DNA: क्या ड्राइवर आपकी भी कैब कर देता है कैंसल? क्यों कंपनियां गलती मानने को नहीं तैयार
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DNA: क्या ड्राइवर आपकी भी कैब कर देता है कैंसल? क्यों कंपनियां गलती मानने को नहीं तैयार

आपको भी ये महसूस हुआ होगा कि ओला-उबर जैसी कैब सर्विसेज सहूलियत के बजाय सिरदर्द बन जाती हैं. ऑनलाइन सर्विसेज कंपनी लोकल सर्विस के सर्वे में कहा गया कि देश में ऑनलाइन कैब का इस्तेमाल करने वाले 84 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि कैब ड्राइवर उनकी ड्रॉप लोकेशन और पेमेंट मोड जानने के बाद कैब कैंसल कर देते हैं.

DNA: क्या ड्राइवर आपकी भी कैब कर देता है कैंसल? क्यों कंपनियां गलती मानने को नहीं तैयार

कैब में तो ज्यादातर लोगों ने सफर किया ही होगा. आज हम आपको ऐप आधारित कैब सेवाओं की अनैतिक व्यापार नीति के बारे में बताएंगे. ओला-उबर जैसी कैब सर्विसेज की पहुंच अब देश के लगभग हर छोटे-बड़े शहर में हो चुकी है. आपमें से भी कई लोगों के मोबाइल फोन में किसी ना किसी कैब सर्विस की ऐप होगी. लेकिन कई बार आपको भी ये महसूस हुआ होगा कि ओला-उबर जैसी कैब सर्विसेज सहूलियत के बजाय सिरदर्द बन जाती हैं. ऑनलाइन सर्विसेज कंपनी लोकल सर्विस के सर्वे में कहा गया कि देश में ऑनलाइन कैब का इस्तेमाल करने वाले 84 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि कैब ड्राइवर उनकी ड्रॉप लोकेशन और पेमेंट मोड जानने के बाद कैब कैंसल कर देते हैं.

  • 75 प्रतिशत लोगों ने ड्राइवरों की तरफ से कैब रद्द करने को सबसे बड़ी परेशानी बताया है. 62 प्रतिशत लोगों के मुताबिक कैब बुक करते समय सर्ज चार्ज उनकी सबसे बड़ी समस्या है.

  • 48 प्रतिशत लोगों के मुताबिक कैब का वेटिंग टाइम उनकी सबसे बड़ी समस्या है.

  • इस सर्वे में शामिल 82 प्रतिशत कैब यूजर्स ने मांग की है कि भारत सरकार को ऑनलाइन कैब कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाने चाहिए.

  • लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या भारत में कैब यूजर्स की समस्याओं के लिए कोई सरकारी नियम है या नहीं ?...तो जवाब है - हां.

भारत सरकार ने 4 साल पहले साल 2020 में Motor Vehicle Aggregator Guidelines जारी की थीं. इन गाइडलाइंस में भारत सरकार ने साफ साफ कहा था की अगर कोई ड्राइवर कैब बुकिंग कैंसल करता है तो कैब बुकिंग कंपनियां ड्राइवरों से कैब बुकिंग चार्जेज का 10 प्रतिशत या 100 रुपए में जो भी कम हो..उतना जुर्माना वसूलें और ग्राहक को हर्जाना दें.

  • भारत सरकार ने इन गाइडलाइंस में कहा था की Surge Charge कभी भी रेग्युलर चार्ज के डेढ़ गुना से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

  • ये नियम आज नहीं बने. बल्कि चार साल से लागू हैं. लेकिन कैब कंपनियों ने भारत सरकार की इन गाइडलाइंस पर ना ही अमल किया है और ना ही इन्हें लागू किया है.

  • अब आप ये रिपोर्ट पढ़िए जिससे आप ओला-उबर जैसी कैब सर्विसे की अनैतिक व्यापार आचरण की पूरी क्रोनोलॉजी समझ पाएं.

  • आपकी भी कभी ड्राइवर बुकिंग कैंसिल कर देता होगा.

  • कभी आपसे Surcharge के रूप में मनमाना किराया वसूल लिया जाता होगा.

  • कभी ऐप पर दिखाए गए समय से ज्यादा वक्त तक आपको कैब का इंतजार करना पड़ा होगा.

  • कैब सर्विस चाहे कोई भी हो, ये सारी समस्याएं आम हैं और ऐसा कोई कैब यूजर  नहीं होगा जिसने इन समस्याओं का सामना नहीं किया होगा.

ड्राइवरों के कैब बुकिंग एक्सेप्ट करने के बाद कैंसिलेशन ऑनलाइन कैब बुक करने वालों की रोज की समस्या है और कई बार तो ऐसा होता है कि ड्राइवर जाने से भी मना कर देता है और कैब भी कस्टमर से ही कैंसिल करवाने पर अड़ जाता है.

तो आखिर ऐसा क्या हो जाता है कि कैब ड्राइव एक्सेप्ट करने के बाद अचानक से ही ड्राइवर ड्राइव कैंसिल कर देते हैं. ये सवाल सबके मन में आता है. लेकिन जवाब तो सिर्फ कैब ड्राइवर ही जानते हैं.

वजह कोई भी हो. लेकिन भारत सरकार के नियम साफ-साफ कहते हैं कि अगर कैब ड्राइवर ने एक्सेप्ट करने के बाद कैंसिल की, तो जुर्माना उसी से वसूला जाना चाहिए और जिस कस्टमर की राइड कैंसिल हुई है उसे हर्जाना भी दिया जाए लेकिन ये सारे नियम सिर्फ किताबी बातें बनकर रह गए हैं.

दरअसल बात ये है कि भारत सरकार ने तो नियम बना दिए. लेकिन राज्य सरकारों को इन नियमों को लागू करना था, जो उन्होंने किया नहीं. इसका फायदा कैब कंपनियां उठा रही हैं और जिसका नुकसान आपके और हमारे जैसे करोड़ों कैब यूजर्स उठा रहे हैं.

अगर आप भी ऑनलाइन कैब बुक करते हैं तो आप हमारी इस रिपोर्ट से सीधे कनेक्ट कर रहे होंगे. लेकिन ये सिर्फ आपकी और मेरी समस्या नहीं है बल्कि देश के करोड़ों लोग रोजाना कैब बुकिंग कंपनियों के इस रवैये से परेशान होते हैं.

  • Statista के मुताबिक भारत में 52 लाख से ज्यादा लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए रोजाना ऑनलाइन कैब का प्रयोग करते हैं.

  • वहीं भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत में ऑनलाइन कैब का बाजार वर्ष 2020 में 3 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा का था हर वर्ष 12 प्रतिशत से ज्यादा की औसत से बढ़ रहा है.

  • इतनी बड़ी मार्केट होने के बावजूद कैब कंपनियां ना कोई नियम फॉलो कर रही हैं और ना कोई गाइडलाइंस मानने को तैयार हैं.

  • हमने ऑनलाइन कैब एग्रीगेटर से इस मुद्दे पर उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो देश की दो बड़ी कैब बुकिंग कंपनियों ओला ओर उबर दोनों से ईमेल के जरिए जवाब मांगा.

  • ऑनलाइन कैब एग्रीगेटर ओला ने हमसे कोई आधिकारिक जवाब साझा नहीं किया और व्यस्तता का हवाला देकर ओला ने बातचीत करने से भी मना कर दिया.

उबर ने हमें एक बयान दिया, जिसमें उसने दावा किया कि  उबर ने पिछले साल कस्टमर की ड्रॉप लोकेशन और पेमेंट मोड ड्राइवर के साथ राइड एक्सेप्ट करने से पहले ही साझा करने की व्यवस्था लागू की है, जिससे राइड कैंसेलेशन कम हुए हैं और ड्राइवरों ने ड्रॉप लोकेशन पूछना 90 प्रतिशत तक कम कर दिया है.

यानी कैब कंपनियां अपनी कोई गलती मानने को तैयार नहीं हैं और दावा कर रही हैं कि सबकुछ ठीक है. लेकिन सच क्या है. ये सब जानते हैं. ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस विश्लेषण के बाद 4 वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ी मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा और कैब कंपनियों की मनमानियां और लोगों की परेशानियां दोनों खत्म होंगी.

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