कितना भी लंबा ट्रैफिक जाम हो, लोग नहीं बजाते हॉर्न, भारत की ये जगह है 'साइलेंट सिटी'
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कितना भी लंबा ट्रैफिक जाम हो, लोग नहीं बजाते हॉर्न, भारत की ये जगह है 'साइलेंट सिटी'

No Horn Policy: अजवाइल में शहरीकरण करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा है. बढ़ती आबादी और औद्योगीकरण का मतलब है कि व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार को ठोस कानून बनाने होंगे. सरकार ने ऑड-ईवन रूल भी लागू करने की कोशिश की.

कितना भी लंबा ट्रैफिक जाम हो, लोग नहीं बजाते हॉर्न, भारत की ये जगह है 'साइलेंट सिटी'

City Where Honking is Prohibited: दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ, गाजियाबाद या फिर नोएडा. फेहरिस्त बहुत लंबी है. शहरों में आपको कान फोड़ू हॉर्न की आवाजें सुनने को ना मिलें, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. ध्वनि प्रदूषण को अकसर लोग हलके में लेते हैं. लेकिन यह काफी गंभीर साबित हो सकता है. 

लेकिन आज हम आपको भारत के ऐसे शहर के बारे में बता रहे हैं, जहां आपको ट्रैफिक का कोई शोर सुनने को नहीं मिलेगा. लोग बात-बात पर गाड़ियों का हॉर्न बजाते हुए नहीं मिलेंगे. ऐसा भी नहीं है कि इस साइलेंट सिटी में सरकार ने कोई नियम बनाया हुआ है. बल्कि खुद से ही लोग इसका पालन करते हैं. 

बेवजह हॉर्न नहीं मारते लोग

भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में बसा है मिजोरम, जिसकी राजधानी है अजवाइल. मिजोरम पहुंचकर आपको गाड़ियों के हॉर्न से ज्यादा फिजाओं का संगीत सुनाई देगा. मिजोरम में लोग बेवजह हॉर्न मारना पसंद नहीं करते. अगर ड्राइव करते हुए कोई आगे यू-टर्न ले रहा है तो ड्राइवर धैर्य से इंतजार करता रहेगा. ऐसा नहीं है कि वहां की सरकार ने इसके लिए कोई नियम बनाया है. बल्कि अपने फायदे के लिए लोग खुद ही इस नियम का पालन करते हैं. 

जबकि अधिकांश शहरों में, नो-हॉर्न संकेतों को जेबरा क्रॉसिंग की तरह अप्रासंगिक माना जाता है. आइजोल के नागरिकों की यही खासियत उनको देश के बाकी हिस्सों से अलग करती है. 

बेहद खास है मिजो कल्चर

मिजो कल्चर कुछ ऐसा है, जिसे शब्दों में बयान करना जरा मुश्किल है. इसका मकसद मेहमाननवाजी, दयालु और स्वार्थ से परे दूसरों की मदद करना है. कम्युनिटी के तौर पर मिजो हमेशा समुदायों के वेलफेयर को आगे रखते हैं, ना कि खुद के. इसलिए मिजोरम के लोग हॉर्न नहीं मारने का पालन इतनी सख्ती से करते हैं.

अजवाइल को साइलेंट सिटी भी कहा जाता है. यहां 3.5 लाख लोग रहते हैं, जिसमें से 1.5 लाख रजिस्टर्ड वाहन अजवाइल के हैं. चूंकि यहां कार काफी ज्यादा हैं और सड़कें संकरी हैं इसलिए 15 किलोमीटर का रास्ता तय करने में भी कई घंटों का समय लग जाता है. लेकिन बावजूद इसके शहर ने अपनी एक खास इमेज बनाई है. यहां जिंदगी की भाग-दौड़ नहीं है. लिहाजा धीरे-धीरे चलती जिंदगी की वजह से लोग धैर्यवान और विनम्र हैं. इस शहर में ट्रैफिक में आगे निकलने की होड़ नहीं है. 

पुलिस भी रखती है सख्ती

हालांकि, पुलिस भी इस व्यवस्था को बनाएरखने में मदद करती है, जैसे कि वह तेज आवाज  वाली बाइकों को इजाजत नहीं देती, ट्रैफिक जाम में ओवरटेक करने की कोशिश करने वालों को फटकार लगाई जाती है. साथ ही टूरिस्ट्स को भी इस नियम के बारे में बताया जाता है. 

अजवाइल में शहरीकरण करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा है. बढ़ती आबादी और औद्योगीकरण का मतलब है कि व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार को ठोस कानून बनाने होंगे. सरकार ने ऑड-ईवन रूल भी लागू करने की कोशिश की. इसके अलावा ऐसे कानून की भी जरूरत है कि वाहन वही खरीद सके, जिसके पास गैराज हो. 

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