जनसंघ |
1967 | स्वतंत्र सिंह कोठारी | जनसंघ |
1971 | लक्ष्मीनारायण पांडे | जनसंघ |
1977 | लक्ष्मीनारायण पांडे | जनता पार्टी |
1980 | भंवरलाल नाहटा | कांग्रेस |
1984 | बालकवि बैरागी | कांग्रेस |
1989 | लक्ष्मीनारायण पांडे | BJP |
1991 | लक्ष्मीनारायण पांडे | BJP |
1996 | लक्ष्मीनारायण पांडे | BJP |
1998 | लक्ष्मीनारायण पांडे | BJP |
1999 | लक्ष्मीनारायण पांडे | BJP |
2004 | लक्ष्मीनारायण पांडे | BJP |
2009 | मीनाक्षी नटराजन | कांग्रेस |
2014 | सुधीर गुप्ता | BJP |
2019 | सुधीर गुप्ता | BJP |