Lumpy Virus: झारखंड में भी पैर पसार रहा लंपी वायरस, जानें कैसे मिलेगी मदद
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Lumpy Virus: झारखंड में भी पैर पसार रहा लंपी वायरस, जानें कैसे मिलेगी मदद

Lumpy Virus: मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बाद लंपी वायरस अब झारखंड में भी पैर पसारने लगा है. हालांकि पशुओं के बीच तेजी से फैलता ये वायरस झारखंड में अभी कम है, लेकिन इसका खतरा बढ़ता जा रहा है.

Lumpy Virus: झारखंड में भी पैर पसार रहा लंपी वायरस, जानें कैसे मिलेगी मदद

रांचीः Lumpy Virus: मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बाद लंपी वायरस अब झारखंड में भी पैर पसारने लगा है. हालांकि पशुओं के बीच तेजी फैलता ये वायरस झारखंड में अभी कम है, लेकिन इसका खतरा बढ़ता जा रहा है. दरअसल, अब ये वायरस झारखंड में भी रांची के नगड़ी और देवघर के आस-पास वाले इलाकों में पाया गया है. इसका सैंपल जांच के लिए भेज दिया गया है और जो भी पशु चिकित्सक है उनको निर्देशित किया गया है. सभी पशु चिकित्सकों को वैक्सीन नेशन की खरीदारी के लिए विभाग द्वारा आदेश दिए गए है. 

ट्रोल फ्री नंबर किया गया जारी 
वहीं कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि एक ट्रोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है. जिस पर सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक कॉल कर इसकी जानकारी दे सकते है. यह नंबर 18003097711 है. इसके बाद उचित चिकित्सा परामर्श किया जा सकेगा. वहीं आज बैठक पशुपालन निदेशक के साथ डॉक्टर की बैठक बुलाई गई है. इसमें रणनीति बनाई जाएगी. इस वायरस को कैसे खत्म किया जायेगा इस पर निर्णय लिया जाएगा. इन सब के बीच सवाल इस बात का उठता है कि क्या लम्पी वायरस से संक्रमित गाय के दूध को पीना चाहिए या नहीं. 

क्या है लंपी वायरस 
ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन (GAVI) के अनुसार लंपी वायरस भैंस और गाय में होने वाली एक बीमारी है. यह एक तरह की स्किन डिजीज है, जो वायरस के फैलने के कारण होता है. इस वायरस को Capri Poxvirus के नाम से भी जाना जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये वायरस अपना बिहेवियर भी चेंज कर सकता है और ऐसी संभावना है कि आगे चलकर ये वायरस इंसानों में भी फैल सकता है. इसलिए लोगों को इससे सतर्क रहने की जरूरत है.

थोड़ा ज्यादा रखें ध्यान 
- कच्चे दूध का इस्तेमाल न करें. 
- बिमार गाय के दूध का सेवन नहीं करें. 
- कम से कम 15 मिनट तक दूध को अच्छी तरह से उबाले.
- बीमार पशुओं से दूरी बनाएं. 

लंपी वायरस के लक्षण
- गाय या भैंस को तेज बुखार आना.
- गाय या भैंस के शरीर पर गांठ हो जाना.
- पशुओं का भोजन खाना कम हो जाना.
- पशुओं का वजन तेजी से कम होना.
- दूध देने की क्षमता में कमी होना.

(रिपोर्ट-अभिषेक भगत)

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