Bihar Politics: जगदानंद सिंह और उनके बेटे सुधाकर सिंद दोनों काफी समय से पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे हैं. बाप-बेटे दोनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी नहीं पहुंचे थे. इतनी महत्वपूर्ण बैठक से प्रदेश अध्यक्ष का गायब होना, पार्टी के लिए चिंता का विषय हो सकती है.
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Bihar Politics: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले राजद पार्टी खुद की ओवरहालिंग करने में जुटी है. पार्टी ने तेजस्वी यादव के कद को बढ़ाते हुए उन्हें लालू यादव के बराबर अधिकार दे दिए हैं. इन सबके बीच पार्टी की सबसे बड़ी चिंता जगदानंद सिंह और उनका परिवार है. दरअसल, जगदानंद सिंह और उनके बेटे सुधाकर सिंद दोनों ने पार्टी कार्यालय आना छोड़ दिया है. राजद ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि जगदानंद सिंह इस समय बीमार चल रहे हैं इसलिए कार्यालय नहीं आ रहे हैं. अगर पार्टी की इस बात को मान लें तो सवाल ये उठता है कि जगदानंद सिंह के बेटे और राजद सांसद सुधाकर सिंह क्यों कार्यालय नहीं आ रहे है?
तेजस्वी यादव जब अपनी यात्रा के दौरान बक्सर पहुंचे थे, उसमें भी बाप-बेटे शामिल नहीं हुए थे. हाल ही में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. इस महत्वपूर्ण बैठक में भी जगदानंद सिंह का परिवार गायब था. इन सबको देखते हुए सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है. सियासी गलियारों में चर्चा तो प्रदेश अध्यक्ष के बदले जाने को लेकर भी हो रही है. सूत्रों का कहना है कि राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान किया जाना था, लेकिन जब इस महत्वपूर्ण बैठक में भी जगदानंद सिंह और उनके बेटे सुधाकर सिंह नहीं पहुंचे तो आखिरी वक्त में इस प्लान को बदल दिया गया. इस बैठक में पार्टी के संगठन चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव पास किया गया. रामचंद्र पूर्वे को चुनाव पदाधिकारी बनाया गया है.
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जगदानंद सिंह की ओर से अभी तक नाराज होने या फिर नाराज न होने को लेकर कोई सफाई नहीं दी गई है. इससे लग रहा है कि कुछ तो बात है जो परदे के उस पार है. तो क्या जगदानंद सिंह राजद के पूर्व नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की राह पर हैं? सूत्रों का तो ये भी कहना है कि जगदानंद सिंह इस वक्त लालू परिवार से नाराज चल रहे हैं और कभी भी पार्टी छोड़ सकते हैं. दरअसल, रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. वह तीसरे स्थान पर खिसक गए थे. जबकि यह जगदानंद सिंह की परंपरागत सीट है और यहां से वे 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं. 2020 में सुधाकर सिंह यहां से जीते थे. जगदानंद सिंह का मानना है कि तेजस्वी ने यहां मेहनत नहीं की और जानबूझकर उनके बेटे को चुनाव हरवाया है.
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