Chandrayaan-3: लैंडर विक्रम ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग की थी. इसके बाद चंद्रयान-3 मिशन शुरू हुआ था. फिर करीब 14 दिन बाद चांद पर रात हो गई और वहां लूनर नाइट शुरू हुई जो करीब 14 दिन तक चली.
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Vikram Lander Pragyan Rover: चंद्रयान-3 मिशन की अपार सफलता ने दुनिया को चकित कर दिया और इसरो की शक्ति का लोहा माना गया. लैंडर विक्रम ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग की थी. यह वह समय था जब वहां सूरज निकल चुका था. फिर इसके करीब 14 दिन बाद विक्रम और प्रज्ञान ने अपने मिशन को पूरा किया और उन्हें नींद में भेज दिया गया था क्योंकि चांद पर रात हो चुकी थी. फी इसी कड़ी में जब 21 सितंबर को चांद पर सुबह हुई तो इसरो की तरफ से प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जगाने की कोशिश भी शुरू कर दी गई थी. लेकिन इस मामले में अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है. ऐसे में सवाल है कि क्या अब प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर की नींद नहीं टूटेगी. क्या चंद्रयान-3 मिशन पूरा हो चुका है. आइए समझते हैं.
दरअसल, धरती के 14 दिन के बराबर चांद पर एक दिन होता है और रात की भी कमोबेश यही प्रक्रिया है. चंद्रयान-3 के मिशन का लक्ष्य 14 दिन का ही रखा गया था और यह तय था कि चांद पर जब अगली बार दिन होगा तो शायद ही विक्रम और प्रज्ञान काम कर पाएंगे और वही होता भी दिख रहा है. इधर इसरो के साइंटिस्ट लगातार कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में अगर विक्रम और प्रज्ञान एक्टिव हो जाते हैं, तो ये एक अप्रत्याशित सफलता होगी. जिसकी संभावना ना के बराबर है. क्योंकि मिशन के समय ही वैज्ञानिक बता चुके हैं कि शायद ही प्रज्ञान और विक्रम दोबारा जागेंगे.
जानकारी के मुताबिक 22 सितंबर से इसरो की टीम लगातार विक्रम लैंडर को संदेश भेज रही है. अगले कुछ दिनों तक और संदेश भेजते रहेंगे. जब तक फिर से वहां सूरज अस्त नहीं होता. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि प्रज्ञान और विक्रम एक्टिव नहीं हो पाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो चंद्रयान-3 मिशन को पूरा मान लिया जाएगा. एक्सपर्ट्स ने बताया था कि चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर की बैटरियां -200 और -250 डिग्री सेल्सियस के तापमान में जिंदा रहने के लिए नहीं बनी हैं. ऐसे में सूरज निकलने पर उनके फिर से काम करना मुश्किल है.
फिलहाल इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन पूरी तरह सफल रहा है. चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से यह पता चला कि चांद के साउथ पोल पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन मौजूद हैं. कहीं समतल तो कहीं बड़ा गड्ढा है. चांद पर वाइब्रेशन को भी रिकॉर्ड किया गया. वहीं रंभा-LP पेलोड ने चांद की सतह पर प्लाज्मा होने की बात कही थी. साथ ही बताया है कि यहां प्लाज्मा कम घना है. चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर हमेशा चांद की सतह पर ही रहेंगे. हालांकि विक्रम और प्रज्ञान को अंतरिक्ष का कबाड़ नहीं माना जाएगा.