Hajipur Seat: हाजीपुर पर चाचा-भतीजे में कैसे होगी सुलह? पशुपति और चिराग दोनों ही अपनी बात पर अड़े
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Hajipur Seat: हाजीपुर पर चाचा-भतीजे में कैसे होगी सुलह? पशुपति और चिराग दोनों ही अपनी बात पर अड़े

हाजीपुर सीट पर चाचा-भतीजा दोनों ही अपना-अपना दावा कर रहे हैं. लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान चिराह ने परोक्ष रूप से हाजीपुर पर अपना दावा ठोंका था. अब उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने साफ कर दिया कि हाजीपुर के सांसद वो हैं और उन्हें यहां से कोई ताकत हिला नहीं सकती. 

फाइल फोटो

Pashupati Paras Vs Chirag Paswan: केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान अब दोनों ही टीम एनडीए का हिस्सा हैं. एनडीए में वापसी के बाद से दोनों के बीच राजनीतिक बयानबाजी काफी हद तक कम हो गई है, लेकिन हाजीपुर सीट को लेकर दोनों की तनातनी अभी भी जारी है. हाजीपुर सीट पर चाचा-भतीजा दोनों ही अपना-अपना दावा कर रहे हैं. लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान चिराह ने हाजीपुर सीट को अपनी पिता की कर्मभूमि बताया था. इस तरह से उन्होंने परोक्ष रूप से हाजीपुर पर अपना दावा ठोंका था. अब उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने साफ कर दिया कि हाजीपुर के सांसद वो हैं और उन्हें यहां से कोई ताकत हिला नहीं सकती. 

हाजीपुर पहुंचे केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हाजीपुर से मैं सांसद हूं और मैं यहीं से चुनाव लड़ूंगा. उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई ताकत हमें इधर-उधर नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा कि हाजीपुर हमारा है और हमने 40 साल से हाजीपुर की सेवा की है. दुनिया की कोई ताकत हमें हाजीपुर से चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती है. उन्होंने कहा कि किसी की औकात नहीं है कि वह हाजीपुर से चुनाव लड़ ले. माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री ने अपने भतीजे और लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को ये संदेश दिया है. क्योंकि चिराग ने संसद में हाजीपुर सीट को अपने पिता की कर्मभूमि बताया था.  

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दरअसल, दिवंगत नेता रामविलास पासवान ने हाजीपुर सीट को अपनी कर्मभूमि बनाई थी. इस कारण से पासवान फैमिली के लिए केंद्र की राजनीति तक पहुंचने के लिए यह सीट सबसे आसान रास्ता है. जातीय समीकरण से भी यह सीट पासवान फैमिली के बिल्कुल मुफीद है. इस क्षेत्र में हिन्दुओं की आबादी सबसे अधिक है. जातीय आधार पर इस क्षेत्र में यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, पासवान और रविदास की संख्या सर्वाधिक है. अति पिछड़ों की भी अच्छी संख्या है जिनकी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अल्पसंख्यकों में मुस्लिम साढ़े 9 प्रतिशत हैं. क्रिश्चियन 0.06 तथा सिख, बुद्धिस्ट और जैन 3 प्रतिशत हैं. 

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