कॉमनवेल्थ खेल में पदक जीतकर वापस लौटे झारखंड के खिलाड़ी, एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत
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कॉमनवेल्थ खेल में पदक जीतकर वापस लौटे झारखंड के खिलाड़ी, एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत

Jharkhand Players: राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाली झारखंड की दो बेटियों की हर जगह चर्चा हो रही है, इनका नाम है- रूपा रानी तिर्की और लवली चौबे है. दोनों महिला खिलाड़ी भारतीय महिला लॉन बाल्स टीम की हिस्सा हैं

 

कॉमनवेल्थ खेल में पदक जीतकर वापस लौटे झारखंड के खिलाड़ी, एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत

रांची: राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के बाद मंगलवार को झारखंड के खिलाड़ी रांची एयरपोर्ट पहुंचे. इस दौरान झारखंड सरकार सहित जैप 1 ने सभी खिलाड़ियों का जोरदार स्वागत किया. पुरुष खिलाड़ियों में सुनील बहादुर,दिनेश कुमार,चंदन सिंह (सिल्वर मेडल), महिला खिलाडियों में लवली चौबे,रूपा रानी तिर्की(गोल्ड मेडल) ने पदक जीतकर झारखंड का नाम देश विदेशों में रोशन किया है. रांची एयरपोर्ट पर पहुंचते ही खिलाड़ियों का ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया गया. लोग एयरपोर्ट पर तिरंगा लेकर पहुंचे थे, और खिलाड़ियों के बाहर आते ही पूरा एयरपोर्ट भारत माता की जय से गूंज उठा.खिलाड़ियों का इस तरह से स्वागत देखकर उनके परिवार के सदस्य खुशी से रो पड़े तो वही खिलाड़ियों ने भी अपने परिवार को गले लगा कर खुशी जाहिर किया. 

झारखंड की बेटियों ने रचा इतिहास
राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाली झारखंड की दो बेटियों की हर जगह चर्चा हो रही है, इनका नाम है- रूपा रानी तिर्की और लवली चौबे है. दरअसल, यह दोनों महिला खिलाड़ी भारतीय महिला लॉन बाल्स टीम की हिस्सा हैं. चार खिलाड़ियों की टीम स्पर्धा के सेमीफाइनल में झारखंड की इन बेटियों ने जहां न्यूजीलैंड को 16-13 से हराकर इतिहास रच दिया, वहीं फाइनल मैच में साउथ अफ्रीका को हरा कर गोल्ड जीता था. इस समय कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के बाद दोनों पहली बार झारखंड पहुंची थी. इन्होंने अपने प्रयास से राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया है. चार महिला खिलाड़ियों की इस टीम को लवली चौबे लीड कर रही थी. वहीं पिंकी, नयनमोनी सेकिया और रूपा रानी तिर्की टीम का हिस्सा रहीं. 

लॉन बाल्स में पहली बार पदक
बता दें कि लॉन बाल्स में भारत को पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है. इससे पहले इस खेल में भारत को एक भी पदक हासिल नहीं हुआ था. इस नजरिए से भी यह ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है. लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की अपनी सफलता के बारे में कहती हैं कि उन्हें पूरा यकीन था कि इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड उनके नाम होगा. भारत ने सेमीफाइनल में जब न्यूजीलैंड की टीम को पराजित कर दिया, उसी समय यह यकीन पुख्ता हो गया कि अब गोल्ड भी उनके नाम होगा. 

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प्रधानमंत्री ने बढ़ाया हौसला 
वहीं राष्ट्रमंडल खेलों में सिल्वर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में भी खासा उत्साह देखने को मिला. झारखंड लौटने के बाद सभी ने कहना है कि प्रधानमंत्री ने भी हम लोगों से मुलाकात की और हमारा हौसला बढ़ाया. आने वाले दिनों में सिल्वर को गोल्ड में बदलकर फिर से झारखंड का नाम हम विदेशों तक पहुंचाएंगे. लोगों का प्यार देखकर हमारा उत्साह और बढ़ गया है.

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