डॉक्टर की बात सुनते ही न्यायाधीश ने छोड़ दिया लंच, पहले दर्ज कराए बयान, जानिए यह अनोखा मामला
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डॉक्टर की बात सुनते ही न्यायाधीश ने छोड़ दिया लंच, पहले दर्ज कराए बयान, जानिए यह अनोखा मामला

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से डॉक्टर और जज से जुड़ा एक दिलचस्प मामला सामने आया है. आप भी इस मामले के बाद डॉक्टर और जज दोनों की तारीफ करेंगे. पढ़िए यह दिलचस्प खबर. 

डॉक्टर की बात सुनते ही न्यायाधीश ने छोड़ दिया लंच, पहले दर्ज कराए बयान, जानिए यह अनोखा मामला

संजीत यादव/जशपुर। डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, तो न्यायाधीश का निर्णय लोकतंत्र में सर्वोपरि माना जाता है. ये दोनों ही लोग देश के लिए जरूरी हैं, क्योंकि दोनों की जिम्मेदारियां देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं. छत्तीसगढ़ से डॉक्टर और जज के बीच का एक ऐसा मामला आया है. जिसे सुनकर सब उनकी तारीफ कर रहे हैं. जहां डॉक्टर ने अपना फर्ज निभाया और जज ने अपना. तो चलिए आपको भी बताते हैं यह दिलचस्प किस्सा. 

डॉक्टर बोला मरीज का इलाज करना है, जज ने तुरंत दी इजाजत 
दरअसल, पूरा मामला जशपुर जिला मुख्यालय का है. जशपुर जिला एवं सत्र न्यायालय में शुक्रवार को हत्या के एक मामले की सुनवाई चल रही थी. इस सुनवाई में जशपुर के एक डॉक्टर भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे, क्योंकि उनका बयान भी मामले में दर्ज किया जाना था. सुनवाई चल ही रही थी कि इस बीच अचानक हास्पिटल में एक गंभीर मरीज आ गया. जैसे ही इस बात की जानकारी डॉक्टर तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत ही यह बात जज को बताई और उनसे मरीज का इलाज करने की इजाजत मांगी, डॉक्टर की बात सुनते ही जज ने भी उन्हें तुरंत इलाज करने की अनुमति दे दी. जिससे एक गंभीर मरीज को समय से इलाज मिल गया. जज ने कहा कि पहले मरीज की इलाज जरूरी है. 

यह पूरा वाक्या डॉ. मयंक श्रीवास्तव और न्यायाधीश शाहबुद्दीन कुरैशी के बीच का है. बता दें कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर विचाराधीन बंदियों के प्रकरणों की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरू की गई है. जिला न्यायालय में लंबित हत्या के एक मामले में गवाह जशपुर के डॉ. मयंक श्रीवास्तव का बयान दर्ज नहीं हुआ था. इस कारण 27 मार्च 2021 से मामला लंबित था. 

जज ने लंच छोड़कर दर्ज कराया डॉक्टर का बयान 
शुक्रवार को न्यायाधीश शाहबुद्दीन कुरैशी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों का बयान दर्ज कर रहे थे, डॉक्टर मयंक के अलावा बिलासपुर जेल में बंद कैदी भी ऑनलाइन उपस्थित रहा. जब बयान दर्ज हो रहे थे तभी दोपहर लंच का समय हो गया तो डॉक्टर मयंक ने जज साहब से जल्द बयान लेने की गुजारिश किया और कहा कि एक गंभीर मरीज आया हुआ है, जिसका इलाज करना जरूरी है, ऐसे में जज साहब ने लंच छोड़ कर डॉक्टर का बयान लिया और तत्काल मरीज की इलाज करने की अनुमति दे दी. 

जज की इस बात से डॉक्टर मयंक काफी खुश है. उन्होंने कहा कि मेरे लिए दोनों काम जरूरी थे, इसलिए जज साहब की मदद से उन्होंने अपने दोनों काम समय से पूरे किए. डॉक्टर मयंक पहले बिलासपुर जिला अस्पताल में पदस्थ थे वो अभी अपना निजी अस्पताल जशपुर जिले में चला रहे है. वहीं इस पूरे मामले में लोग जज और डॉक्टर दोनों की तारीफ कर रहे हैं. क्योंकि दोनों ने सही समय पर अपना पूरा फर्ज निभाया.

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