गुरु गोविंद सिंह के 356वें प्रकाशोत्सव को लेकर तैयारी पूरी, दानापुर पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था
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trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1502015

गुरु गोविंद सिंह के 356वें प्रकाशोत्सव को लेकर तैयारी पूरी, दानापुर पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था

Gurudwara Handi Sahib: सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह के 356 वें प्रकाशोत्सव को लेकर बिहार में तैयारियां जोरों पर है. राज्य में देश के अलग- अलग शहरों से लोगों का जत्था बिहार पहुंचने लगा है.

गुरु गोविंद सिंह के 356वें प्रकाशोत्सव को लेकर तैयारी पूरी, दानापुर पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था

दानापुर:Gurudwara Handi Sahib: सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह के 356 वें प्रकाशोत्सव को लेकर बिहार में तैयारियां जोरों पर है. राज्य में देश के अलग- अलग शहरों से लोगों का जत्था बिहार पहुंचने लगा है. बिहार के दानापुर में ऐतिहासिक हांड़ी साहेब गुरुद्वारा में सिखों का जत्था वाहे गुरुजी खालसा, वाहे गुरूजी की फ़तेह के गुणगान के साथ पहुंचा. यहां फूल-मालाओं के साथ उनका स्वागत किया गया. पहले से लुधियाना से पहुंची सिख श्रदालुओं की पूरी टीम दिन-रात गुरु हांड़ी साहिब में आयोजन में लगी है. इस मौके पर बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग राज्यों से सिख श्रद्धालू का संगत गुरु हांड़ी साहेब में मत्था टेका और अरदास करने आते हैं. गुरु हांड़ी साहेब में 25 दिसम्बर से लेकर 30 दिसम्बर तक प्रकाश पर्व का कार्यक्रम चलेगा. 

दानापुर पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था
बता दें कि सिख समुदाय के लोग दानापुर हांडी साहिब गुरुद्वारा पहुंच रहे हैं और भजन कीर्तन कर रहे हैं. वहीं पूरे देश के कोने-कोने से पहुंचे सिख श्रद्धालुओं के द्वारा लंगर की तैयारी की जा रही है. महिला श्रद्धालुओं के द्वारा प्रसाद बनाया जा रहा है तो कहीं बर्तन साफ सफाई का कार्य किया जा रहा है. लुधियाना से दानापुर पहुंची सामा ने बताया कि मैं 4 दिन पहले यहां आई हूं और हांडी साहिब गुरुद्वारा में सेवादार के रूप में कार्य कर रही हूं. यहां बिना मांगे सब चीज मिलता है. गुरु की सेवा सबसे बड़ी सेवा है. बताया जाता है कि सिखों के दसवें गुरु और खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविद सिह जी बाल्यावस्था में आनंदपुर साहिब जाने के क्रम में आज ही के दिन पहला पड़ाव गंगा किनारे स्थित जमुनी माई के झोपड़ीनमा घर में डाला था. वृद्ध जुमनी माई ने बाला प्रीतम गुरूगोविद सिंह जी महाराज एवं उनके संगत को प्यार से खिचड़ी खिलाई थी. 

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जमुनी माई ने खिलाई थी खिचड़ी 
संगत अधिक होने पर जमुना माई ने घबराकर उनसे लाज रखने की प्रार्थना की थी. तब गुरुजी ने अपना सरोपा को उस खिचड़ी भरी हांडी पर रख दिया. बाला प्रीतम की कृपा से पूरी संगत ने भोजन किया उसके बाद भी जितनी हाड़ी में खिचड़ी थी वो बची रही. कहा जाता है कि सुबह जब बाला प्रीतम ने जमुनी माई से जाने की इजाजत मांगी, तो जमुनी माई ने पुन: दर्शन की इच्छा जताई. जिसपर बाला प्रीतम ने जमुनी माई को कहा कि प्रत्येक दिन हांडी में खिचड़ी बनाकर संगत को खिलांएगी, तो वह बालक रूप में संगत में शामिल रहेंगे. उसके बाद जमुनी माई के आग्रह पर बाला प्रीतम ने अपने बाल रूप के चरणों का पद चिह्न छोड़ गए. आज भी हांडी साहब गुरुद्वारा में प्रसाद स्वरूप खिचड़ी का लंगर चलता है व उनके चरण चिन्ह का लोग दर्शन करते है.

इनपुट- इश्तियाक खान

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