दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण के सबसे बड़े कारण क्या हैं? आखिर कौन कर रहा धुआं-धुआं
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दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण के सबसे बड़े कारण क्या हैं? आखिर कौन कर रहा धुआं-धुआं

Delhi NCR Pollution: रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली और एनसीआर में हर 6 महीने से 1 साल में एमिशन इन्वेंटरी को अपडेट करना जरूरी है. कुछ घरों में आज भी लकड़ी और अन्य जैविक ईंधनों का उपयोग किया जा रहा है. (Photo: AI)

दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण के सबसे बड़े कारण क्या हैं? आखिर कौन कर रहा धुआं-धुआं

Major Causes of Pollution: देश की राजधानी दिल्ली में अच्छी शिक्षा.. अच्छे रोजगार और अन्य अच्छे अवसरों की तलाश में देशभर से लोग आते हैं.. रहते हैं. लेकिन दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, पिछले कई सालों से यह चिंता का विषय है. इसका प्रमुख कारण क्या है, इसे समझने के लिए हाल ही में एक रिपोर्ट आई है. The Energy and Resources Institute (TERI) द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट 2021 के आंकड़ों पर आधारित है और इसमें प्रदूषण के मुख्य स्रोतों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है. इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदु क्या हैं और यह रिपोर्ट क्या कहती है, इसे समझा जाना चाहिए.

दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत कौन?
असल में रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में सबसे बड़ा प्रदूषण का स्रोत वाहन हैं. खासतौर पर दोपहिया वाहनों से निकलने वाला धुआं सबसे अधिक प्रदूषक है. PM2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के उत्सर्जन में वाहन प्रमुख योगदानकर्ता हैं.

PM2.5 के प्रमुख स्रोत
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में PM2.5 का 47% हिस्सा वाहन उत्सर्जन से आता है, जबकि इसके बाद सड़क की धूल (20%) प्रमुख है. नाइट्रोजन ऑक्साइड में वाहनों का योगदान 78% है, जबकि VOCs में यह योगदान 49% तक है.

पूरे एनसीआर में प्रदूषण के प्रमुख स्रोत?
दिल्ली के अलावा, एनसीआर क्षेत्र हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के हिस्से में भी प्रदूषण के बड़े कारण मौजूद हैं. यहां औद्योगिक गतिविधियां PM10 और PM2.5 का प्रमुख स्रोत (41% और 44% क्रमशः) मानी गई हैं. इसके अलावा, पत्थर की क्रशिंग यूनिट्स और थर्मल पावर प्लांट्स से भी भारी प्रदूषण होता है.

कोयले के उपयोग पर बैन के प्रभाव
एनसीआर में प्रदूषण को कम करने के लिए 2022 में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था. हालांकि, थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले का उपयोग अभी भी जारी है, जो SO2 के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है (46%).

फ्यूलवुड और LPG का उपयोग
दिल्ली और एनसीआर में कुछ घरों में आज भी लकड़ी और अन्य जैविक ईंधनों का उपयोग किया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में औसतन प्रति व्यक्ति 560 किलोग्राम लकड़ी का उपयोग हो रहा है, जबकि LPG का उपयोग 45 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है.

पिछली एमिशन इन्वेंटरीज से तुलना
पिछले दशक में IIT कानपुर और SAFAR जैसी संस्थाओं द्वारा भी एमिशन इन्वेंटरी बनाई गई थीं. IIT कानपुर की 2013-14 की रिपोर्ट में सड़कों की धूल को PM2.5 का सबसे बड़ा स्रोत बताया गया था. वहीं, 2018 में SAFAR की रिपोर्ट में ट्रांसपोर्ट सेक्टर को PM2.5 और NOx का सबसे बड़ा स्रोत बताया गया था.

एमिशन इन्वेंटरी क्या है?
एमिशन इन्वेंटरी एक ऐसा आंकड़ा है जो किसी विशेष वर्ष के लिए शहर या क्षेत्र में विभिन्न स्रोतों से होने वाले उत्सर्जनों को मापता है. दिल्ली सरकार ने TERI को यह रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा था ताकि वास्तविक समय में प्रदूषण के स्रोतों की पहचान की जा सके.

एमिशन इन्वेंटरी का महत्व क्यों है?
एमिशन इन्वेंटरी का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण के स्रोतों की पहचान कर, वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजना तैयार करना है. यह रिपोर्ट वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली और निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) के लिए महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करती है, जिससे प्रदूषण कम करने के लिए आपातकालीन कदम उठाए जा सकते हैं.

डेटा अपडेट न होने की समस्या
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली और एनसीआर में तेजी से बदलती नीतियों और कदमों के कारण हर 6 महीने से 1 साल में एमिशन इन्वेंटरी को अपडेट करना जरूरी है. हालांकि, वर्तमान में 2021 की रिपोर्ट के डेटा का इंतजार किया जा रहा है.

भविष्य की योजना
रिपोर्ट को जनवरी 2023 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को सौंपा गया था. CPCB ने दिसंबर 2023 तक दिल्ली और एनसीआर के जिलों में एमिशन इन्वेंटरी और स्रोत विभाजन अध्ययन को पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस रिपोर्ट से साफ है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहन, उद्योग और कोयले का उपयोग है. अगर समय रहते इन पर काबू नहीं पाया गया, तो वायु गुणवत्ता में सुधार की संभावना कम हो जाएगी.

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