What is No Confidence Motion: जगदीप धनखड़ से फिर खफा I.N.D.I.A. गुट, लाएगा अविश्वास प्रस्ताव; क्या है आर्टिकल 67 बी?
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What is No Confidence Motion: जगदीप धनखड़ से फिर खफा I.N.D.I.A. गुट, लाएगा अविश्वास प्रस्ताव; क्या है आर्टिकल 67 बी?

Rajya Sabha News:  धनखड़ के राज्यसभा में कार्यवाही के संचालन को लेकर इंडिया गठबंधन की पार्टियां नाराज हैं उन्होंने पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (एसपी) और इंडिया गठबंधन की अन्य पार्टियां इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के अपने फैसले में एकजुट हैं. 

What is No Confidence Motion: जगदीप धनखड़ से फिर खफा I.N.D.I.A. गुट, लाएगा अविश्वास प्रस्ताव; क्या है आर्टिकल 67 बी?

Rajya Sabha No Confidence Motion: लोकसभा और राज्यसभा दोनों में हर रोज हंगामे की वजह से कामकाज ठप हो रहा है. किसी ना किसी मुद्दे को लेकर दोनों सदनों में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी इंडिया गठबंधन की पार्टियों में वार-पलटवार हो रहे हैं. इस बीच इंडिया गठबंधन संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. इस प्रस्ताव पर अब तक इंडिया गठबंधन के 70 सांसद दस्तखत कर चुके हैं. 

दरअसल धनखड़ के राज्यसभा में कार्यवाही के संचालन को लेकर इंडिया गठबंधन की पार्टियां नाराज हैं उन्होंने पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (एसपी) और इंडिया गठबंधन की अन्य पार्टियां इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के अपने फैसले में एकजुट हैं. सभापति ने मंगलवार को 10.30 बजे सभी दलों की बैठक बुलाई है. 

विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए संविधान के आर्टिकल 67बी का इस्तेमाल करेगा. अगस्त में भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का विपक्ष ने ऐलान किया था.  सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों को नोटिस देने के लिए अगस्त में ही जरूरी संख्या में दस्तखत ले लिए थे, लेकिन वे आगे नहीं बढ़े क्योंकि उन्होंने धनखड़ को एक और मौका देने का फैसला किया था, लेकिन सोमवार के उनके आचरण को देखते हुए विपक्ष ने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया.

क्या है आर्टिकल 67बी?

भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए जो प्रक्रिया है वह भारतीय संविधान के आर्टिकल 67बी में बताई गई है. इसके मुताबिक, उपराष्ट्रपति को पद से तभी हटाया जा सकत है, जब उच्च सदन यानी राज्यसभा के तमाम सांसद की तरफ से प्रस्ताव पारित हो और लोकसभा के सदस्य भी इस प्रस्ताव पर सहमत हों. प्रावधान है कि इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना पड़ता है. अनुच्छेद 67 के मुताबिक, भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है. अगर उपराष्ट्रपति को इस्तीफा देना है तो वह राष्ट्रपति को खत लिखकर उस पर दस्तखत कर ऐसा कर सकते हैं. अगर उनके पद की अवधि खत्म भी हो गई है तो भी उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक उनको कार्यभार संभालना पड़ेगा.  

कांग्रेस करेगी अगुआई

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अगुवाई कर रही है जबकि तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के अलावा कई अन्य विपक्षी पार्टियां इस कदम का समर्थन कर रही हैं. संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं. 

राज्यसभा में सोमवार को सत्ता पक्ष एवं विपक्ष ने अलग-अलग मुद्दों पर भारी हंगामा किया जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब तीन बजकर दस मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्यों ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया और इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की. वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने अडाणी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस के कई सदस्यों ने सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ पर राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान ‘पक्षपातपूर्ण रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया.

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