Bihar News: BPSC छात्रों के समर्थन में हुए इस आंदोलन ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. हालांकि, प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा ने जनता के लिए मुश्किलें पैदा कीं और लोकतांत्रिक विरोध की सीमाओं पर बहस को जन्म दिया है.
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पूर्णिया: पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने BPSC छात्रों के समर्थन में बिहार बंद का आह्वान किया, जिसके तहत पटना समेत राज्य के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए. अशोक राजपथ पर आंदोलन के दौरान कुछ गाड़ियों में तोड़फोड़ और सड़क पर आगजनी की घटनाएं सामने आईं. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक हलकों में गरमागरमी शुरू हो गई है.
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन ने पप्पू यादव की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पप्पू यादव अराजकता का परिचय दे रहे हैं. आज जब BPSC की प्रमाणिकता बढ़ी है और मुद्दे खत्म हो गए हैं, तब राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस तरह का प्रदर्शन किया जा रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बंद के दौरान पप्पू यादव के समर्थक डंडों से हमला कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर RJD के प्रवक्ता एजाज अहमद ने प्रदर्शन के दौरान हिंसा की आलोचना करते हुए कहा कि लोकतंत्र में अपनी बात रखने का सबको अधिकार है, लेकिन यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक होनी चाहिए. आम जनता को नुकसान पहुंचाने वाले तरीकों से बचना चाहिए. साथ ही कांग्रेस विधायक प्रतिमा कुमारी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से BPSC परीक्षा में कथित गड़बड़ियों की जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन का एक शांतिपूर्ण तरीका होना चाहिए. हिंसा और तोड़फोड़ समाज में अशांति फैलाती है. सरकार को अपनी गलतियों को सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए.
पप्पू यादव का पक्ष और राजनीतिक आरोप
जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने पप्पू यादव के कदम को राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि बिहार बंद में कोई परीक्षार्थी शामिल नहीं था. यह केवल मतदाताओं के बीच सक्रियता का संदेश देने और राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास है. इस पूरे घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार बंद का तरीका सही था और क्या यह प्रदर्शन छात्रों के हित में था या केवल राजनीतिक लाभ का साधन. पप्पू यादव ने छात्रों के समर्थन में कदम उठाने का दावा किया है, लेकिन घटनाओं के स्वरूप ने उनके इरादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
इनपुट- रूपेन्द्र श्रीवास्तव
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