Dhanbad Lok Sabha Seat: साल 2009 से ही बीजेपी इस सीट पर काबिज है. तीनों बार पशुपतिनाथ सिंह को सफलता मिली है. चुनाव दर चुनाव उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही गई. ये बात उनको मिले वोटों से समझा जा सकता है. साल 2009 में उन्हें 2,60,521 (31.99 %) वोट मिले थे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे को हराया था. 2014 के चुनाव में पशुपतिनाथ सिंह को 5,43,491 (47.51%) वोट मिले.
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Dhanbad Lok Sabha Seat: धनबाद लोकसभा सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला बेहद ही दिलचस्प हो सकता है. इस सीट पर 7 बार भारतीय जनता पार्टी ने और 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. साल 2009 के बाद से लगातार बीजेपी के पशुपतिनाथ सिंह यहां से जीतते आए हैं. हालांकि, साल 2024 चुनाव के लिए बीजेपी ने उनकी जगह ढुलू महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, कांग्रेस ने अनुपमा सिंह पर भरोसा जताया है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस सीट पर मुकाबला कांटे का हो सकता है.
कौन हैं बीजेपी के ढुलू महतो?
जीत की हैट्रिक लगाने के बाद भी जब पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर बीजेपी ने ढुलू महतो पर भरोसा जताया तो लोगों में सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा थी कि आखिर ढुलू महतो कौन हैं. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर कौन हैं ढुलू महतो. ढुलू तीन बार से (2009, 2014, 2019) बाघमारा विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव जीतते आ रहे हैं. साल 2009 में वह झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. लेकिन 2014 और 2019 में वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और दोनों ही चुनाव में उन्हें सफलता मिली. बाघमारा के चिटाही गांव के रहने वाले ढुलू ने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उन्हें बाहुबली नेता कहा जाता है. उन पर 53 एफआईआर दर्ज है और चार मामले में कोर्ट ने सजा भी मिल चुका है. साथ ही अलग-अलग मामलों में जेल भी जा चुके हैं.
कौन हैं कांग्रेस की अनुपमा सिंह?
बाहुबली नेता ढुलू महतो के सामने कांग्रेस ने अनुपमा सिंह को मैदान में उतारा है. अनुपमा सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय राजेंद्र सिंह की पुत्रवधू और बेरमो विधायक जयमंगल सिंह की पत्नी हैं. राजेंद्र सिंह को बेरमो विधानसभा से तीन बार 2000, 2009 और 2019 में सफलता मिली थी. मई 2020 में उनके निधन के बाद बेरमो सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें उनके बेटे जयमंगल सिंह को जीत मिली. उन्होंने बीजेपी के योगेश्वर महतो को हराया था.
2009, 2014, 2019 का जनादेश
साल 2009 से ही बीजेपी इस सीट पर काबिज है. तीनों बार पशुपतिनाथ सिंह को सफलता मिली है. चुनाव दर चुनाव उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही गई. ये बात उनको मिले वोटों से समझा जा सकता है. साल 2009 में उन्हें 2,60,521 (31.99 %) वोट मिले थे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे को हराया था. 2014 के चुनाव में पशुपतिनाथ सिंह को 5,43,491 (47.51%) वोट मिले. जो कि पिछले चुनाव से 15.51% ज्यादा था. 2019 के चुनाव का परिणाम देखें तो उन्होंने कांग्रेस के कीर्ति आजाद को हराया था. इस चुनाव में उन्हें 827,234 (66.03%) वोट प्राप्त हुए जो कि 2019 के चुनाव से (18.51%) ज्यादा था. वहीं, कीर्ति आजाद को केवल 3,41,040 ( 27.22%) वोट ही मिले थे.
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विधानसभा सीट और जातीय समीकरण
साल 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की जनसंख्या 26 लाख 84 हजार 487 है. इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं. निरसा, धनबाद, चन्दनकियारी (अनुसूचित जाति ), बोकारो, झरिया और सिन्दरी. यहां 62% शहरी तो 38% ग्रामीण मतदाता हैं. ऐसे में शहरी मतदाता का झुकाव जिस भी पार्टी की तरफ होगा उस पार्टी को यहां से जीत मिलेगी.
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सीट का इतिहास, कब किसको मिली जीत (1952-2019)
1952 कांग्रेस पीसी बोस
1957 कांग्रेस पीसी बोस
1962 कांग्रेस पीसी बोस
1967 निर्दलीय रानी ललिता राज्य लक्ष्मी
1971 कांग्रेस राम नारायण शर्मा
1977 मार्क्सवादी समन्वय समिति एके रॉय
1980 मार्क्सवादी समन्वय समिति एके रॉय
1984 कांग्रेस शंकर दयाल सिंह
1989 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी एके रॉय
1991 बीजेपी रीता वर्मा
1996 बीजेपी रीता वर्मा
1998 बीजेपी रीता वर्मा
1999 बीजेपी रीता वर्मा
2004 कांग्रेस चंद्र शेखर दुबे
2009 बीजेपी पशुपतिनाथ सिंह
2014 बीजेपी पशुपतिनाथ सिंह
2019 बीजेपी पशुपतिनाथ
रिपोर्ट: नितेश मिश्रा