क्या है सिकल सेल डिजीज, जिसमें समय के साथ खत्म होने लगती है सोचने-समझने की शक्ति
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क्या है सिकल सेल डिजीज, जिसमें समय के साथ खत्म होने लगती है सोचने-समझने की शक्ति

Sickle Cell Disease: सिकल सेल जन्मजात बीमारी है जिसमें ब्रेन तक सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचने की वजह से मरीज की समझने की शक्ति कम होने लगती है.

क्या है सिकल सेल डिजीज, जिसमें समय के साथ खत्म होने लगती है सोचने-समझने की शक्ति

सिकल सेल रोग से पीड़ित लोगों में उम्र बढ़ने के साथ मस्तिष्क में होने वाले बदलाव कॉग्निटिव समस्याओं का कारण बन सकते हैं. एक नए शोध के अनुसार, इस बीमारी से प्रभावित लोगों को याद रखने, ध्यान केंद्रित करने, सीखने और समस्या-समाधान में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

क्या है सिकल सेल रोग? यह एक जेनेटिक विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य आकार में बदल जाती हैं और रक्त वाहिकाओं में रुकावट पैदा करती हैं. एक स्टडी में में शोधकर्ताओं ने सिकल सेल रोग और बिना इस रोग वाले 200 से अधिक युवा वयस्कों का एमआरआई स्कैन और संज्ञानात्मक परीक्षण किया, जिससे इस बीमारी के मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभावों का खुलासा हुआ है.

सिकल सेल रोग का मस्तिष्क पर असर

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने सिकल सेल रोग से प्रभावित और स्वस्थ व्यक्तियों का विश्लेषण किया. इन लोगों का एमआरआई स्कैन और संज्ञानात्मक परीक्षण किया गया. शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क की आयु का अनुमान एक मस्तिष्क आयु पूर्वानुमान उपकरण के जरिए लगाया और इसे वास्तविक आयु से तुलना किया. शोध के परिणामों के अनुसार, सिकल सेल रोग वाले लोगों का मस्तिष्क औसतन उनकी वास्तविक आयु से 14 वर्ष अधिक पुराना दिखाई दिया. इसके साथ ही, इन लोगों ने संज्ञानात्मक परीक्षणों में भी कम अंक प्राप्त किए. 

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आर्थिक अभाव और मस्तिष्क की आयु

अध्ययन में यह भी पाया गया कि आर्थिक अभाव का सामना करने वाले लोगों का मस्तिष्क भी अधिक उम्र का दिखाई देता है. गरीबी से जूझ रहे स्वस्थ व्यक्तियों में औसतन मस्तिष्क आयु और वास्तविक आयु के बीच सात साल का अंतर पाया गया. यह दर्शाता है कि आर्थिक स्थिति और मस्तिष्क की संरचना पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि आर्थिक संकट के कारण मानसिक विकास और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकते हैं.

भविष्य में संभावित उपचार

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर एंड्रिया फोर्ड ने बताया कि न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले रोगियों की स्थिति को समझने और उनकी मदद करने के लिए एमआरआई स्कैन एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है. यह परीक्षण भविष्य में इन रोगियों के मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभावों का समय रहते पता लगाने में मदद कर सकता है, जिससे जल्दी उपचार और सहायता प्रदान की जा सके.

-एजेंसी-

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