Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं तो जान लें ये जरूरी अपडेट, इस डॉक्यूमेंट के बिना नहीं मिलेगी कश्मीर में एंट्री
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Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं तो जान लें ये जरूरी अपडेट, इस डॉक्यूमेंट के बिना नहीं मिलेगी कश्मीर में एंट्री

Amarnath Yatra 2022: अगर आप भी इस साल अमरनाथ यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए जरूरी खबर है. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने यात्रियों के लिए नया निर्देश जारी किया है, जिसे जान लेना आपके लिए जरूरी है. 

Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं तो जान लें ये जरूरी अपडेट, इस डॉक्यूमेंट के बिना नहीं मिलेगी कश्मीर में एंट्री

Amarnath Yatra 2022: कोरोना महामारी की वजह से करीब 2 साल तक स्थगित रही श्री अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2022) इस साल 30 जून से शुरू होने जा रही है. करीब 43 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा के लिए पुलिस-प्रशासन की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इसी बीच प्रदेश के प्रशासन ने नया निर्देश जारी कर अमरनाथ यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए आधार कार्ड का सत्यापन अनिवार्य कर दिया है. यानी कि इस यात्रा पर आने वाले लोगों के लिए आधार कार्ड लेकर चलना जरूरी होगा. 

यात्रियों को लेकर चलना होगा आधार कार्ड

प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी किए आदेश के मुताबिक अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2022) करने के इच्छुक यात्रियों को आधार कार्ड लेकर प्रदेश में पहुंचना होगा. इसके बिना यात्रा करने पर उन्हें वापस लौटाया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक इस बार यात्रियों के वेष में आतंकियों के हमले का खतरा है. इसलिए यात्रियों की पहचान पुख्ता करने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है. इस आधार कार्ड का स्पेशल मशीनों के जरिए वेरिफिकेशन भी किया जाएगा. 

कठुआ में बनाए गए 20 विश्राम स्थल

अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2022) पर आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में 20 विश्राम स्थल बनाए गए हैं. इन स्थलों में एक बार में 8 हजार लोग ठहर सकेंगे. कठुआ के उपायुक्त राहुल पांडे ने बताया कि इन विश्राम स्थलों में लंगर की सुविधा भी होगी. साथ ही शौचालय और स्नानघर के भी इंतजाम होंगे. ये सारी सुविधाएं श्रद्धालुओं को निशुल्क प्रदान की जाएंगी.

10 लाख श्रद्धालुओं के भाग लेने का अनुमान

इस बार की यात्रा (Amarnath Yatra 2022) 30 जून से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलेगी. इस यात्रा में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के भाग लेने का अनुमान है. यह यात्रा कश्मीर के 2 मार्गों के जरिए पूरी की जाती है. इनमें एक मार्ग दक्षिण कश्मीर का पहलगाम रूट है. यह रूट 48 किलोमीटर लंबा है और इसके जरिए 3 दिनों में चढ़ाई और उतराई होती है. दूसरा मार्ग बालटाल वाला है. करीब 14 किलोमीटर लंबे इस रूट से एक दिन में ही लौटफेर किया जा सकता है. 

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