JN.1 Corona: क्या 'विंटर बग' बन गया कोरोना? JN.1 की स्पीड ने बजाया खतरे का अलार्म
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JN.1 Corona: क्या 'विंटर बग' बन गया कोरोना? JN.1 की स्पीड ने बजाया खतरे का अलार्म

JN.1 Cases in India: महाराष्ट्र में सोमवार को कोरोना के कुल मिलाकर 28 नए मामले दर्ज किए गए. नए वेरिएंट JN.1 का एक भी केस आज दर्ज नहीं हुआ. पूरे राज्य भर में अभी फिलहाल JN.1 वेरिएंट के 10 एक्टिव केस हैं. लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या कोविड-19 विंटर बग यानी ठंड वाली बीमारी बनता जा रहा है. 

JN.1 Corona: क्या 'विंटर बग' बन गया कोरोना? JN.1 की स्पीड ने बजाया खतरे का अलार्म

Covid-19 Cases in India: क्रिसमस आ चुका है और न्यू ईयर आने में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. लोगों ने अपनी छुट्टियां प्लान कर ली हैं. पैकिंग भी हो चुकी है. लेकिन तेजी से फैल रहे कोरोना और उसके सब-वेरिएंट JN.1 ने उनकी टेंशन बढ़ा दी है. लोग भले ही हिल स्टेशन्स का रुख कर रहे हैं. लेकिन इससे कोविड-19 के फैलने के चांस और बढ़ रहे हैं. जबकि देश के कई राज्यों में लोग बीमार पड़ रहे हैं और उनमें कमोबेश वही लक्षण नजर आ रहे हैं, जो हम सब अतीत में देख चुके हैं. 

महाराष्ट्र में सोमवार को कोरोना के कुल मिलाकर 28 नए मामले दर्ज किए गए. नए वेरिएंट JN.1 का एक भी केस आज दर्ज नहीं हुआ. पूरे राज्य भर में अभी फिलहाल JN.1 वेरिएंट के 10 एक्टिव केस हैं. दूसरी ओर,राजस्थान में सोमवार को कोरोना के 5 नए मामले सामने आए. राजधानी जयपुर में 3 नए केस आए.  जबकि एक मरीज अलवर और एक नागौर में पॉजिटिव मिला. फिलहाल प्रदेश में कोरोना के 25 एक्टिव मरीज हैं.

लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या कोविड-19 विंटर बग यानी ठंड वाली बीमारी बनता जा रहा है. अगर पिछले कुछ वर्षों पर नजर घुमाएं तो यह सच नजर आता है. खासकर ठंड के महीने में कोविड-19 अचानक तेजी से फैलता है और इसमें वही लक्षण देखने को मिलते हैं जो सीजनल फ्लू और बाकी कम प्रचलित वायरस के होते हैं. एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि कोविड-19 अब विंटर बग की तरह हमारे बीच रहेगा. 

क्यों ठंड में एक्टिव होता है कोविड?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, साइंटिफिक स्टडीज कहती हैं कि ठंडा तापमान और शुष्क हवा रेस्पिरेटरी वायरस की स्टेबिलिटी और ट्रांसमिशन के लिए पॉजिटिव माहौल बनाते हैं, जिस वजह से सर्दियों के दिनों में कोविड-19 अचानक तेजी से बढ़ने लगता है. इससे उसको म्यूटेट होने में मदद मिलती है. कोविड-19 से पीड़ित शख्स के खांसने से एयरोसॉलिस्ड पार्टिकल निकलते हैं, जो हवा में देर तक रहते हैं. इस कारण एक स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार हो सकता है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोविड-19 में इनक्यूबेशन पीरियड और बिना किसी लक्षण के फैलने की विशेषता के कारण ही यह ठंड के मौसम में और तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में लेता है. साल 2020 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, अगर ह्यूमि़डिटी में एक प्रतिशत की भी गिरावट होती है तो कोविड-19 के मामलों में 6 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है. 

ठंड में ही आई थी दूसरी-तीसरी लहर

ये इस तरह से साबित होता है कि भारत में दूसरी (2021) और तीसरी लहर (2022) दिसंबर और मार्च के बीच आई, जब देश भर में तापमान कम था. ओमीक्रॉन का JN.1 सब-वेरिएंट भी अब फैल रहा है. इसके अलावा किसी व्यक्ति का इम्यूनिटी सिस्टम कैसा है, यह भी निर्भर करता है कि कोरोना कैसा असर दिखाएगा. इन म्यूटेशन्स के कारण नए वेरिएंट्स पनपते हैं, जिस कारण ठंड में ये तेजी से फैलते हैं और लोगों को बीमार बना देते हैं. JN.1 की तुलना जब उसकी मूल वंशावली से की गई तो उसमें एक एक्स्ट्रा स्पाइक म्यूटेशन मिला. एचके.3 जैसे वेरिएंट में ईजी.5.1 वेरिएंट की तुलना में इम्यूनिटी से बचने की क्षमता भी होती है.

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