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Banana Fruit: केला संस्कृत में इस 'कदली' फल कहा जाता है. किसी भी पूजा में इसके बिना पूजा को अधूरा माना जाता है. ज्योतिष और सनातन धर्म के अलावा केले को आयुर्वेद में भी विशेष स्थान प्राप्त है. केले का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में भी इसके कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जो जातकों की समस्याओं को दूर करनेवाले हैं.
वैसे भी केले के पौधे के बारे में कहा जाता है कि तुलसी की तरह ही हर सनातनी के घर में केले का पौधा भी होना चाहिए और इसकी नियमित पूजा के साथ इसमें जल, धूप, दीप और चंदन जरूर देना चाहिए. क्योंकि इसमें माता लक्ष्मी, भगवान श्री हरि विष्णु और बृहस्पति देव का वास होता है. ऐसे में वास्तु के दोष को दूर करने के लिए भी घरों में इसके पौधे का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं इसका पत्ता इतना पवित्र होता है कि हर पूजा में भगवान को भोग इसी के पत्ते पर लगाया जाता है.
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ऐसे में सत्नारायण की कथा से लेकर वृहस्पति वार की पूजा तक इस पौधे को बहुत उपयोगी माना गया है. इस पौधे की जड़ों को भी ज्योतिष के अनुसार बांधने की उन जातकों को सलाह दी जाती है जिनका बृहस्पति कमजोर या नीच का कुंडली में होता है.
ऐसे में केले की पूजा जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य के साथ संपन्नता प्रदान करनेवाली होती है. केले के फल के बारे में विशेष बात यह है कि कच्चा केला बुध ग्रह से संबंध रखता है जबकि पका केला बृहस्पति से. वहीं इसके मीठेपन का सीधा संबंध मंगल से है.
ऐसे में कुंडली में अगर बुध कमजोर हो तो बुधवार के दिन कच्चे केले के सेवन की सलाह दी जाती है. वहीं गुरुवार को केले के पौधे की पूजा जीवन में सुख-संपत्ति को दिलाने वाली होती है. गुरुवार को केले के जड़ में जल डालने से और केले का दान करने से आपके जीवन में ग्रहों से संबंधित जितनी परेशानियां आ रही हैं सभी दूर हो जाती हैं और विवाह और वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है.