Bihar News: 22 जनवरी को राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होकर सभी को चौंका सकते हैं नीतीश कुमार!
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2044266

Bihar News: 22 जनवरी को राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होकर सभी को चौंका सकते हैं नीतीश कुमार!

Bihar News: अयोध्या में 500 साल के लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद 22 जनवरी को अपने मंदिर में रामलला विराजमान होने वाले हैं. इसके लिए पूरे देश में उत्साह है. वहीं आपको बता दें कि राम मंदिर के कार्यक्रम में सियासी बयानबाजी का भी तड़का लगा है. कार्यक्रम अयोध्या में होना है.

फाइल फोटो

पटना : Bihar News: अयोध्या में 500 साल के लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद 22 जनवरी को अपने मंदिर में रामलला विराजमान होने वाले हैं. इसके लिए पूरे देश में उत्साह है. वहीं आपको बता दें कि राम मंदिर के कार्यक्रम में सियासी बयानबाजी का भी तड़का लगा है. कार्यक्रम अयोध्या में होना है. इसमें शामिल होने के लिए लोगों को निमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं. लेकिन, देश की सियासत में एक तरह से सियासी कोहराम मचा हुआ है. राम मंदिर कार्यक्रम को लेकर कई सियासी दलों के नेता जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, उसने पूरे देश के सनातन समाज को आहत किया है. इस सब के बीच बिहार की राजनीति में राम मंदिर की वजह से सियासी पारा चढ़ा हुआ है. एक तरफ राम मंदिर पर राजद के नेताओं का विरोध जारी है. तेजस्वी यादव भी मान रहे हैं कि बीमार पड़ने पर मंदिर नहीं अस्पताल जाना होगा. मतलब वह सिरे से इस बात को खारिज कर दे रहे हैं कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का उनकी नजर में अहमियत कुछ भी नहीं है. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड के नेता राम मंदिर पर राजद के नेताओं के बयान का जमकर विरोध कर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें- संयोजक नहीं, जेडीयू ने तो नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर दी

अब इस सब के बीच बता दें कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 22 जनवरी को शामिल होने के लिए निमंत्रण मिल चुका है. ऐसे में इंडिया गठबंधन में शामिल नीतीश कुमार वहां कार्यक्रम में उपस्थित होंगे या नहीं इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. जबकि इस गठबंधन के कई सहयोगी दलों के नेता जिस तरह की बयानबाजी राम मंदिर को लेकर कर रहे हैं उससे तो साफ पता चल रहा है कि उनके लिए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम कोई अहमियत नहीं रखती है. 

राम मंदिर के ट्रस्टी रामेश्वर चौपाल की तरफ से इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण पत्र नीतीश कुमार और लालू यादव को भेजा गया है. वह सीएम से मिलने भी गए थे लेकिन नीतीश कुमार बाहर थे ऐसे में उनकी उनसे मुलाकात नहीं हो पाई. अब तो नीतीश कुमार को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भी मिल चुका है. जबकि उनकी पार्टी की तरफ से केसी त्यागी ने पहले ही रूख साफ कर दिया था कि अगर उनके नेता को निमंत्रण मिलता है तो वह बेहिचक अयोध्या जाएंगे. हालांकि नीतीश कुमार जिस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं उसमें से कांग्रेस के नेताओं को भी इस कार्यक्रम का निमंत्रण मिला है. लेकिन, उसमें से कोई नेता इसमें जाएगा या नहीं इसको लेकर असमंजस की स्थिति है. जबकि वाम नेता सीताराम येचुरी ने तो इसमें शामिल होने से साफ इंकार कर दिया है.   

अब जरा एक बार इस पर भी गौर कीजिए कि कैसे नीतीश कुमार राम मंदिर के कार्यक्रम में उपस्थित होकर सबको चौंका सकते हैं. बिहार में इन दिनों सियासी तौर पर जो कुछ हो रहा है वह स्पष्ट दिखने लगा है. नीतीश कुमार की पार्टी सीधे तौर पर राजद के उन नेताओं पर हमलावर हो गई है. जो राम मंदिर के खिलाफ किसी भी तरह का बयान दे रहे हैं. यह बस ऐसे ही नहीं हुआ है. नीतीश कुमार के हाथ में पार्टी की कमान आने के बाद से ही ऐसा कहा जाने लगा था कि वह बस इंतजार कर रहे हैं कि कब पलटी मारनी है. वहीं तेजस्वी यादव जिस तरह से राम मंदिर को लेकर मुखर होकर बयान देते नजर आए इससे तो लग ही गया कि अब नीतीश का गठबंधन में लंबा रहना मुश्किल है. जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार अब राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होकर गठबंधन को चौंकाने के मुड में ही हैं. 

वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार कभी अपने लिए रास्ते बंद करके नहीं रखना चाहते वह दरवाजा बंद करते हैं तो राजनीति के गलियारों में झांकने वाली खिड़की खुली रखते हैं. जिस तरह से इंडिया गठबंधन की नींव रखने वाले नीतीश कुमार के साथ वहां व्यवहार हुआ है उससे वह सहज तो बिल्कुल भी महसूस नहीं कर रहे हैं. ऐसे में नीतीश कुमार समय देखकर पलटी मारेंगे जरूर और राम मंदिर के कार्यक्रम से अच्छा वक्त इसके लिए क्या हो सकता है. नीतीश की पार्टी ने अब तो खुलकर इंडिया गठबंधन में नीतीश के लिए संयोजक की नहीं बल्कि पीएम पद के उम्मीदवार की जगह मांग ली है. सबको पता है कि यह आकांक्षा कई और नेताओं के दिलों में पल रही है और कांग्रेस तो खुद इससे पीछे हटेगी नहीं ऐसे में नीतीश के लिए यह सबसे अच्छा मौका होगा. 

नीतीश के इस शतरंज वाली आड़ी-टेड़ी चाल को समझना किसी भी पार्टी के नेता के लिए मुश्किल है. उन्होंने एक ही झटके से राजद को कंट्रोल में ले लिया है. इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी को टूटने से भी साफ बचा लिया है. जिस तरह से ललन सिंह को नीतीश ने किनारा लगाया उसको शांत तरीके से भी किया जा सकता था लेकिन इससे शायद राजद को ज्यादा झटका नहीं लगता ऐसे में नीतीश ने सब कुछ वही किया जो मीडिया की नजर में हो. खबर भी लीक हुई. कार्य कारिणी की बैठक के साथ पार्टी के राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी कराई और ललन सिंह को किनारे भी लगाया और राजद को साफ संदेश भी दे गए तब से राजद शांत है. 

इधर ईडी के सामने तेजस्वी की पेशी है तो उन्हें सीएम से लंबे समय से दूरी बनाना अच्छा नहीं लगा. ऐसे में उन्होंने सीएम नीतीश के आवास पर जाकर पहले उनके सामने पेशी दी. नीतीश पिछले कुछ दिनों से तेजस्वी और लालू से बातचीत भी नहीं कर रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी को 2017 वाला वह दिन याद है जब तेजस्वी के खिलाफ जांच पर उनसे सवाल किया गया था और वह जवाब देते उससे पहले सरकार चली गई थी. तेजस्वी को पता है नीतीश शांत है मतलब खेल कुछ ना कुछ होने वाला है और ऐसा हुई तो इस बार वह कहीं के नहीं रहेंगे. जो बिहार का सीएम बनने का सपना उन्होंने देखा है उसमें वह कामयाब तो कतई नहीं हो पाएंगे. क्योंकि ललन सिंह के जरिए की जाने वाली उनकी एक कोशिश तो नीतीश ने नाकाम कर ही दी है. नीतीश हालांकि लोकसभा चुनाव पर ध्यान केंद्रित कर बैठे हैं. उन्हें पता है कि कैसे भाजपा और राजद दोनों को भ्रम में रखना है. उन्हें पता है कि लोकसभा चुनाव के बाद तो उनको ना राजद भाव देने वाली है ना भाजपा. ऐसे में भाजपा के साथ फायदा यह है कि उनका वहां सम्मान जरूर बचा रहेगा. ऐसे में राजद के साथ अब कम से कम लोकसभा चुनाव में वह मैदान में तो नहीं होंगे और भाजपा के साथ वह जितना ज्यादा सौदा कर लेंगे उनके लिए बेहतर होगा.  
  

Trending news