Explainer: क्‍या है ग्रीन जीडीपी? बिल गेट्स से कहा- दुनिया को इसकी जरूरत, PM मोदी का 2070 का प्‍लान समझिए
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Explainer: क्‍या है ग्रीन जीडीपी? बिल गेट्स से कहा- दुनिया को इसकी जरूरत, PM मोदी का 2070 का प्‍लान समझिए

Green GDP Explained: बिल गेट्स के साथ चर्चा में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'दुनिया को ग्रीन जीडीपी के कॉन्सेप्ट को डेवलप करना चाहिए.' आखिर यह ग्रीन जीडीपी क्‍या है?

Explainer: क्‍या है ग्रीन जीडीपी? बिल गेट्स से कहा- दुनिया को इसकी जरूरत, PM मोदी का 2070 का प्‍लान समझिए

What Is Green GDP: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'ग्रीन जीडीपी' वाला आइडिया बिल गेट्स को बड़ा पसंद आया. माइक्रोसॉफ्ट फाउंडर के साथ बातचीत में मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने का रोडमैप पेश किया. मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया को ग्रीन जीडीपी के सिद्धांत को विकसित करने की जरूरत है. पीएम ने कहा, 'देशों को टर्मिनोलॉजी बदलनी होगी. यह देखना होगा कि उनकी जीडीपी में ग्रीन जीडीपी कितनी है, टोटल रोजगार में ग्रीन रोजगार कितने हैं.' गेट्स को समझाते हुए मोदी ने आगे कहा, 'समस्या का समाधान हो सकता है... लेकिन अगर मैं ये कहूं कि मैं तो जितना उपयोग करता हूं, करूंगा... मैं तो इतनी बिजली उपयोग करूंगा... इतना पानी बर्बाद करूंगा...' पीएम मोदी ने जिक्र तो नहीं किया लेकिन भारत इस चुनौती से निपटने में दुनिया को लीड कर रहा है. नवंबर 2021 में ग्‍लासगो COP26 के मंच से पीएम मोदी ने ही घोषणा की थी कि भारत 2070 तक 'नेट जीरो' का लक्ष्य हासिल कर लेगा. यानी हम ग्रीनहाउस गैसों में कमी का बैलेंस बना लेंगे. ग्रीन जीडीपी उसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए है. पीएम मोदी ने बिल गेट्स को 2070 वाले प्लान की झलक भर दिखाई है. आइए आपको उसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

ग्रीन जीडीपी क्‍या है?

औद्योगिक काल की शुरुआत से ही हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने में लगे हैं. जलवायु और पर्यावरण की चिंता छोड़, 19वीं और 20वीं सदी में देशों ने जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्‍पाद बढ़ाने पर जोर दिया. तेजी से औद्योगीकरण का नतीजा ग्रीन हाउस गैसों (GHGs) के उत्सर्जन के रूप में सामने आया. ग्रीनहाउस गैसों की वजह से ग्लोबल वार्मिंग हुई. हमारी धरती लगातार गर्म हो रही है. मौसमी पैटर्न बदलने लगे हैं. ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघल रही है. समुद्र का जलस्तर बढ़ने से कई शहर डूबने के कगार पर हैं. अगर हमने जलवायु परिवर्तन को काबू नहीं किया तो हालात काफी बिगड़ जाएंगे.

वर्ल्‍ड बैंक के मुताबिक, 2022 में दुनिया की कुल जीडीपी 90 ट्रिलियन डॉलर के आसपास थी. भारत की जीडीपी 2022 में करीब 3 ट्रिलियन डॉलर थी. हम जल्‍द से जल्‍द 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं. हर देश अपनी जीडीपी को बढ़ाना चाहता लेकिन प्राकृतिक संसाधन तो सीमित हैं. जलवायु परिवर्तन मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है. यहीं पर ग्रीन जीडीपी का सिद्धांत काम आता है. ग्रीन जीडीपी वह है जहां किसी देश के उत्‍पाद का मूल्य तय करने में पर्यावरणीय लागतों को भी ध्यान में रखा जाए. ऐसी लागतें छिपी रहती हैं. माल बनाने वाले और खरीदने वाले इसकी कीमत भले न चुकाएं, नतीजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ता है.

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2070 तक नेट जीरो का टारगेट क्‍या है?

सबसे पहले तो 'नेट जीरो' समझिए. 2015 के पेरिस समझौते में दुनिया इस बात पर राजी हुई कि CO2 जैसी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना ही होगा. 'नेट जीरो' वह अवस्था है जहां कोई देश जितनी ग्रीन हाउस गैसें उत्‍सर्जन करेगा, उतनी ही पर्यावरण से हटाएगा. यानी ग्रीन हाउस गैसों को बढ़ाने में उस देश का 'नेट' योगदान 'जीरो' होगा. इंड‍स्‍ट्री, पावर, ट्रांसपोर्ट, एग्रीकल्‍चर जैसे तमाम सेक्टर हैं जहां हमें खतरनाक गैसों के उत्सर्जन पर काबू करने की जरूरत है. ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा कम करने के लिए हमें ज्‍यादा से ज्‍यादा पेड़ लगाने की जरूरत है.

नवंबर, 2021 में यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन (COP26) हुआ. पीएम मोदी ने दुनिया के सामने भारत की जलवायु कार्य योजना के पांच अमृत तत्व (पंचामृत) पेश किए थे. ग्लोबल मंच पर पीएम मोदी ने ऐलान किया कि भारत 2070 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल कर लेगा.

PM मोदी का 'पंचामृत'

COP26 में पीएम मोदी ने पंचामृत कार्य योजना सामने रखी. इसके तहत पांच लक्ष्य निर्धारित किए गए थे. 'नेट जीरो' फाइनल टारगेट है.

- 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता तक पहुंचना

- 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का कम से कम आधा हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करना

- 2030 तक CO2 उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक कम करना

- 2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करना

- 2070 तक नेट-शून्य उत्सर्जन

पीएम मोदी के नेतृत्व में नई दिल्‍ली में जी20 श‍िखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने 'ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस' की घोषणा की. भारत, अमेरिका और ब्राजील के नेतृत्व में तमाम देश बायोफ्यूल को बढ़ावा देने पर सहमत हुए थे. ग्रीन जीडीपी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले साल एक रिपोर्ट भी जारी की थी. RBI ने कहा था किम 2030 तक भारत की ग्रीन फायनेंसिंग जरूरत सालाना जीडीपी का कम से कम 2.5 प्रतिशत होने का अनुमान है.

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