Success Story of IAS Mamta Yadav: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल होना एक ऐसी उपलब्धि है जो कई लोगों के लिए संभव नहीं है. हालांकि, आईएएस ममता यादव एक नहीं बल्कि दो बार इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की. आईएएस ममता यादव की जर्नी बेहद ही खास है. वह अपने गांव से पहली आईएएस अधिकारी बनीं और देशभर में महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए एक मिसाल कायम कीं.
आईएएस ममता यादव की कहानी दृढ़ संकल्प और अटूट समर्पण का परिणाम है. इस महिला अधिकारी की जर्नी कड़ी मेहनत और हिम्मत से अपनी आकांक्षाओं को हासिल करने का प्रयास करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा है.
हरियाणा के बसई गांव से आने वाली ममता की परवरिश बहुत ही साधारण तरीके से हुई. उनके पिता एक निजी कंपनी में कार्यरत थे और उनकी मां गृहिणी हैं.
दिल्ली के जीके में बलवंत राय मेहता स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद ममता ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से डिग्री हासिल की. इसके बाद ट्रेडिशनल करियर पाथ चुनने के बजाय उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया.
उनकी सफलता की यात्रा चार साल के अथक समर्पण और अद्वितीय दृढ़ता से तय हुई. हालांकि, साल 2019 में उनकी मेहनत रंग लाई, लेकिन 556वीं रैंक के कारण उनका आईएएस बनने का सपना अधूरा रह गया.
हालांकि, उनके पास मौका था कि वो इसी रैंक पर रेलवे में जॉब कर आगे की जिंदगी आराम से जिएं, लेकिन उन्हें अपने बचपन के सपने को पूरा करना था, इसलिए वो यहीं पर नहीं रुकीं. असफलताओं से घबराएं बिना ममता ने एक बार फिर तैयारी शुरू की और 2020 में यूपीएससी की परीक्षा में बैठीं.
जब यूपीएससी का रिजल्ट आया तो ममता को खुद यकीन नहीं हुआ, इस बार वह इतिहास लिख चुकी थीं. अटूट प्रतिबद्धता और संकल्प के कारण उनके नतीजे में गजब का उछाल आया और उन्होंने पूरे देश में 5वीं रैंक हासिल की. उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में ये कामयाबी बिना कोचिंग हासिल की थी.
हालांकि, एआईआर 556 से AIR 5 तक पहुंचना ममता के लिए कोई आसान बात नहीं थी. उन्होंने हर दिन 10 से 12 घंटे के अटूट समर्पण से तैयारी की. सेल्फ स्टडी पर जोर देते हुए ममता ने एनसीईआरटी और दूसरी किताबों पर भरोसा किया. ममता अपनी उपलब्धियों का श्रेय न अपने माता-पिता के अटूट समर्थन को देती हैं, जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे.
ममता यादव अपने गांव बसई की पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं. एक इंटरव्यू के दौरान ममता ने कहा था, "मुझे ये तो उम्मीद थी कि मेरी रैंक में सुधार होगा, लेकिन मैं 5वीं रैंक हासिल कर लूंगी, ये वाकई बहुत चौंकाने वाली बात है. कोई भी मंजिल ऐसी नहीं, जिसे आप हासिल नहीं कर सकते. जरूरत केवल उस मकसद को हासिल करने के लिए सही दिशा में मेहनत करने की है."
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