बच्चों पर घट रहा एंटीबायोटिक का असर, निमोनिया जैसे गंभीर रोग पैदा होने का बढ़ेगा खतरा
Advertisement
trendingNow11973334

बच्चों पर घट रहा एंटीबायोटिक का असर, निमोनिया जैसे गंभीर रोग पैदा होने का बढ़ेगा खतरा

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की बढ़ती समस्या के कारण बच्चों-शिशुओं में आम संक्रमण के इलाज के लिए दी जाने वाली कई दवाएं अब अधिक प्रभावी नहीं रही हैं. दुनियाभर के बच्चों पर यह असर देखा जा रहा है.

बच्चों पर घट रहा एंटीबायोटिक का असर, निमोनिया जैसे गंभीर रोग पैदा होने का बढ़ेगा खतरा

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की बढ़ती समस्या के कारण बच्चों-शिशुओं में आम संक्रमण के इलाज के लिए दी जाने वाली कई दवाएं अब अधिक प्रभावी नहीं रही हैं. दुनियाभर के बच्चों पर यह असर देखा जा रहा है. द लांसेट जर्नल में प्रकाशित लेटेस्ट अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है.

ऑस्ट्रेलिया में सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अध्ययन में पाया गया है कि निमोनिया, सेप्सिस और मेनिनजाइटिस जैसे बचपन में होने वाले संक्रमणों के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित कई एंटीबायोटिक दवाएं अब 50 प्रतिशत से भी कम प्रभावी हैं. यह एक गंभीर समस्या है जो बच्चों में गंभीर बीमारियों के विकास का खतरा बढ़ा सकती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में एंटीबायोटिक दवाओं का प्रभाव सबसे कम है. इस क्षेत्र में, एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण हर साल लाखों बच्चों की अनावश्यक मौतें होती हैं. यह अध्ययन एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते खतरे पर चेतावनी देता है. यह दिखाता है कि एंटीबायोटिक दवाओं का केवल तभी उपयोग किया जाना चाहिए जब वे आवश्यक हों और उनका उचित तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए.

क्या है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का मतलब?
एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का मतलब है कि बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव को कम या खत्म करने में सक्षम हो जाते हैं. इससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है और यह जीवन के लिए खतरा भी पैदा कर सकता है. एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक गंभीर समस्या है जो दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले रही है. इस समस्या को कम करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि एंटीबायोटिक दवाओं का केवल तभी उपयोग किया जाए जब वे आवश्यक हों और उनका उचित तरीके से उपयोग किया जाए.

80 सालों से किया जा रहा इस्तेमाल
लगभग 80 वर्षों से एंटीबायोटिक संक्रामक रोगों से सफलतापूर्वक लड़ रही है. इसकी वजह से दुनियाभर में बीमार होने की दर और बीमारी से मरने वालों की संख्या में कमी आई है. यह एक ऐसी दवा है, जो खतरनाक वायरस, बैक्टीरिया आदि से बचाव करती है.

महसूस होने लगा खतरा
प्रोसिडिंग्स ऑफ नैशनल एकेडमिक्स ऑफ साइंस में प्रकाशित रिसर्च पेपर के मुताबिक, एंटीबायोटिक पर बढ़ती निर्भरता से हमारे स्वास्थ्य पर पड़ते असर को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं. इससे हमारी आंतों को नुकसान पहुंच रहा है. इतना ही नहीं एंटीबायोटिक के प्रति बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ रही है.

Trending news