Chhattisgarh government jobs recruitment: छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले के बाद सरकारी भर्तियों को लेकर भाजपा (BJP) कांग्रेस (Congress) आमने सामने आ गई है. इसे लेकर बीजेपी के मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी (Amit Chimnani) ने कांग्रेस पर निशाना साधा है.
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Chhattisgarh government jobs recruitment: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. चुनावी साल होने की वजह से घोषणाओं का दौर जारी है. छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बाद सीएम ने संकेत दिया था कि एक दो दिन के अंदर कई पदों पर भर्तियां निकाली जाएंगी. जिसके बाद इस पर सियासत शुरु हो गई है. बता दें कि इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने सामने आ गई है.
भाजपा ने साधा निशाना
जहां एक तरफ कांग्रेस ने संकेत दिया था कि बहुत जल्द प्रदेश में सरकारी पदों के लिए भर्तियां निकाली जाएंगी, वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने कांग्रेस को आड़ें हाथों लिया है. भाजपा के मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने बयान देते हुए कहा कि आरक्षण की बाध्यता हट गई फिर क्यों सरकार को भर्तियां निकालने में देरी आ रही है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि राजनीतिक बयानबाजी ने रफ्तार पकड़ी है. प्रदेश में आखिर नौकरी की बहार कब आएगी.
कांग्रेस ने किया पलटवार
उनके इस बयान के बाद कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा के ऊपर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण विधेयक रुकवाने वाली भाजपा बेचैन क्यों है. क्यों भाजपा तंज कस रही है. एक दो दिन में विज्ञापन निकलने शुरु हो जाएंगे लेकिन भाजपा को भरोसा नहीं हो रहा है. आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल सरकार ने तैयारी भी कर ली है और प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी.
हुई थी बैठक
छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने हाई लेवल की मीटिंग की थी. कहा जा रहा है कि इस दौरान मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को सभी भर्तियों को मिशन मोड में पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस बैठक में मुख्य सचिव, डीजीपी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. जिसमें तत्काल कार्रवाई कर युवाओं के हित में काम करने के निर्देश दिए गए हैं.
58 प्रतिशत आरक्षण
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2012 में राज्य में 58% आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी. इसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 58% करना असंवैधानिक है. कोर्ट ने जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण देना भी गलत माना था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है.