Electoral Bonds: 'इलेक्टोरल बॉन्ड एक्सपेरिमेंट है, वक्त बताएगा कि यह कितना...', RSS की दो टूक
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Electoral Bonds: 'इलेक्टोरल बॉन्ड एक्सपेरिमेंट है, वक्त बताएगा कि यह कितना...', RSS की दो टूक

Dattatreya Hosabale on Electoral Bonds: होसबोले ने कहा, यह जांच और संतुलन के साथ किया गया है और ऐसा नहीं है कि चुनावी बॉन्ड आज अचानक पेश किया गया है, ऐसी योजना पहले भी लाई गई थी. जब भी कोई बदलाव होता है, तो सवाल उठाए जाते हैं. सवाल तब भी उठाए गए थे जब ईवीएम ( इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें) पेश की गईं.

Electoral Bonds: 'इलेक्टोरल बॉन्ड एक्सपेरिमेंट है, वक्त बताएगा कि यह कितना...', RSS की दो टूक

Dattatreya Hosabale: इलेक्टोरल बॉन्ड्स को सार्वजनिक करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किस पार्टी को कितना चंदा मिला, इसका खुलासा हो गया है. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को एक्सपेरिमेंट बताते हुए कहा कि यह समय ही बताएगा कि यह कितना फायदेमंद और असरदार है.  

रविवार को आरएसएस के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) ने फिर से दत्तात्रेय होसबाले को सरकार्यवाह निर्वाचित किया. आरएसएस ने 'एक्स' पर  कहा कि होसबाले 2021 से सरकार्यवाह हैं और उन्हें 2024 से 2027 तक की अवधि के लिए दोबारा से इस पद पर चुना गया है. 

चुनाव आयोग ने जारी किया डेटा

गुरुवार को चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डेटा जारी किया था, जिसके खरीदारों में अमीरों से लेकर ऐसी भी कंपनियां थीं, जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं. स्टील टायकून लक्ष्मी मित्तल से लेकर भारती एयरटेल के मालिक और अरबपति सुनील मित्तल, वेदांता के अनिल अग्रवाल, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा के अलावा फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने भी इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया. 

जब पूछा गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर चिंता उठ रही हैं और दावा किया जा रहा है कि अपने फायदे के लिए इन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे इसके जवाब में होसबोले ने कहा कि संघ ने अभी तक इस पर चर्चा नहीं की है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड्स एक 'एक्सपेरिमेंट' है.

'जब भी बदलाव होता है तो...'

होसबोले ने कहा, 'यह जांच और संतुलन के साथ किया गया है और ऐसा नहीं है कि चुनावी बॉन्ड आज अचानक पेश किया गया है, ऐसी योजना पहले भी लाई गई थी. जब भी कोई बदलाव होता है, तो सवाल उठाए जाते हैं. सवाल तब भी उठाए गए थे जब ईवीएम ( इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें) पेश की गईं'

होसबोले ने आगे कहा, 'जब भी कोई नई चीज आती है तो लोग ऐसे सवाल उठाते हैं. लेकिन टाइम ही बताएगा कि यह नया सिस्टम कितना असरदार और कारगर है. लेकिन संघ को लगता है कि इसे एक्सपेरिमेंट के लिए छोड़ देना चाहिए.' 

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