Delhi Masjid Demolition: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला विराजमान होंगे. प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लेकर पूरे देश में उत्साह है. इस बीच दिल्ली में एक मस्जिद को लेकर विवाद हो गया है. ट्रैफिक समस्या को लेकर NDMC ने मस्जिद को हटाने पर जनता की राय मांगी है.
Trending Photos
Sunehri Masjid Demolition: ऐसे समय में जब अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है, दिल्ली में मुगल काल की एक मस्जिद को गिराने के प्रस्ताव पर विरोध बढ़ रहा है. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) ने मस्जिद को गिराने के प्रस्ताव पर जनता से राय मांगी है. मुस्लिम समुदाय के लोग ही नहीं, कुछ इतिहासकार भी इस कदम के खिलाफ हैं. इधर, अमरोहा से लोकसभा सांसद दानिश अली ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि मस्जिद का ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व है, इसे गिराया नहीं जाना चाहिए. हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी पत्र लिखकर #SunehriMasjid हटाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इतनी पुरानी मस्जिद को हटाना भारत की विरासत को नुकसान पहुंचाना है. यह मस्जिद वक्फ प्रॉपर्टी है और ऐसे में इसे किसी कमेटी के फैसले से हटाया नहीं जा सकता. विवाद बढ़ रहा है तो समझना भी जरूरी हो जाता है कि यह मस्जिद दिल्ली में कहां है और इसका इतिहास क्या है. यह भी जान लीजिए कि आज इसे हटाने की क्या जरूरत आ पड़ी है?
दिल्ली में कहां है सुनहरी मस्जिद
नाम पर भ्रमित मत होइएगा. यह मस्जिद (Where Is Sunehri Masjid In Delhi) उद्योग भवन वाले चौराहे के बीच में है. केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन से उतरकर भी यहां पहुंचा जा सकता है. ओवैसी ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें बताया गया है कि सुनहरी बाग मस्जिद लुटियंस दिल्ली में तब बनी थी जब यह इलाका गांव हुआ करता था. अंग्रेजों ने जब भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट की तो इस इलाके की आबादी को दूसरी जगह बसा दिया गया था लेकिन सुनहरी मस्जिद को छुआ नहीं गया था. इस क्षेत्र को ही लुटियंस दिल्ली कहा गया. हालांकि आज ट्रैफिक आसान करने के लिए इसे हटाने की बात हो रही है. चौराहे पर मस्जिद होने के कारण आसपास यातायात बाधित होने की बात कही जा रही है.
लुटियंस ने मस्जिद को बचाया था
मस्जिद के समर्थकों का तर्क है कि नई दिल्ली के आर्किटेक्चर लुटियंस ने इस मस्जिद को बचाने के लिए इलाके को गोल चौराहे की शक्ल दे दी थी. उनका यह भी कहना है कि इस मस्जिद ने नई दिल्ली को भारत की राजधानी बनते हुए सबसे नजदीक से देखा है.
इतिहासकार क्या कहते हैं
सांसद दानिश अली ने विरासत संरक्षण समिति को लिखे पत्र में कहा है कि मस्जिद के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व को देखते हुए ऐसा कदम अनुचित है. मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर सवाल उठ सकता है और इससे जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में अवकाश होने के तुरंत बाद नोटिस जारी करने से प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है. अब खबर है कि एनडीएमसी को मस्जिद हटाने के संबंध में ईमेल पर 2,000 से अधिक टिप्पणियां और सुझाव मिले हैं. ये सुझाव मुस्लिम संगठनों और अल्पसंख्यक कल्याण निकायों के हैं. एनडीएमसी की ओर से कहा गया है कि उन्हें आसपास ट्रैफिक जाम की शिकायत पर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से एक अनुरोध मिला था. इसके बाद प्रक्रिया शुरू की गई.