US President Election: 77 साल की उम्र और 91 मुकदमे, कैसे डॉनल्ड ट्रंप ने सारे दावेदारों को धूल चटा दी
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US President Election: 77 साल की उम्र और 91 मुकदमे, कैसे डॉनल्ड ट्रंप ने सारे दावेदारों को धूल चटा दी

US President election 2024: अमेरिका में अब डोनाल्ड ट्रंप ही रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. निक्की हेली (Nikki Haley) गेम से आउट यानी यानी रेस से बाहर हो गई हैं. अमेरिकी मीडिया में ट्रंप की जीत पर बहस शुरू हो गई है.

US President Election: 77 साल की उम्र  और 91 मुकदमे, कैसे डॉनल्ड ट्रंप ने सारे दावेदारों को धूल चटा दी

Donald Trump US President election analysis: अमेरिका राष्ट्रपति चुनावों के लिए रिपब्लिकन पार्टी के कैंडिडेट की रेस में डोनाल्ड ट्रंप की राह का आखिरी कांटा निकल गया है. निक्की हेली के कैंपेन रोकने के बाद ट्रंप विजेता बनकर उभरे. 'सुपर ट्यूजडे' को अमेरिका के 15 राज्यों की पार्टी प्राइमरी में हार के बाद हेली आउट हो गईं. इसे धनबल का जोर कहें या फिर ट्रंप की लीगल टीम और कैंपेन टीम का चमत्कार जो 77 की उम्र और 91 गंभीर मुकदमों के बावजूद ट्रंप को उम्मीदवार बनाकर ही मानी. इस तरह नवंबर में होने वाले चुनाव में ट्रंप के सामने मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन होंगे.

US Elections 2024: रिपब्लिकन कैंडिडेट की रेस में ट्रंप की जीत के मायने 

ट्रंप ही क्यों? आपको ये बताएं इससे पहले आपको निक्की हेली के फाइनल स्टेटमेंट पढ़ने की जरूरत है जिसमें उन्होंने कहा, ‘कैंपेन रोकने का वक्त आ गया है. मैं चाहती हूं कि अमेरिकियों की आवाज सुनी जाए, मैंने वही किया है. मुझे कोई पछतावा नहीं. उन चीजों के लिए आवाज उठाना बंद नहीं करूंगी जिनमें मैं विश्वास करती हूं’.

हालांकि हेली ने अभी ये साफ नहीं किया है कि वो ट्रंप का समर्थन करेंगी या नहीं? हेली के करीबी लोगों की अलग-अलग राय है. कुछ का मानना है कि ट्रंप का समर्थन करना उनके लिए सही रहेगा. क्योंकि उन्हें एक टीम के रूप में देखा जाएगा. क्योंकि उन्हें ना पसंद करने वालों की भी पार्टी में कमी नहीं है. 

ट्रंप कैसे एक के बाद एक प्राइमरी जीतते चले गए?

हेली आखिरी तारीख तक ये कहती रहीं कि वो ट्रंप को वॉक ओवर नहीं देंगी. हार के बाद भी वो बाजीगर बन गईं. क्योंकि उन्होंने रिपब्लिकन प्रेसिडेंशियल प्राइमरी जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया. वो, डेमोक्रेटिक या रिपब्लिकन प्राइमरी में जीत हासिल करने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी हैं. जबकि पिछले तीन अन्य भारतवंशी राष्ट्रपति पद के कैंडिडेट- 2016 में बॉबी जिंदल,  2020 में कमला हैरिस और 2024 में विवेक रामास्वामी एक भी प्राइमरी जीतने में कामयाब नहीं हुए.

2024 की रेस में ट्रंप के सामने कौन कौन थे?

77 साल के ट्रंप के सामने रिपब्लिकन पार्टी के कई चेहरे थे. प्रमुख नामों की बात करें तो रॉन डेसेंसिट और विवेक रामास्वामी भी रेस में थे. सब एक एक करके हटते गए और ट्रंप को अपना समर्थन देते गए. ट्रंप ने आयोवा, न्यू हैंपशर, नेवादा, इडाहो, दक्षिण कैरोलिना, मिशिगन और मिसौरी तक में बड़ी जीत दर्ज की. वो रिपब्लिकन पार्टी में नामांकन की दौड़ में सबसे आगे रहे. 15 जनवरी को आयोवा में रिपब्लिकन पार्टी की पहली कॉकस की वोटिंग में ट्रंप ने बाजी मारी. ट्रंप को कॉकस में 51% वोट मिले, जबकि रॉन डेसेंसिट 21% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे.

अमेरिकी मीडिया में जमकर बहस

कुछ जानकारों का कहना है कि ट्रंप ने पानी की तरह पैसा बहाया. उनकी पार्टी का कोई भी अन्य कैंडिडेट धनबल और पब्लिक रिलेशंस को लेकर इतना मजबूत नहीं था जो ट्रंप को टक्कर देता. कुछ कारोबारी थे तो कुछ की और मजबूरी रही होगी. इसलिए एक-एक करके सब हटते चले गए और ट्रंप का रास्ता साफ हो गया.

अमेरिकी मीडिया भी ट्रंप की दावेदारी पर बंटी नजर आई. यूएस मीडिया का ये भी कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन (Joe Biden) की पॉपुलैरिटी कम हुई है. न्यूयॉर्क टाइम्स और सिएना के एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.

यहां 48% लोगों ने ट्रंप को समर्थन दिया. 23% लोगों ने माना कि बाइडेन की दावेदारी से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. जबकि 26 फीसदी लोगों का कहना था कि वे बाइडेन के काम से असंतुष्ट हैं, लेकिन नाराज नहीं.

कॉकस को समझिए

अमेरिका में दो मेन पार्टियां हैं डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन. दोनों राष्ट्रपति चुनाव से पहले देश के हर राज्य में पार्टी के उम्मीदवार के चयन के लिए पार्टी के अंदर वोटिंग कराती हैं. इसी पूरे घटनाक्रम को कॉकस कहा जाता है. सभी राज्यों की वोटिंग के बाद ही दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में वोटिंग में विजयी उम्मीदवार को पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया जाता है. 

सेकंड टर्म को लेकर कैसा है माहौल?

सीएनएन की एक हिलाया रिपोर्ट में लिखा है कि ट्रंप ने अमेरिका को सतर्क कर दिया है कि अगर वो जीते तो उनका दूसरा कार्यकाल उनके पहले कार्यकाल से भी अधिक विघटनकारी और अशांत होगा. इसी रिपोर्ट में आगे लिखा है - '2020 के चुनाव में लोकतंत्र का अपहरण कराने और जीत को चुराने की कोशिशों और देश की स्वतंत्रता और भाग्य को खतरे में डालने वाले की वापसी हैरान कर रही है. देशद्रोह जैसे आपराधिक मामलों का सामना कर रहे ट्रंप पर करीब 91 केस हैं. उनकी चुनावी रेस में अविश्वसनीय वापसी अमेरिकी इतिहास में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण चुनावों की ओर इशारा कर रही है.'

वहींं ट्रंप के विरोधियों का मानना है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति ट्रंप की अवमानना ​​के उनके अबतक के रिकॉर्ड का मतलब है कि देश को भविष्य में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

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